सबसे मजबूत गढ़ में भाजपा की चुनावी तैयारी

BJPs election preparation in the strongest stronghold
सबसे मजबूत गढ़ में भाजपा की चुनावी तैयारी
गुजरात सबसे मजबूत गढ़ में भाजपा की चुनावी तैयारी

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गुजरात को भाजपा का सबसे मजबूत गढ़ के साथ-साथ भाजपा की प्रयोगशाला भी माना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य होने के कारण भी गुजरात भाजपा के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। सबसे बड़ी बात यह है कि वर्ष 1995 से लेकर भाजपा लगातार यहां से चुनाव जीत रही है। इस वर्ष के अंत में गुजरात में विधान सभा चुनाव होने जा रहे हैं लेकिन लगातार चुनाव जीतने वाली भाजपा अपने सबसे मजबूत गढ़ को लेकर भी कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। इसलिए पार्टी ने जोर-शोर से गुजरात में इस वर्ष के अंत में होने वाले विधान सभा चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर दी है।

भाजपा अपनी चुनावी रणनीति को इस तरह से जमीन पर उतारने की कोशिश कर रही है कि 2017 के विधान सभा चुनाव की तरह इस बार कांग्रेस उसे चुनौती नहीं दे सके और भाजपा के पक्ष में पिछले विधान सभा चुनाव की तुलना में बेहतर नतीजे आ सके। दरअसल, गुजरात में भाजपा 1995 से लगातार सत्ता में है। 2001 में नरेंद्र मोदी के राज्य के मुख्यमंत्री बनने के बाद से भाजपा राज्य में अजेय हो गई लेकिन 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बन कर दिल्ली आ जाने के बाद से ही गुजरात में भाजपा संभल नहीं पा रही है।

1995, 1998, 2002, 2007 और 2012 के लगातार 5 विधान सभा चुनावों में भाजपा राज्य की कुल 182 विधान सभा सीटों में से 115 से लेकर 127 के बीच सीटें जीतकर सरकार बनाती रही है, लेकिन 2014 में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद हुए 2017 के विधान सभा चुनाव में भाजपा 100 से भी नीचे पहुंच गई। 2017 में भाजपा को महज 99 सीटों पर ही जीत हासिल हो पाई। इस चुनाव में कांग्रेस को 77 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। मतदान प्रतिशत की बात करें तो भाजपा को 49 प्रतिशत मतदाताओं का समर्थन मिला था जबकि कांग्रेस ने भी 41.5 प्रतिशत वोट लेकर भाजपा को राज्य में कड़ी टक्कर दी थी।

अपने सबसे मजबूत गढ़ में मिले इस झटके के बाद मौका मिलते ही भाजपा ने राज्य में मुख्यमंत्री के साथ-साथ पूरी सरकार को ही बदल डाला। अब भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती 2022 के आखिर में राज्य में होने वाले चुनाव में फिर से 115 से ज्यादा सीटें जीतकर शानदार बहुमत के साथ लगातार 7वीं बार सरकार बनाने की है। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री एवं गुजरात से लोक सभा सांसद अमित शाह और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जोर-शोर से गुजरात को लेकर तैयारी शुरू कर दी है और लगातार राज्य का दौरा भी कर रहे हैं।

हाल ही में पांच राज्यों के 10 मार्च को आए चुनावी नतीजे के अगले ही दिन 11 मार्च को प्रधानमंत्री दो दिवसीय गुजरात यात्रा के दौरान अहमदाबाद में रोड शो और पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित प्रतिनिधियों की एक बड़ी रैली को संबोधित करते नजर आए, तो वहीं अप्रैल में भी अपने तीन दिवसीय दौरे के दौरान उन्होंने राज्य की जनता को कई सौगातें दी। गुजरात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर भाजपा को अजेय बनाने वाले गृह मंत्री अमित शाह भी लगातार प्रदेश का दौरा कर सभाएं कर रहे हैं और पार्टी नेताओं के साथ बैठक कर चुनावी रणनीति भी बना रहे हैं।

भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी शुक्रवार को गुजरात के प्रदेश कार्यालय पहुंच कर प्रदेश के चुनाव समिति के सदस्यों, प्रदेश से जुड़े भाजपा के सभी सांसदों, भाजपा के सभी विधायकों, महानगर परिषद के महापौरों, उप-महापौरों, स्टैंडिग कमेटी के चेयरमेनों, जिला परिषद अध्यक्षों के साथ-साथ पार्टी के पूर्व सांसदों एवं विधायकों के साथ चुनावी रणनीति को लेकर महत्वपूर्ण बैठक की तो वहीं शुक्रवार शाम को ही मुख्यमंत्री आवास पर प्रदेश कोर कमेटी एवं प्रदेश चुनाव समिति के सभी नेताओं के साथ बैठक कर प्रदेश के राजनीतिक हालात और चुनावी रणनीति पर अलग से चर्चा की।

गुजरात पहुंचे नड्डा ने एक बार फिर से स्पष्ट शब्दों में सभी को यह बता दिया कि गुजरात शासन और संगठन से जुड़े मामलों में भाजपा के लिए एक प्रयोगशाला है। उन्होंने पार्टी के दिगग्ज नेताओं को यह भी साफ-साफ बता दिया कि पिछले साल तत्कालीन मुख्यमंत्री रूपाणी और उनके मंत्रिपरिषद का इस्तीफा और उसके बाद भूपेन्द्र पटेल के नेतृत्व में नई सरकार का गठन, पार्टी की विशेष रणनीति के तहत किया गया एक प्रयोग था ।

आपको बता दें कि पिछले कई दशकों से राज्य में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होता आया है लेकिन पंजाब की जीत से उत्साहित आम आदमी पार्टी ने भी राज्य के विधान सभा चुनाव को लेकर जोर-शोर से तैयारी शुरू कर दी है। 2017 के विधानसभा चुनाव में तीन सीटें जीतने वाले भारतीय ट्राइबल पार्टी के साथ गठबंधन कर केजरीवाल, राज्य में भाजपा को चुनौती देने का प्रयास कर रहे हैं तो वहीं 2017 के विधान सभा चुनाव में भाजपा को 100 से नीचे पहुंचाने में कामयाब होने वाली कांग्रेस भी राज्य में 27 वर्षों के वनवास को खत्म करने के लिए रणनीति बनाने में जुटी हुई है।

कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की चुनौतियों को खारिज करने की रणनीति के तहत भाजपा एक साथ कई मोचरें पर काम कर रही है। संगठन के स्तर पर पार्टी के सभी नेताओं को एकजुट होकर बदलाव स्वीकार करने और फिर से राज्य में भाजपा की सरकार बनाने के लिए मिलकर चुनाव लड़ने का मंत्र दिया जा रहा है। राज्य की सभी 182 विधान सभा सीटों के मतदाताओं और लाभार्थियों तक पहुंचने के लिए बनाई गई रणनीति को आने वाले दिनों में जमीनी धरातल पर उतारने का प्रयास किया जाएगा। इसके साथ ही चुनावी जीत-हार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले राज्य के पाटीदार, दलित और आदिवासी मतदाताओं को भी लुभाने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।

(आईएएनएस)

Created On :   1 May 2022 1:01 PM IST

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