बीजेपी की हार की वजह रही एंटी इंकंबेंनसी? आप को इन वजहों से मिली जीत!

Anti-incumbency was the reason for BJPs defeat? You got victory because of these reasons!
बीजेपी की हार की वजह रही एंटी इंकंबेंनसी? आप को इन वजहों से मिली जीत!
एमसीडी चुनाव रिजल्ट-2022 बीजेपी की हार की वजह रही एंटी इंकंबेंनसी? आप को इन वजहों से मिली जीत!

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी ने बड़ी जीत हासिल दर्ज की है। 15 साल से बने बीजेपी की किले को इस बार आप ने ढहा कर कब्जा जमा लिया। जबकि आप को अभी लगभग 9 साल ही हुए हैं राजनैतिक पार्टी बने। केजरीवाल की पार्टी ने 250 वार्डों में से शानदार प्रदर्शन करते हुए 134 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं बीजेपी को केलव 104 सीटों पर संतोष करना पड़ा है। कांग्रेस पार्टी का प्रदर्शन काफी निराशाजनक रहा है। कांग्रेस को महज 9 सीटों पर ही जीत हासिल हुई है। एमसीडी चुनाव में बीजेपी की हार की वजह एंटी इंकंबेंसी बताया जा रहा है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बीजेपी का कोई बड़ा चेहरा नहीं था, केवल बड़े नेता के प्रचार कर देने से कोई पार्टी जीत हासिल नहीं कर सकती है। जीत दर्ज करने के लिए पार्टी को स्थानीय व जमीन से जुड़े नेताओं की जरूरत होती है। ऐसे में अब लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर में बीजेपी कहां फिसल गई, जिस वजह से दिल्ली नगर निगम चुनाव में विजय रथ रूक गई। तो आइए जानते है कि बीजेपी की किन गलतियों का फायदा आप ने उठाया और नगर निगम चुनाव को जीत लिया। 

दिल्ली बीजेपी में है चेहरे की कमी

राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी के कई बड़े नेता है। जो राज्यों के चुनाव में लगातार जीत दर्ज कर अपनी शक्ति का उदाहरण देते रहते हैं। हालांकि, जब भी दिल्ली में चुनाव होता है तो आप से बीजेपी को मुंह ही खानी पड़ती है। दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता हों, बीजेपी सांसद मनोज तिवारी हों या प्रवेश वर्मा। इन नेताओं ने अभी तक जनता में अपने प्रति विश्वास नहीं ला पाए हैं। यहीं वजह है कि साल 2020 में हुए दिल्ली विधानसभा में बीजेपी को करारी हार मिली थी।                                

चुनाव के विश्लेषकों का कहना है कि अरविंद केजरीवाल के सामने दिल्ली बीजेपी के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं है। इसके अलावा बीजेपी के लिए कूड़े का ढेर भी एक समस्या बन कर उभरी थी। 15 सालों से एमसीडी पर काबिज बीजेपी पर आरोप लगते रहे हैं कि उन्होंने कूड़े की समस्या को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जिसकी वजह से लोगों को गंदगी से दो चार होना पड़ता है। कूड़े को मुद्दा बनाकर केजरीवाल ने  मुद्दा बनाया और दिल्ली की जनता से इससे निजात के लिए वोट मांगा। जिसका असर एमसीडी चुनाव के नतीजों में साफ देखा जा सकता है।  

एंटी इंकंबेंनसी की वजह से मिली हार

भाजपा 15 सालों से एमसीडी पर काबिज रही है। ऐसा माना जाता है की जब कोई भी पार्टी लंबे समय तक सत्ता पर काबिज रह जाती है तो उसके प्रति जनता में सत्ता विरोधी लहर का खतरा बढ़ जाता है। शायद बीजेपी इससे अछूती नहीं रह पाई। हालांकि, केजरीवाल के फ्री स्कीम से भी बीजेपी को खतरा हुआ है। आम आदमी पार्टी की हमेशा से रणनीति रही है की जनता के मूलभूत सेवाओं को फ्री में दिया जाए। आप जहां भी चुनाव लड़ने जाती है, उसका ध्यान फ्री बिजली समेत कुछ अन्य वादे हमेशा से करती रहती है। ऐसा ही गुजरात में होने वाला है, फ्री बिजली के चलते गुजरात में आप को फायदा जरूर होगा। 

हालांकि, नतीजे आने के बाद ही साबित होगा कि फ्री वादों से केजरीवाल को कितना फायदा हुआ। दिल्ली में लंबे समय के बाद भी सरकार नहीं बना पाई है। भाजपा साल 1993 से 1998 तक राजधानी में राज किया है, लेकिन करीब 24 वर्ष बीत जाने के बाद भी विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाई है। वहीं 1998 में भाजपा के हार के बाद कांग्रेस 2013 तक दिल्ली की सरकार पर काबिज रही। जबकि 2013 के बाद आप राष्ट्रीय राजधानी पर काबिज है। 
 

Created On :   7 Dec 2022 9:27 PM IST

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