कम मार्जिन से हारी सीटों पर बसपा ने लगाया जोर

BSP insists on seats lost by low margin
कम मार्जिन से हारी सीटों पर बसपा ने लगाया जोर
यूपी विधानसभा चुनाव कम मार्जिन से हारी सीटों पर बसपा ने लगाया जोर

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 2022 के विधानसभा चुनाव में खमोशी से सत्ता पाने की जुगत में लगी हुई है। इसीलिए 2017 के विधानसभा चुनाव में कम मर्जिन से हारी सीटों पर काफी फोकस कर रखा है। तकरीबन 200 के आस-पास सीटें हैं, जिनमें बसपा की हार का अंतर मामूली रहा है। इनमें सुरक्षित सीटें भी शामिल हैं। बसपा ने शुरू से ही इन सीटों पर जीत के लिए कसरत शुरू की थी। बसपा मुखिया मायावती ने बकायदे इस क्षेत्र के लिए अलग से पदाधिकारियों को जिम्मेंदारी सौंपी थी।

साथ महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा ने भी सुरक्षित सीटों के साथ सभी कम मार्जिन वाली सीटों का फीडबैक भी बराबर लेते रहे हैं। इसके अलाव मंडल और सेक्टर प्रभारियों ने जातीय गणित की गोट सेट करने पर काफी ध्यान दे रहे हैं। हर छोटी से बड़ी कारण को ढूंढने का प्रयास कर रहे हैं, जिस कारण से उन्हें 2017 में शिकस्त मिली थी।

बसपा के वरिष्ठ नेता ने बताया कि बहुजन समाज पार्टी इस बार बहुत साइलेंट मोड पर काम कर रही है। इस बार उसने ऐसे उम्मींदवारों का चयन किया है जो क्षेत्रीय और जातीय समीकरण में फिट बैठते हों। इनको जिताने के लिए मंडल, जोनल और सेक्टर प्रभारियों ने पूरी ताकत लगा रखी है। सभी पदाधिकारियों से चुनाव तक वहीं पर जमे रहने को भी कहा गया है। बसपा नेता का कहना है कि हमारे प्रत्याशी जीताऊ और टिकाऊ दोनों हैं। मुस्लिम प्रत्याशी पर खासा जोर है। दलित-मुस्लिम-ब्राम्हण की खास सोशल इंजीनियरिंग की गयी है।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में बसपा रामपुर की मनिहारन सीट महज 595 वोटों से हारी थी। इसके अलावा मोहनलालगंज में 530 वोटों से हारी थी। इसी तरह सुल्तानपुर, कादीपुर, मुहम्मदाबाद की गोहना सीट 538 वोट से हारे थे। फेफना, सोनभद्र की दुद्धी, खलीलाबाद, महराजगंज, पिपराइच, पडरौना, घाटमपुर, महराजपुर, कालपी, झांसी, बाराबंकी, बलहा, खड्डा, मंझनपुर, बासगांव, खजनी, फतेहपुर सीकरी, बालामऊ, इगलास, हाथरस, थानाभवन, मीरागंज, मिश्रिख, महादेवा, इटावा, बदलापुर, रायबरेली, सरेनी समेत कई दर्जन ऐसी सीटें हैं जहां पर बसपा दूसरे स्थान पर बहुत कम मर्जिन से चुनाव हारी है।

वरिष्ठ राजनीतिक जामकार प्रसून पांडेय कहते हैं कि बसपा का अपना दलित वोट तो उसके पास रहता ही है। इसके साथ उसकी सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला शायद ही कोई बना पाता हो इस बार भी उनके पास दूसरे लाइन की लीडरशिप का भले ही आभाव हो, लेकिन एक बात देखने को मिली है पश्चिमी यूपी में जितने भी उनके प्रत्याशी हैं।

वह काफी दमदारी से चुनाव लड़ेंगे। क्योंकि जो भी मुस्लिम उम्मीदवार है वह उस इलाके में आर्थिक रूप से काफी मजबूत है। जिनकी पहचान आस-पास के इलाके में बहुत अच्छी है। इसके बाद जो अन्य प्रत्याशी हैं। वह वहां के समाजिक ताने-बाने को बहुत अच्छे समझते हैं। पांडेय का कहना है कि बसपा भले प्रचार की चमक से दूर हो, लेकिन उसे किसी भी दल से कम आंकना जल्दबाजी होगी।

(आईएएनएस)

Created On :   25 Jan 2022 3:00 PM IST

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