बाहुबली मुख्तार नहीं लड़ेंगे चुनाव, बेटे अब्बास अंसारी ने किया नामांकन
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में दूसरे चरण के 9 जिलों की 55 सीटों पर मतदान 14 फरवरी को खत्म हुआ। सोमवार को 55 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत मतदाताओं ने ईवीएम में कैद कर दी है। सभी राजनीतिक दल सत्ता में वापसी को लेकर पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरे हैं तथा पश्चिमी यूपी के साथ पूर्वांचल को साधने की कोशिश तेज है। सोमवार को मऊ सदर की परंपरागत सीट से मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी ने सपा गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर सोमवार को नामांकन दाखिल किया।
जिसके बाद से यूपी की सियासत में हलचल मच गई है। बता दें कि अभी तक यही कयास लगाए जा रहे थे कि जेल में बंद बाहुबली मुख्तार अंसारी मऊ सदर सीट से चुनाव लड़ेंगे। लेकिन ऐन मौके पर सपा गठबंधन ने उनके बेटे को उसी सीट से उतार कर सभी को चौंका दिया। गौरतलब है कि मुख्तार अंसारी वर्ष 1996 से लगातार पांच बार से इस सीट से विधायक रहे हैं। इस बार बीजेपी ने मऊ सदर से अशोक सिंह को, बसपा ने भीम राजभर को और कांग्रेस ने माधवेंद्र बहादुर सिंह को उतारा है। जानकारों के मुताबिक मऊ सदर सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।
पिता ने मुझे विरासत सौंपी है
गौरतलब है कि बाहुबली मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी 2017 विधानसभा चुनाव में घोसी से बसपा के टिकट पर किस्मत आजमा चुके हैं, लेकिन बीजेपी के फागू चौहान से हार का सामना करना पड़ा था। सुभासपा पार्टी से पर्चा दाखिल करने के बाद जब अब्बास अंसारी से पिता मुख्तार अंसारी के चुनाव नहीं लड़ने के कारणों पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि देश का लोकतंत्र आज खतरे में है। मेरे पिता के खिलाफ साजिश रची जा रही थी। जिसकी वजह से वो नामांकन दाखिल नही कर पाए। ऐसी स्थिति में मेरे पिता ने मुझे विरासत सौंपी है और मैं इसे आगे बढ़ाने में कोई कसर नहीं छोडूंगा।
सपा गठबंधन ने इसलिए नहीं मुख्तार को लड़ाया
अब्बास भले ही अपने पिता मुख्तार अंसारी के चुनाव नहीं लड़ने के लिए इशारों-इशारों में प्रदेश सरकार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन माना जा रहा है कि बीजेपी की घेरेबंदी से बचने के लिए सपा गठबंधन ने यह रास्ता निकाला है। भाजपा मुख्तार अंसारी को लेकर लगातार सपा पर हमलावर है। हर चुनावी मंच पर बीजेपी पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा से लेकर सीएम योगी और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भाषणों में माफिया और गुंडाराज को लेकर सपा को घेर रहे हैं। बीजेपी के आक्रामक रुख को देखते हुए मुख्तार की जगह उनके बेटे अब्बास को उतारने का फैसला माना जा रहा है।
माना जा रहा है इसी कारण सपा बैकफुट पर आई और मुख्तार के बेटे को मऊ सदर सीट से उतारा है। सपा को इस बात की आशंका है कि अगर वह मुख्तार अंसारी को उतराती है तो बीजेपी और भी हमलावर होगी जिससे पार्टी की काफी छवि धूमिल होगी जिसका असर विधानसभा चुनाव पर पड़ सकता है। बीजेपी को चुनावी मुद्दा बनाने का मौका सपा नहीं देना चाहती है। सपा को ये भी पता था कि अगर मुख्तार को उतारा तो हिंदू और मुस्लिम मुद्दा भी हावी हो सकता है फिर वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है। जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिल सकता है।
Created On :   14 Feb 2022 11:38 PM IST