राजस्थान के विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा का जबरदस्त प्लान, इतनी कैटेगरी में सभी सीटों को बांटा, कांग्रेस को मात देने के लिए है पूरी जद्दोजहद
डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी अपनी कमर कस चुकी हैं। साल 2018 में मिली हार को पार्टी हाईकमान एनालिसिस करने में जुट गई है। पार्टी अपने वरिष्ठ नेताओं के साथ बातचीत करते हुए राजस्थान में अपनी पकड़ बनाने की रणनीति तैयार कर रही है। इसके अलावा बीजेपी प्रदेश के अलग-अलग विधानसभा सीटों को पांच जोन में बांट कर मंथन कर रही है। बीजेपी कांग्रेस की गलत रणनीतियों को भुना कर राज्य के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए पूरी जद्दोजहद कर रही है। हालांकि, भाजपा को पूरी तरह अनुमान है कि राज्य की सत्ता में आने से पहले विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करना होगा। इसी बात का ध्यान में रखते हुए पार्टी अध्यक्ष समेत केंद्रीय मंत्री राज्य की हर विधानसभा सीट का विश्लेषण करने में जुट गए हैं और तमाम विधानसभा सीट को तीन कैटेगरी में बांट दिया गया है।
भारतीय जनता पार्टी राजस्थान के प्रत्येक सीट पर अपनी पैनी नजर बनाई हुई है। हाईकमान राजस्थान की तीन विधानसभा चुनावों के नतीजों का विश्लेषण कर रहे हैं।
- पहला साल 2008 के विधानसभा चुनाव के नतीजे
- दूसरा 2013 के विधानसभा चुनाव
- तीसरा 2018 के विधानसभा चुनाव
इन तीनों विधानसभा चुनाव में भाजपा तमाम पहलुओं पर चर्चा कर रही है और बीते तीन विधानसभा चुनाव में किन-किन सीटों पर पहली बार हारी दूसरी बार पार्टी को कितने वोट से शिकस्त मिली- इन तमाम पहलुओं पर पार्टी विचार विमर्श कर रही है। इसके लिए पार्टी हाईकमान ने दो दिग्गज नेताओं को कमान सौंप दी है। जिनका नाम वासुदेव देवनानी और प्रदेश उपाध्यक्ष नारायण सिंह देवल है। ये दोनों नेता प्रदेश की राजनीति में काफी सक्रिय रहते हैं और कांग्रेस को समय-समय पर घेरने का काम करते हैं। इसलिए पार्टी हाईकमान ने विश्वास जताते हुए दोनों नेताओं को यह जिम्मेदारी दी है।
5 कैटेगरी में बांटा
राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों को भाजपा ने 5 कैटेगरी में बांटा है। हर कैटेगरी के लिए जीत की अलग-अलग रणनीति तय की गई है। प्रदेश के सबसे कमजोर सीटों पर भाजपा अपने केंद्रीय मंत्रियो सहित राज्य के नेताओं के साथ उतरने का प्लान बना रही है। वहीं जिन सीटों पर पार्टी मजबूत है लेकिन मौजूदा विधायकों के प्रति लोगों में खासा नाराजगी है। उन सीटों पर हाईकमान चेहरे बदलने का प्लान कर रही है। साल 2018 के चुनाव से पहले टिकट न मिलने पर कुछ बड़े नेताओं ने बगावत कर दी थी और फिर पार्टी छोड़ दी। तजुर्बेकार नेताओं के जाने से पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। अब पार्टी उन्हीं नेताओं को साधने में लगी है ताकि विधानसभा चुनाव में पार्टी को ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके।
कैटेगरी-1 में राजस्थान की वो सीटें मौजूद हैं जहां भाजपा को तीन विधानसभा चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है-
