अखिलेश के लिए सिर दर्दी बना छोटे दलों के साथ गठबंधन, सीट बटवारें पर फंसा पेंच
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी की तरह सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश 2022 के विधानसभा चुनाव की जंग छोटे दलों के साथ लड़ने के लिए तैयार हैं। अखिलेश ने विधानसभा चुनाव के लिए जयंत चौधरी की आरएलडी, केशव मौर्या की महान दल, संजय चौहान की जनतावादी पार्टी से गठबंधन किया है। अब यह गठबंधन अखिलेश के लिए सिर दर्दी बन गया है क्योंकि मामला सीट बटवारें पर फंस गया है।
2017 के विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और बसपा के साथ मिलकर भी सपा ने अपने राजनीतिक जीवन का सबसे खराब प्रदर्शन किया था। इसलिए अब अखिलेश यादव भारतीय जनता पार्टी की राह पर चलकर छोटे दलों के साथ गठबंधन कर रहे हैं। जयंत चौधरी की आरएलडी, केशव मौर्या की महान दल, संजय चौहान की जनतावादी पार्टी से सपा का सीट शेयरिंग फॉर्मूला अभी तक तय नहीं हो पाया है। कृषि कानून ने आरएलडी को दुबारा से खड़ा कर दिया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आरएलडी मजबूत हुई है, जिससे प्रदेश के दर्जन भर बड़े नेताओं ने आरएलडी का हाथ थामा है। जयंत चौधरी भी अब मजबूत स्थिति में हैं, तो जाहिर सी बात है कि मोलभाव भी जमकर करेंगे।
सीट शेयर पर नहीं बनी है बात!
आरएलडी ने पश्चिमी यूपी में बड़ी सीटों पर ताल ठोंकने की योजना बनाई है। खबरों के मुताबिक आरएलडी ने सपा के सामने 65 से 70 सीटों पर चुनाव लड़ने की पेशकश की है। जिस पर सपा अभी राजी नहीं हुई है। करीब आधा दर्जन सीटें ऐसी हैं जहां दोनों ही अपना अपना दांवा ठोंक रही हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में सपा-बसपा के साथ गठबंधन में आरएलडी को केवल तीन सीटों से संतोष करना पड़ा था। ऐसे में सपा ने 2022 के विधानसभा चुनाव में आरएलडी को 20 से 22 सीटें देना तय किया है, आरएलडी भी इस पर राजी है। जयंत चौधरी की जाट लैंड में बढ़ती ताकत को देखकर दूसरे दलों के नेताओं ने बड़ी संख्या में पार्टी जॉइन की है, अब वो सभी टिकट की दावेदारी पेश कर रहे हैं। इसी के साथ आरएलडी ने भी सपा के सामने अपनी डिमांड बढ़ा दी है।
खबरों की मानें तो जयंत चौधरी ने अखिलेश यादव को सीटों की लिस्ट भेज दी है, जिन पर वह अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। उनमें बागपत, मेरठ, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, शामली, बिजनौर, मथुरा, हाथरस, बुलंदशहर, अमरोहा, मुरादाबाद, गाजियाबाद, नोएडा और आगरा जिले की विधानसभा सीटें शामिल हैं। यह पश्चिम यूपी की वह सीटें हैं, जहां जाट और मुस्लम मतदाताओं का मेल आरएलडी के लिए मुनाफे का सौदा साबित होता रहा है।
किसान आंदोलन से आरएलडी की पश्चिम यूपी में सियासी ताकत बढ़ी है और जिससे जयंत चौधरी की बढ़ती डिमांड ने सपा को परेशान कर रखा है। पश्चिम यूपी में सपा का कोर वोटबैंक यादव इतना नहीं है और सिर्फ मुस्लिम वोट ही है, जिस पर उसका आधार टिका हुआ है। आरएलडी नेताओं का सपा से कहना है कि अगर आरएलडी को उसके ताकत के हिसाब से पश्चिमी यूपी में ज्यादा सीटें नहीं देगी तो बीजेपी को हराना मुश्किल होगा, क्योंकि जाट वोटर आरएलडी के साथ मजबूती से खड़ा है।
वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव यह नहीं चाहते हैं कि पश्चिम यूपी में आरएलडी को चुनाव लड़ाकर उनका मुस्लिम कोरवोट बैंक आरएलडी की तरफ ना चला जाए। वो भविष्य की राजनीति में नफा-नुकसान तौलने में जुटे हैं। ऐसे में वो विचार कर रहे हैं कि अपने कई नेताओं को आरएलडी के टिकट पर भी चुनाव लड़ाया जाए।
महान दल लड़ सकता है 10 सीटों पर चुनाव
सपा के दूसरे सहयोगी जनवादी पार्टी और महान दल के बीच सीट बंटवारे को लेकर कोई समस्या नहीं है। महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने कहा कि वो यूपी की दस सीटों पर चुनाव लड़ेंगे, जिस पर सपा से बात हो गई है। उन्होंने आगे कहा है कि कुशीनगर, मिर्जापुर, अंबेडकरनगर, जौलान, मुरादाबाद, लखीमपुर, बदायूं, बरेली कासगंज, मैनपुरी में हमारा सियासी आधार हैं।
पूर्वांचल के 10 से ज्यादा विधानसभा क्षेत्र में चौहान बिरादरी (नोनिया) चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इन्हें गोलबंद करने के लिए जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) अध्यक्ष डॉ. संजय सिंह चौहान भाजपा हटाओ, प्रदेश बचाओ जनवादी जनक्रांति यात्रा निकाल रहे हैं। संजय सिंह चौहान जातीय अस्मिता को मुद्दा बनाकर अपने समाज को एकजुट करने का प्रयास कर रहे हैं। उनका दावा है कि मऊ जिले की सभी विधानसभा क्षेत्र में उनकी जाति के 50 हजार अधिक वोटर हैं जबकि गाजीपुर के जखनियां में करीब 70 हजार वोटर हैं। इसी तरह बलिया, देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़, महराजगंज, चंदौली व बहराइच में भी बड़ी संख्या में उनकी बिरादरी है पूरे प्रदेश में नोनिया आबादी 1.26 फीसदी है।
Created On :   26 Aug 2021 2:51 PM IST