इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संसद, चुनाव आयोग से कहा : अपराधियों को राजनीति से हटाने के उपाय करें

Allahabad High Court told Parliament, Election Commission: Take measures to remove criminals from politics
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संसद, चुनाव आयोग से कहा : अपराधियों को राजनीति से हटाने के उपाय करें
लखनऊ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संसद, चुनाव आयोग से कहा : अपराधियों को राजनीति से हटाने के उपाय करें

डिजिटल डेस्क, लखनऊ।  इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने संसद और भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) से कहा है कि अपराधियों को राजनीति से हटाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं और उनमें और राजनेताओं व नौकरशाहों के बीच अपवित्र गठजोड़ को तोड़ा जाए। न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने बसपा सांसद अतुल कुमार सिंह उर्फ अतुल राय की जमानत याचिका खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।

अदालत ने कहा कि यह संसद की जिम्मेदारी है कि वह लोकतंत्र को बचाने के लिए अपराधियों को राजनीति या विधायिका में प्रवेश करने से रोकने के लिए सामूहिक इच्छाशक्ति दिखाए और यह सुनिश्चित करे कि देश लोकतांत्रिक सिद्धांतों और कानून के शासन पर चलता रहेगा। अदालत ने कहा कि राय के खिलाफ 23 मामलों के आपराधिक इतिहास, आरोपी की ताकत, रिकॉर्ड पर सबूत और सबूतों के साथ छेड़छाड़ की संभावना को देखते हुए उसे इस स्तर पर जमानत देने का कोई आधार नहीं मिला।

पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट के बाहर एक लड़की और उसके गवाह को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में लखनऊ में हजरतगंज पुलिस ने राय पर मामला दर्ज किया था। सुनवाई के दौरान पीठ को पता चला कि 2004 में 24 प्रतिशत लोकसभा सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित थे, जो 2009 के चुनावों में बढ़कर 30 प्रतिशत हो गए।

2014 में यह बढ़कर 34 प्रतिशत हो गया और 2019 में लोकसभा के लिए चुने गए 43 प्रतिशत सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले लंबित थे। पीठ ने कहा कि इस तथ्य के बावजूद कि सर्वोच्च न्यायालय ने राजनीति के अपराधीकरण और चुनावी सुधारों की अनिवार्य जरूरतों पर ध्यान दिया है, संसद और चुनाव आयोग ने भारतीय लोकतंत्र को अपराधियों, ठगों और कानून के हाथों में जाने से बचाने के लिए पर्याप्त उपाय नहीं किए हैं।

अदालत ने कहा, कोई भी इससे इनकार नहीं कर सकता कि मौजूदा राजनीति अपराध, पहचान, संरक्षण, बाहुबल और धन नेटवर्क में फंस गई है। अपराध और राजनीति के बीच गठजोड़ कानून के शासन पर आधारित लोकतांत्रिक मूल्यों और शासन के लिए एक गंभीर खतरा है। संसद के चुनाव और राज्य विधायिका और यहां तक कि स्थानीय निकायों और पंचायतों के लिए भी बहुत महंगे मामले हैं। इसमें कहा गया है, संगठित अपराध, राजनेताओं और नौकरशाहों के बीच एक अपवित्र गठबंधन है।

अदालत ने कहा कि इस घटना ने कानून प्रवर्तन एजेंसियों और प्रशासन की विश्वसनीयता, प्रभावशीलता और निष्पक्षता को खत्म कर दिया है। अदालत ने कहा कि राय जैसे आरोपी ने गवाहों को जीत लिया, जांच को प्रभावित किया और अपने पैसे, बाहुबल और राजनीतिक शक्ति का उपयोग करके सबूतों से छेड़छाड़ की। इसी का परिणाम है कि देश के प्रशासन और न्याय वितरण प्रणाली में लोगों का विश्वास घट रहा है।

 

 (आईएएनएस)।

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Created On :   5 July 2022 4:31 PM IST

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