नेताओं के गैर-जिम्मेदाराना बयानों से सीमावर्ती अपराधियों के हौसले बुलंद : बीएसएफ

District Mineral Fund is not being used in Gadchiroli!
गड़चिरोली में जिला खनिज निधि का नहीं हो रहा कोई उपयाेग!
कोलकाता नेताओं के गैर-जिम्मेदाराना बयानों से सीमावर्ती अपराधियों के हौसले बुलंद : बीएसएफ

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। राजनेताओं और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं के एक वर्ग के गैर-जिम्मेदाराना बयानों ने सीमावर्ती अपराधियों के हौसले बढ़ा दिए हैं, जो अब पश्चिम बंगाल से लगी भारत-बांग्लादेश सीमा की रक्षा कर रहे सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के जवानों के खिलाफ और अधिक आक्रामक हो गए हैं। बल के पूर्वी कमान ने आईएएनएस को यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में तस्करों के हमलों में बीएसएफ के कम से कम तीन जवानों को गंभीर चोटें आई हैं। इस बीच, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर सुरक्षा को मजबूत करने का निर्णय लिया है।

कुछ दिनों पहले दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के महानिरीक्षक (आईजी) के रूप में कार्यभार संभालने वाले आयुष मणि तिवारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सीमा पर सुरक्षा नियंत्रण उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। यह कुछ ऐसा है जो तृणमूल कांग्रेस (और 2011 से पहले वाम मोर्चा) के नेता नहीं चाहते। सीमावर्ती ग्रामीणों को पर्याप्त सुरक्षा देने में असमर्थ पश्चिम बंगाल की क्रमिक सरकारों ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा (आईबी) के पार मवेशियों, ड्रग्स, सोना, चांदी और फेंसेडिल कफ सिरप की तस्करी जैसी नापाक गतिविधियों की ओर आंखें मूंद ली हैं। बांग्लादेश से अवैध आप्रवासन वोटबैंक में वृद्धि कर रहा है।

उन्होंने कहा, सीमावर्ती ग्रामीणों के खिलाफ बीएसएफ द्वारा कथित अत्याचार के बारे में एक झूठी कहानी प्रसारित की जा रही है कि बीएसएफ बाधा है। मगर तथ्य कुछ और है। यह बीएसएफ है जो इन ग्रामीणों की सहायता के लिए आती है, बीमारों को ले जाने के लिए एंबुलेंस प्रदान करती है। जिन गांवों में एम्बुलेंस या स्वास्थ्य केंद्र नहीं हैं, वहां घायल और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाती है, चिकित्सा शिविरों और नियमित नागरिक कार्रवाई कार्यक्रमों का आयोजन करती है। ये ऐसी चीजें हैं जो राज्य सरकार को बीएसएफ के खिलाफ कटु बयान जारी करने से रोकती हैं। ऐसा लगता है कि नेता राज्य के लोग सीमा पर ग्रामीणों को अपराध की दुनिया में धकेलना चाहते हैं।

तृणमूल कांग्रेस सीमा से 50 किमी अंतर्देशीय तक बीएसएफ की परिचालन सीमा के विस्तार के खिलाफ रही है। नवीनतम फ्लैशप्वाइंट पश्चिम बंगाल के कूचबिहार जिले में बीएसएफ की गोलीबारी में 24 वर्षीय प्रेम कुमार बर्मन की मौत हुई थी। यह घटना दिसंबर 2022 की है।

राजबंशी मतदाताओं को लुभाने के लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी सहित तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने युवाओं को निर्दोष बताया और प्रदर्शनों का आयोजन किया। ममता और अभिषेक दोनों ने दावा किया कि बर्मन के पैर में 180 गोलियां पाई गईं।

अधिकारी ने कहा, वे गोलियां नहीं बल्कि र्छे थे। नेता लोगों को गुमराह कर रहे हैं। बर्मन एक ऐसे गिरोह का हिस्सा था जो आईबी के पार मवेशियों की तस्करी का प्रयास कर रहा था। जब बीएसएफ के एक जवान ने चुनौती दी, तो तस्कारों ने उस पर हमला कर दिया। यह कर्मी एक पंप एक्शन गन ले जा रहा था। तथ्य यह है कि अधिकांश र्छे बर्मन के पैर में फंस गए थे, जो इस तथ्य की ओर इशारा करते हैं कि वह बीएसएफ कांस्टेबल के सबसे करीब था। बर्मन को वहां क्यों होना चाहिए था, अगर वह भीड़ का हिस्सा नहीं था। वह कांस्टेबल पर हावी होने और उसकी सर्विस हथियार छीनने की कोशिश कर रहा था। कांस्टेबल और बर्मन के बीच कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं थी, जिसके कारण पूर्व में गोली चल सकती थी। अगर ऐसा होता, तो उसने सिर या सीने की ओर इशारा किया होता। सैकड़ों ग्रामीण सुबह जल्दी उठें, अंतर्राष्ट्रीय सीमा के साथ अपने खेतों में जाकर अपनी फसलों की जांच करें। वे पाएंगे कि उनके साथ ऐसा कुछ नहीं होता।

गृह मंत्रालय ने संकेत दिया है कि बांग्लादेश में आम चुनाव नजदीक आने के साथ अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत किया जाएगा। इससे बीएसएफ के खिलाफ मनमानी के और आरोप लग सकते हैं।

 

 (आईएएनएस)

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   15 March 2023 8:30 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story