चबंल में चुनावी हार के बाद बीजेपी के दिग्गज नेता के निशाने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया, ग्वालियर में मिली शर्मनाक हार पर सुनाई खरी खरी

BJP senior leader Vijayvargiya targeted Scindia after the election defeat in Chabal
चबंल में चुनावी हार के बाद बीजेपी के दिग्गज नेता के निशाने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया, ग्वालियर में मिली शर्मनाक हार पर सुनाई खरी खरी
निशाने पर सिंधिया चबंल में चुनावी हार के बाद बीजेपी के दिग्गज नेता के निशाने पर ज्योतिरादित्य सिंधिया, ग्वालियर में मिली शर्मनाक हार पर सुनाई खरी खरी

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्यप्रदेश के महापौर चुनाव में भाजपा को काफी नुकसान उठाना पड़ा है, बीजेपी 16 सीटों में से सात सीटों पर मात खा चुकी है। इससे पहले भाजपा के खाते में 16 सीटें  थी। चुनावी परिणामों में सीटें गंवाने के बाद भाजपा में  समीक्षा करने की बात कही जा रही  है। बीजेपी ने ग्वालियर और मुरैना मेयर की सीट गंवा दी हैं। 

 बीजेपी में हार की सबसे अधिक बातें चंबल -ग्वालियर इलाके की जा रही है, जहां बीजेपी हमेशा से मजबूत स्थिति में मानी जाती रही हैं। विजयवर्गीय का कहना है कि जब सिंधिया कांग्रेस में थे, तब बीजेपी ग्वालियर-चंबल-मुरैना में मजबूत स्थिति में थी। वहां से हर चुनाव में अधिकतर सीटों पर जीतती रही थी।  माधवराव सिंधिया के समय में भी भाजपा वहां  जीतती रही है।  बीजेपी नेता का मानना है कि इस बार के परिणामों ने भाजपा को नए सिरे से सोचने पर मजबूर जरूर किया है।  हालांकि इस दौरान उन्होंने किसी भी तरह की गुटबाजी होने की बात को नकारा है। 

ग्वालियर क्षेत्र में मिली हार को लेकर एक निजी चैनल से बात करते हुए बीजेपी राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने यहां मिली हार को अकल्पनीय बताया है।  विजयवर्गीय ने आगामी चुनावों के लिए  नगर सरकार के चुनाव परिणाम और ग्वालियर में स्थिति को अलार्मिंग बताया है। क्योंकि बीजेपी में एक ताकतवर  ग्रुप के जुड़ने के बाद भी पार्टी यहां हार गई इस पर विचार करने की आवश्यकता है। और हार की वजह तलाशना पड़ेगी।  

मध्यप्रदेश नगरीय निकाय चुनाव के नतीजों को लेकर भले ही भाजपा जश्न मना रही है, लेकिन जश्न से इतर बीजेपी के दिग्गज नेता कैलाश विजयवर्गीय ने संगठन, सत्ता, और सिंधिया पर वार किया है।

वैसे आपको बता दें विजयवर्गीय की बातों पर गौर करें तो ये बात हकीकत नजर आती है कि ग्वालियर- चंबल इलाके से 2 केंद्रीय कैबिनेट मंत्री से लेकर बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष और राज्य सरकार में दर्जनभर मंत्री इस इलाके से आते है, फिर भी बीजेपी मनमुताबिक परिणामों में कहा पीछे रह गई,और  ग्वालियर मुरैना मेयर  कुर्सी हार गई।  इलाके में सरकार के साथ साथ संगठन को इस बात की समीक्षा करने की जरूरत है, और संगठन समीक्षा करेगा। 

विजयवर्गीय के इन बयानों को विरोधी पक्ष के साथ साथ राजनीतिक विशेषज्ञ सिंधिया पर हमला मान रहे है, क्योंकि पहले भी जब सिंधिया बीजेपी में आए थे, तब कैलाश विजयवर्गीय और सिंधिया के बीच पटरी बैठने में काफी समय लगा। 

वैसे आपको बता दें ग्वालियर महापौर सीट पर कांग्रेस ने 57 साल बाद विजयी फताका लहराया हैं। इससे पहले 1965-1966 में कांग्रेस के विष्णु माधव भागवत मेयर रहे थे। उसके बाद से भाजपा ही कब्जा रहा है।

 

 

 

Created On :   22 July 2022 2:07 PM IST

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