बिहार विधानसभा चुनाव 2020: मतदाताओं को नहीं भाए छोटे दल

Bihar elections: small parties not liked by voters
बिहार विधानसभा चुनाव 2020: मतदाताओं को नहीं भाए छोटे दल
बिहार विधानसभा चुनाव 2020: मतदाताओं को नहीं भाए छोटे दल
हाईलाइट
  • बिहार चुनाव: मतदाताओं को नहीं भाए छोटे दल

डिजिटल डेस्क, पटना, 10 नवंबर (आईएएनएस)। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के मैदान में ऐसे तो पांच नेता मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में चुनावी मैदान में थे, लेकिन मंगलवार को मतगणना के प्रारंभिक दौर में मिल रहे रूझानों से स्पष्ट है कि बिहार के मतदाताओं ने छोटे दलों को सिरे से खारिज कर दिया है। इस चुनाव में कई छोटी पार्टियां अन्य दलों से मिलकर गठबंधन भी बनाकर खुद को विकल्प के तौर में पेश कर मतदाताओं को रिझाने का प्रयास किया, लेकिन उनमें मतदाताओं से दिलचस्पी नहीं दिखाई और उनकी दावेदारी को सिरे से नकार दिया।

मतगणना के दौरान मिल रहे प्रारंभिक रूझानों से स्पष्ट है कि छोटे दलों को 12 से 15 से अधिक सीटें नहीं मिलेगी। कुछ नई छोटी पार्टियां तो कई पुरानी थीं। कई ऐसी पार्टियां भी थीं जो अन्य प्रदेशों में तो बड़ी भूमिका में हैं, लेकिन बिहार में मतदाता उन्हें नकारते नजर आ रहे हैं। वैसे, फिलहाल रूझान ही सामने आए हैं, परिणाम आने में अभी देर है।

इस चुनाव में पुष्पम प्रिया चौधरी की प्लूरल्स पार्टी बिहार में बदलाव को लेकर चुनाव मैदान में उतरी थी। पुष्पम प्रिया चौधरी ने खुद को मुख्यमंत्री का दावेदार बताया है और खुद भी दो सीटों से चुनाव लड़ रही हैं। प्रारंभिक रूझानों में दोनों सीटों से ये काफी पिछड़ती नजर आ रही हैं।

इस चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने भी छह दलों को साथ लेकर एक गठबंधन बनाकर चुनाव मैदान में उतरे। रालोसपा ने खुद 130 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे, लेकिन प्रारंभिक रूझानों में रालोसपा के प्रत्याशी पिछड़ते नजर आ रहे हैं। इसके अलावा रालोसपा की सहयोगी पार्टी बसपा और एआईएमआईएम के दो-तीन प्रत्याशी चुनावी मैदान में अभी टक्कर में बने हुए हैं।

इसके अलावा पूर्व सांसद पप्पू यादव की पार्टी जन अधिकार पार्टी ने भी आजाद समाज पार्टी, बहुजन मुक्ति पार्टी, सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया, लोकतांत्रिक जनता दल समेत कई छोटी पार्टियांे को मिलकार एक गठबंधन बनाकर चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन इन पर भी मतदाताओं ने विश्वास नहीं जताया। पप्पू स्वयं मधेपुरा से पीछे चल रहे हैं। पप्पू यादव को गठबंधन ने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया। झारखंड में सत्ताधारी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा भी यहां चुनाव लड़ रही है, लेकिन वे भी अब तक आए रूझानों में काफी पीछे हैं।

 

 

Created On :   10 Nov 2020 4:01 PM IST

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