बंगाल के राज्यपाल ने नागरिक समाज, बुद्धिजीवियों से हिंसा और भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध जताने की अपील की

Bengal Governor appeals to civil society, intellectuals to protest against violence and corruption
बंगाल के राज्यपाल ने नागरिक समाज, बुद्धिजीवियों से हिंसा और भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध जताने की अपील की
पश्चिम बंगाल सियासत बंगाल के राज्यपाल ने नागरिक समाज, बुद्धिजीवियों से हिंसा और भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध जताने की अपील की

डिजिटल डेस्क, कोलकाता। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने बुधवार को नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) के सदस्यों और बुद्धिजीवियों से राज्य में जारी हिंसा और भ्रष्टाचार के खिलाफ विरोध करने की अपील की। श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद, धनखड़ ने कहा कि तुष्टिकरण की राजनीति और सांप्रदायिकता को संरक्षण देना पश्चिम बंगाल के लिए अब दो सबसे बड़े खतरे हैं।

राज्यपाल ने कहा, भारत का संविधान उपचार और अधिकारों में समानता की बात करता है। केंद्र सरकार बिल्कुल ऐसा ही कर रही है, लेकिन पश्चिम बंगाल मानवाधिकारों और लोकतंत्र के विनाश के लिए एक प्रयोगशाला बन गया है। मैं बुद्धिजीवियों और नागरिक समाज के सदस्यों से अपील करता हूं कि वे जबरन वसूली, भ्रष्टाचार और हिंसा की इस संस्कृति के खिलाफ अपनी नींद से बाहर आएं। मुझे उनकी चुप्पी से गहरा दुख हुआ है।

उन्होंने यह भी बताया कि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भी एक बार देखा था कि पश्चिम बंगाल में सिंडिकेट की ज्यादती और जबरन वसूली की घटनाएं बड़े पैमाने पर हो गई हैं। राज्यपाल ने कहा, यह उचित समय है, सभी अच्छी समझ रखने वाले लोगों को एक साथ आना चाहिए और इस तरह के खतरों का विरोध करना चाहिए। इस अवसर पर बोलते हुए, राज्यपाल ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भारत माता के सच्चे शहीद और सच्चे देशभक्त के रूप में वर्णित किया।

धनखड़ ने कहा, जम्मू एवं कश्मीर भारत का एक अविभाज्य हिस्सा है। एक स्थिति लगभग विकसित हो गई थी कि जम्मू और कश्मीर भारत से अलग होने वाला है। यह उनका ही दर्शन (फिलॉस्पी) था जिसके परिणामस्वरूप धारा 370 को समाप्त कर दिया गया था। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के कारण ही पश्चिम बंगाल का जन्म हुआ था। राज्यपाल की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, तृणमूल कांग्रेस के दिग्गज नेता और तीन बार के लोकसभा सदस्य सौगत रॉय ने कहा कि यह कोई नई बात नहीं है कि राज्यपाल एक विशेष राजनीतिक दल के प्रवक्ता की तरह व्यवहार कर रहे हैं।

रॉय ने कहा, वह संवैधानिक सीमाओं से परे काम कर रहे हैं और एक तरह से राज्यपाल की कुर्सी की छवि खराब कर रहे हैं। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के प्रति हमारे मन में बहुत सम्मान है। मुझे लगता है कि राज्यपाल का पद एक सफेद हाथी के अलावा और कुछ नहीं है और इस पद को तुरंत समाप्त कर दिया जाना चाहिए। मैं मुझे यकीन है कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने भी इसी तरह की राय व्यक्त की होगी।

 

(आईएएनएस)

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   6 July 2022 4:01 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story