जोधपुर, बिलाड़ा, नोहर, खाजूवाला, बीकानेर वेस्ट, तारानगर, पिलानी, खंडेला, विराटनगर, शाहपुरा, झोटवाड़ा, किशनपोल, आदर्शनगर, चाकसू, किशनगढ़बास, बहरोड, थानागाजी, रामगढ़, कठुमर, नगर, भरतपुर, नदबई, वैर, बयाना, बसेड़ी, मेड़ता, डेगाना, परबतसर, मारवाड़ जंक्शन, लोहावट, शेरगढ़, भोपालगढ़, जैसलमेर, सिरोही, प्रतापगढ़, भीम, नाथद्वारा
भाजपा की रणनीति
भारतीय जनता पार्टी इन तमाम 37 सीटों को संवेदनशील मान कर चल रही है। पार्टी को इन सभी विधानसभा सीटों से इस बार काफी उम्मीदे हैं क्योंकि बीजेपी को विश्वास है कि पार्टी इस बार यहां अच्छा प्रदर्शन कर सकती है। पार्टी इन इलाकों में केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव प्रचार करने के लिए भेजने वाली है। ताकि सभी सीटों पर पार्टी अच्छा प्रदर्शन कर सके। जिसे आगामी विधानसभा चुनाव को अपने पाले में लाया जा सके और एक बार फिर रेगिस्तान में कमल खिल सके।
कैटगरी-2 में 58 सीटों पर मथापच्ची, 2008 में पार्टी की हार, 2013 में जीत और फिर 2018 के विधानसभा चुनाव में हार
करणपुर, हनुमानगढ़, भादरा, श्रीडूंगरगढ़, सुजानगढ़, धोद, नीमकाथाना, श्रीमाधोपुर, दूदू, जमवारामगढ़, हवामहल, सिविल लाइंस, बगरू, तिजारा, अलवर ग्रामीण, कामां, हिंडौन, बांदीकुई, महुवा, दौसा, गंगापुरसिटी, बामनवास, सवाई माधोपुर, खंडार, निवाई, टोंक, देवली-उनियारा, किशनगढ़, मसूदा, केकड़ी, लाडनूं, डीडवाना, जायल, नावां, ओसियां, लूणी, पोकरण, शिव, बायतू, पचपदरा, गुढ़ामालानी, चौहटन, खैरवाड़ा, डूंगरपुर, सागवाड़ा, चौरासी, बांसवाड़ा, कुशलगढ़, बेगूं, निंबाहेड़ा, मांडल, सहाड़ा, पीपल्दा, सांगोद, कोटा नोर्थ, अंता, किशनगंज, बारां-अटरू।
भाजपा की रणनीति
भारतीय जनता पार्टी इन तमाम सीटों को बड़ी ही अहम मान रही है। क्योंकि पार्टी को लगता है कि अगर इन 58 सीटों पर आगामी विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन कर लेती है तो सरकार बनाने में अपना पहला कदम रख सकती है। इन तमाम सीटों पर साल 2013 में भाजपा को जीत मिली थी। जिसका मुख्य कारण रहा कांग्रेस सरकार के खिलाफ एंटीइनकमबेंसी। हालांकि, अब की बात करे तो इन सभी सीटों पर बीजेपी के कैंडिडेट काफी कमजोर नजर आ रहे हैं। इसलिए इन सभी सीटों पर भाजपा अपने केंद्रीय मंत्रियों को उतारने का प्लान बना रही है ताकि चुनाव में केंद्रीय मंत्रियों की लोकप्रियता से वोटर्स को साधा जा सके। जिसे पार्टी को फायदा सीधे तौर पर मिले।
कैटेगरी-3 इन 31 सीटों पर 2013-18 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने काफी बेहतर प्रदर्शन किया था।
सूरतगढ़, अनूपगढ़, सांगरिया, चुरू, मालपुरा, पुष्कर, नसीराबाद, जैतारण, सुमेरपुर, फलौदी, आहोर, जालोर, रानीवाड़ा, पिंडवाड़ा-आबू, गोगूंदा, उदयपुर ग्रामीण, मावली, सलूंबर, धरियावद, आसपुर, घाटोल, गढ़ी, कपासन, चितौड़गढ़, बड़ी सादड़ी, शाहपुरा (भीलवाड़ा), मांडलगढ़, केशोरायपाटन, छबड़ा, डग, मनोहरथाना।
भाजपा की रणनीति
