चुनाव के समय बीजेपी को गुजरात में कांग्रेस और आप देंगी टक्कर, मोदी और हिंदुत्व के आगे विपक्ष का कौन सा चलेगा मुद्दा?
- आप से किसे खतरा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भले ही अभी तक गुजरात में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है, लेकिन चुनावी हवा तेज रफ्तार पकड़ चुकी है। और किसी भी समय निर्वाचन आयोग तारीखों का ऐलान कर सकता है। हालफिलहाल मोरबी पुल हादसा को लेकर विपक्ष की कांग्रेस और आम आदमी पार्टी बीजेपी पर हमलावर है।
त्रिकोणीय मुकाबला
पिछले चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर होती थी, लेकिन इस बार का चुनाव आप के उतरने से थोड़ा रोमांचक नजर आएगा। माना जा रहा है इस बार आम आदमी पार्टी के चुनावी मैदान में हुंकार भरने से मुकाबला त्रिकोणीय होगा। भले ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए आप को दिल्ली से हवा चलाने वाली पार्टी करार दिया हो लेकिन दिल्ली और पंजाब में आप ने जिस तरह से जीत दर्ज की है, उससे आप को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। वहीं गांधी ने बीजेपी के प्रति जनता की नाराजगी बताई। अब देखना ये होगा कि आप के चुनावी मैदान में उतरने से कांग्रेस और बीजेपी में से किसे अधिक नुकसान होगा। राजनीतिक विशेषज्ञ आप से कांग्रेस को खतरा बताते हैं। इसके लिए दिल्ली और पंजाब को उदाहरण के तौर पर बताया जाता है,लेकिन आपको बता दें इन दोनों राज्यों में आप ने कांग्रेस शासित सत्ता को मात दी थी। लेकिन गुजरात में अभी बीजेपी की सरकार है, ऐसे में बीजेपी को भी आप से खतरा नजर आ रहा है।
मुद्दा कौन सा?- हिंदुत्व,मोदी का विकास v/s बेरोजगारी, महंगाई या पाटीदार आरक्षण
दूसरी तरह ढाई दशक से गुजरात की सियासी गद्दी पर विराजमान बीजेपी हिंदुत्व और मोदी के दम पर अपने पैर जमाए हुए है। कांग्रेस और आप को बीजेपी के जमे जमाए पैर को उखाड़ फेंकना आसान नहीं है। हालांकि 2017 के चुनावों में नोटबंदी और जीसटी करों को लेकर गुजरात के धनवान वर्ग में नाराजगी देखने को मिली, लेकिन कांग्रेस के एक नेता के मोदी पर दिए गए बयान को प्रदेश की जनता ने गुजरात की अस्मिता से जोड़कर देखा तो कांग्रेस जनता की भीड़ को वोट में तब्दील करने में असफल रही। लेकिन इस बार आप पार्टी ने नोटों पर गणेश और लक्ष्मी की इमेज का मुद्दा उठाकर बीजेपी की प्रदेश और केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। जिससे हिंदुत्व को लेकर बीजेपी बैकफुट पर नजर आ रही है। इसी के चलते बीजेपी ने केजरीवाल के उठाए मुद्दे से किनारा कर लिया है। बीजेपी के लिए हिंदुत्व और मोदी आज भी चुनाव जीताऊ है, इसके उलट कांग्रेस के पास बेरोजगारी, महंगाई, सामाजिक सद्भाव और पाटीदार आरक्षण के मुद्दे हैं। लेकिन पिछले चुनाव में पाटीदार आरक्षण के प्रबल समर्थक हार्दिक पटेल अब कांग्रेस के हाथ को अलविदा कहकर बीजेपी में चले गए हैं।
जीत v/s चिंता
अब सवाल ये उठता है कि चुनाव से पहले इलेक्शन मशीन बनने वाली बीजेपी 27 सालों से जीतने की अपनी जीत को त्रिकोणीय मुकाबला में बरकरार रख पाएंगी। 1995 से 2017 तक के बीजेपी के विजयी इतिहास पर नजर डाले तो 2002 को छोड़ दिया जाए तो बीजेपी का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है। भले ही वो सियासी आंकड़े को छूने में कामयाब हो पाती है। 1995 में बीजेपी को 121, 1998 में 117, 2002 में 127, 2007 में 116, 2012 में 115 और 2017 में 99 सीटें मिली थीं। सीट के साथ साथ बीजेपी का वोट प्रतिशत भी घटता जा रहा है।
आसान नहीं बीजेपी को गुजरात में हराना
जिस चेहरे के सहारे बीजेपी ने गुजरात में अपना पैर जमाया। अब वह चेहरा गुजरात की गद्दी की बजाय दिल्ली की कुर्सी पर विराजमान है जहां से पूरा देश चलता है। गुजरात की जनता इसे गुजरात के गौरव से जोड़कर देखते हैं। गुजरात के लोग जानने के साथ समझते हैं कि बीजेपी में हमारे राज्य के दो बड़े नेता देश का नेतृत्व संभाल रहे है। ऐसे में कांग्रेस और आप के लिए बीजेपी को मात देने की राह आसान नहीं है।
ऐसे में गुजरात विधानसभा चुनावों में कौन सा मुद्दा हावी होगा , ये आने वाला समय ही तय करेगा।
Created On :   1 Nov 2022 4:21 PM IST