मप्र में राष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग से कांग्रेस मायूस, भाजपा में उत्साह

Congress disappointed due to cross voting in Presidential election in MP, enthusiasm in BJP
मप्र में राष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग से कांग्रेस मायूस, भाजपा में उत्साह
मध्यप्रदेश मप्र में राष्ट्रपति चुनाव में क्रास वोटिंग से कांग्रेस मायूस, भाजपा में उत्साह

डिजिटल डेस्क, भोपाल। राष्ट्रपति चुनाव में मध्यप्रदेश में विधायकों की क्रास वोटिंग ने कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। पूरी पार्टी में मायूसी है, तो वहीं भाजपा में उत्साह है क्योंकि उम्मीद से ज्यादा द्रौपदी मुर्मू को वोट मिले हैं।ज्ञात हो कि राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को मध्य प्रदेश से 146 वोट मिले, वहीं विपक्षी दलों के संयुक्त उम्मीदवार यशवंत सिन्हा के खाते में 79 वोट आए। इस तरह कांग्रेस को 19 वोट कम मिले क्योंकि 96 विधायक कांग्रेस के हैं और दो निर्दलीय विधायकों ने सिन्हा को वोट देने की बात कही थी। इस तरह कांग्रेस को उम्मीद थी कि सिन्हा को मध्य प्रदेश से 98 वोट मिलेंगे। भाजपा के 127 विधायक हैं और इसके अलावा सपा, बसपा, कांग्रेस और निर्दलीय उम्मीदवारों, जिनकी संख्या सात है, ने खुलकर मुर्मू को वोट देने की बात कही थी। इस तरह अधिकतम भाजपा को 133 वोट मिलने की उम्मीद थी।

कांग्रेस विधायकों की क्रास वोटिंग ने भाजपा को नए उत्साह से भर दिया है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि, मध्य प्रदेश में 19 विधायकों ने अपनी अंतरआत्मा की आवाज पर क्रॉस वोटिंग कर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय पर भरोसा जताया है। कमलनाथ यदि जनजातीय विरोधी नहीं हैं तो जनता को बताएं, क्या वे भी क्रॉस वोटिंग करने वाले 19 विधायकों में शामिल हैं?

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है, मध्यप्रदेश में वैसे भी दलों की सीमाओं से उठकर भारतीय जनता पार्टी के अलावा भी कई विधायक मित्रों ने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया है। मैं सारे विधायक साथियों को जो बीजेपी के नहीं हैं लेकिन मुर्मू को वोट किया है, उनका भी आभार व्यक्त करता हूं। हृदय से धन्यवाद देता हूं!

राज्य के गृहमंत्री डा नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि राष्ट्रपति चुनाव में कमल नाथ ने कांग्रेस विधायकों के ईमान पर सवाल उठाकर उनको बिकाऊ बता दिया था। इसलिए अंतरात्मा की आवाज पर कांग्रेस विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी। जर्जर होती कांग्रेस में यह आखिरी कील थी। कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।

राज्य की सियासत में यह दो साल में दूसरा ऐसा मौका है जब कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। इससे पहले कांग्रेस के 22 विधायकों ने एक साथ पार्टी का साथ छोड़कर भाजपा का दामन थामा था और कांग्रेस की कमल नाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी। अब कांग्रेस लगातार एक जुट होने का दावा कर रही थी, वहीं भाजपा के प्रदेषाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने साफ कहा था कि राज्य में राष्ट्रपति चुनाव में चौंकाने वाले नतीजे सामने आएंगे। राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस का कोई भी नेता खुलकर बात करने को तैयार नहीं है। पूरी पार्टी और नेता चुप्पी साधे हुए है।

 

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Created On :   22 July 2022 2:00 PM IST

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