MP Bye- Election: मप्र की 28 सीटों पर विधानसभा उपचुनाव, जानिए क्या है करैरा विधानसभा का हाल?
डिजिटल डेस्क, करैरा। मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर 3 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। चुनाव के ऐलान के साथ ही राजनीतिक दलों की तैयारियां तेज हो गई है। प्रत्याशियों ने अपने जंनसंपर्क की रफ्तार को भी बढ़ा दिया है। करेरा सीट पर अनुसूचित जाति के मतदाताओं की अच्छी पकड़ है। करीब दो लाख से अधिक मतदाता वाली इस सीट पर 15 फीसदी जाटव समाज के वोटर हैं और यह हर चुनाव में हार-जीत का अंतर तय करते हैं। दैनिक भास्कर हिंदी की विधानसभा उपचुनाव की इस सरीज में आज हम आपको बताने जा रहे हैं करैरा विधानसभा का हाल। क्या इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय होने वाला है? जानिए हमारी इस खास रिपोर्ट में:
जानिए करैरा विधानसभा सीट के बारे में
मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले की विधानसभा सीट है करैरा। ये शिवपुरी लोकसभा सीट का हिस्सा है, जो चंबल इलाके में पड़ता है। यह सीट 2008 से अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। पिछले 7 विधानसभा चुनाव पर नजर डाले तो इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों तीन-तीन बार जीत हासिल करने में सफल रहे हैं। बीएसपी ने एक बार इस सीट पर जीत हासिल की है। पिछले चुनाव यानी 2018 में इस विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के राजकुमार खटीक और कांग्रेस के जसवंत जाटव के बीच मुकाबला था। कांग्रेस ने इस मुकाबले को 14, 824 वोटों के बड़े अंतर से जीता था। हालांकि अब जसवंत जाटव बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। ऐसे में कांग्रेस ने बसपा छोड़कर पार्टी में शामिल हुए प्रागीलाल जाटव को मैदान में उतारा है। जबकि बसपा ने संगठन की कमान संभालने वाले राजेंद्र जाटव पर भरोसा जताया है।
कौन किस पर भारी?
ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक जसवंत जाटव उन 22 कांग्रेस नेताओं में से एक है जिन्होंने कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी ज्वाइन की थी। 2018 में पहली बार उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर विधासभा चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। इस बार बीजेपी ने उन पर भरोसा जताया है। उधर बीएसपी का साथ छोड़ कांग्रेस के साथ आए प्रागीलाल जाटव तीन बार बीएसपी से चुनाव लड़ चुके हैं। हलांकि अभी तक उन्होंने किसी भी चुनाव में जीत हासिल नहीं की है। 2008 के चुनाव में वह 23 हजार 30 वोट हासिल कर दूसरे नंबर पर रहे। 2013 के विधानसभा चुनाव में 37 हजार वोट हासिल किए। साल 2018 के विधानसभा चुनाव में उन्हें 40 हजार मत हासिल हुए थे। कांग्रेस का मानना है कि यदि बसपा का वोट बैंक प्रागीलाल के साथ कांग्रेस के खाते में आ गया तो भाजपा को कड़ी चुनौती दी जा सकती है। इसी वजह से कांग्रेस ने टिकट देकर उनपर भरोसा जताया है।
समझे सियासी समीकरण
28 सीटों पर होने जा रहें चुनाव में 22 सीटें उन पूर्व विधायकों की हैं जिन्होंने बीती दस मार्च को ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था। वहीं, तीन अन्य सीटें है जौरा, आगर और ब्यावरा की जो यहां के विधायकों के निधन की वजह से खाली हैं। तीन विधायक बाद में कांग्रेस का दामन छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गए थे जिस वजह से इन सीटों पर भी उपचुनाव होना है। सियासी समीकरणों की बात करें तो विधानसभा में कांग्रेस के पास अभी 88 विधायक है। बहुमत के लिए उसे 116 विधायकों की जरुरत होगी। ऐसे में अगर कांग्रेस को सत्ता में लौटना है तो 28 में से 28 सीटों पर जीत हासिल करनी होगी। जबकि बीजेपी के पास मौजूदा विधायक 107 है और सत्ता में बने रहने के लिए उसे केवल 9 सीटों पर जीत की आवश्यकता है।
Created On :   4 Oct 2020 4:57 PM GMT