बता दें कि, इन तमाम सीटों पर भाजपा साल 2008 में हार गई थी। लेकिन 2013 और 2018 में इन 31 सीटों पर पार्टी का काफी बेहतर परफॉर्मेंस रहा था और अपने विरोधी कांग्रेस से काफी मार्जिन के साथ इन सभी सीटों पर जीत हासिल भी की थी। दो बार से लगातार जीत रही भाजपा को यहां थोड़ी राहत है। लेकिन पार्टी मौजूदा विधायकों को लेकर सभी सीटों पर सर्वेक्षण करा रही है। अगर इन विधायकों के खिलाफ क्षेत्र में एंटीइनकमबेंसी नजर आई तो उनका पता कट सकता है और दूसरे को मौका दिया जाएगा।
कैटगरी- 4 राजस्थान विधानसभा के 19 सीट ऐसे भी है जहां पर पार्टी को पिछले तीन विधानसभा चुनाव में जीत नसीब नहीं हुई है।
बस्सी, बागीदोरा, वल्लभनगर, सांचौर, बाड़मेर, सरदारपुरा, लालसोट, सिकराय, सपोटरा, टोडाभीम, बाड़ी, राजगढ़-लक्ष्मणगढ़, कोटपूतली, दांतारामगढ़, लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर, खेतड़ी, नवलगढ़, झुन्झुनूं।
भाजपा की रणनीति
ये वैसी विधानसभा सीटे हैं जहां भाजपा को हर बार विरोधी टीम से हार का मुंह देखना पड़ा है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, यह सभी 19 सीटें जातीय समीकरण के आधार पर ही अब तक जीती जा रही हैं। इसलिए हर बार भाजपा हार जाती है। बीजेपी इस बार इन सीटों पर जातीय समीकरण बैठाने में लगी हुई है। इस बार पार्टी हाईकमान केंद्रीय नेताओं और राज्यों के मुख्यमंत्रियों से चुनाव प्रचार कराने के लिए विचार विमर्श कर रही है। ताकि तीन बार के सूखे को जीत में तब्दील किया जा सके।
कैटगरी- 5 200 विधानसभा सीटों में से इन 28 सीटों पर तीन बार से भाजपा जीतती चली आ रही है
बीकानेर ईस्ट, रतनगढ़, फुलेरा, विद्याधरनगर, मालवीयनगर, सांगानेर, अलवर शहर, अजमेर नोर्थ, अजमेर साउथ, ब्यावर, नागौर, सोजत, पाली, बाली, सूरसागर, सिवाना, भीनमाल, रेवदर, उदयपुर, राजसमंद, आसींद, भीलवाड़ा, बूंदी, कोटा साउथ, लाडपुरा, रामगंजमंडी, झालरापाटन, खानपुर।
रणनीति
भारतीय जनता पार्टी इन 28 सीटों पर अभी भी मजबूत स्थिति में है और पार्टी इन सीटों पर जीत को लेकर आश्वस्त दिखाई दे रही है। इन 28 सीटों में उदयपुर की सीट भी मौजूद है। जिस पर भाजपा नेता गुलाबचंद कटारिया ने साल 2018 में जीत दर्ज की थी। लेकिन अब उन्हें असम राज्य का राज्यपाल बना दिया गया है। जिससे तय है कि इस सीट पर नए चेहरे को मौका दिया जाएगा। पार्टी ने इन सीटों के लिए बुजुर्ग नेताओं के पत्ते काट नए युवा नेताओं को मौका देने का सोच रही है। इसके अलावा इन सीटों पर पीएम मोदी और कैबिनेट मंत्रियों की रैलियां होने की पूरी संभवना जताई जा रही है। ताकि भूले भटके वोटर्स को भी साधा जा सके।
भाजपा ने झोंकी ताकत
भारतीय जनता पार्टी हमेशा से चुनाव को करो मरो की स्थिति से लड़ती हुई दिखाई देती है पंचायती चुनाव से लेकर आमचुनाव तक पार्टी अपनी सारी ताकत झोंक देती है। राजस्थान के विधानसभा चुनाव में भाजपा की सक्रियता कांग्रेस का टेंशन बढ़ा सकती है। हालांकि, पार्टी ने 5 कैटेगरी में सभी विधानसभा सीटों को बांट कर रणनीति तो बना ली है लेकिन अब देखना होगा कि चुनाव में उसे कितना फायदा मिलता है।
Created On :   1 March 2023 4:15 PM IST