बीजेपी फैक्ट फाइंडिंग टीम ने सीबीआई जांच की सिफारिश की

BJP fact finding team recommends CBI probe
बीजेपी फैक्ट फाइंडिंग टीम ने सीबीआई जांच की सिफारिश की
नबन्ना चलो मार्च हिंसा बीजेपी फैक्ट फाइंडिंग टीम ने सीबीआई जांच की सिफारिश की
हाईलाइट
  • जांच कराये जाने की मांग

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ममता शासन वाले राज्य पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नबान्न चलो रैली के दौरान पुलिस और पार्टी सदस्यों के बीच हुई झड़प की जांच करने वाली एक समिति ने राज्य पुलिस पर तृणमूल कांग्रेस के इशारे पर कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए संबंधित हिंसा की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से जांच कराये जाने की मांग की है। भाजपा की पांच-सदस्यीय टीम ने शनिवार को पार्टी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

समिति ने सिफारिश की कि पूरे प्रकरण की केंद्रीय एजेंसी सीबीआई द्वारा जांच की जानी चाहिए। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को भी कोलकाता पुलिस और तृणमूल कांग्रेस के गुंडों द्वारा मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन और बर्बरता की जांच के लिए कोलकाता आना चाहिए। इससे पहले, 13 सितंबर को नबन्ना चलो अभियान के दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का गठन किया गया था।

फैक्ट फाइंडिंग टीम ने पश्चिम बंगाल के पार्टी कार्यकतार्ओं से लंबी बातचीत की। साथ ही कुछ गैर-राजनीतिक लोगों के साथ-साथ हरे स्ट्रीट पुलिस स्टेशन के एसएचओ और उनके सहयोगियों जैसे कुछ कार्यकारी अधिकारियों से भी बात की। समिति को पता चला कि पश्चिम बंगाल की वर्तमान सरकार के भ्रष्ट तरीकों के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में भाग लेने का इरादा रखने वाले भाजपा कार्यकतार्ओं से निपटने के दौरान राज्य सरकार की मशीनरी द्वारा सत्ता और अधिकार का क्रूर दुरुपयोग किया गया है।

फैक्ट-फाइंडिंग टीम लेखक लॉर्ड एक्टन के इस विचार को स्वीकार करती है कि, सत्ता मनुष्य को भ्रष्ट करती है और पूर्ण शक्ति पूर्ण रूप से भ्रष्ट करती है। अधिकारियों का नाम लेते हुए रिपोर्ट में कहा गया है, सिद्धनाथ गुप्ता, आईपीएस, दमयंती सेन, आईपीएस और प्रवीण कुमार त्रिपाठी, आईपीएस को सार्वजनिक रूप से अपने कर्तव्यों की अनदेखी करते हुए और भाजपा कार्यकतार्ओं के खिलाफ पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करते देखा गया। उनकी निष्क्रियता राज्य सरकार द्वारा सोची-समझी साजिश की ओर इशारा करती है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस अधिकारियों ने बिना किसी नाम टैग के चेहरे को ढककर क्रूर और अद्वितीय हिंसा की थी और जिनमें से कई टीएमसी के गुंडों के साथ बिना पुलिस के कपड़ों में थे। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार, 14 सितंबर को तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने नबन्ना चलो मार्च के दौरान भाजपा कार्यकतार्ओं को निशाना बनाने के लिए पुलिस के प्रयासों की खुलकर तारीफ की। इसके अलावा, राष्ट्रीय टीवी पर अभिषेक बनर्जी ने कोलकाता के कुछ पुलिस अधिकारियों पर कथित हमले का जिक्र करते हुए लापरवाही से कहा कि अगर वह मौजूद होते तो उन्होंने प्रदर्शनकारियों के सिर में गोली मार दी होती।

टीएमसी पार्टी के सेकेंड-इन-कमांड का यह बयान उनकी पार्टी की फासीवादी मानसिकता के साथ-साथ इस तथ्य को भी प्रकट करता है कि 13 सितंबर को राज्य पुलिस द्वारा बल के अवैध और क्रूर उपयोग को राजनीतिक आकाओं की मंजूरी थी।

आईएएनएस

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Created On :   25 Sept 2022 12:30 AM IST

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