छोटे-छोटे दलों से बड़ा गठबंधन कर फंसे अखिलेश, जानें क्या है वजह?

Akhilesh trapped by making big alliance with small parties, know what is the reason?
छोटे-छोटे दलों से बड़ा गठबंधन कर फंसे अखिलेश, जानें क्या है वजह?
यूपी विधानसभा चुनाव 2022 छोटे-छोटे दलों से बड़ा गठबंधन कर फंसे अखिलेश, जानें क्या है वजह?

डिजिटल डेस्क, लखनऊ। यूपी विधानसभा चुनाव से पहले सपा मुखिया अखिलेश यादव ने जातीय समीकरण साधकर छोटे-छोटे दलों से गठबंधन किया है तथा पूरी ताकत के साथ 2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी के खिलाफ उतरने के मूड में हैं। लेकिन सपा के साथ गठबंधन करने वाले दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर अभी तक कोई फॉर्मूला नहीं आ सका है। ऐसे में सहयोगी दलों के साथ सीट बंटवारा करना सपा के लिए बड़ी चुनौती होगी। 

सपा ने किया इन दलों से गठबंधन

आपको बता दें कि 2022 यूपी विधानसभा चुनाव से पहले ही अखिलेश यादव ने सुभासपा, एनसीपी, आरएलडी, कृष्णा पटेल के अपना दल, जनवादी सोशलिस्ट पार्टी, महानदल के साथ गठबंधन तय किया है। इसके अलावा भी सपा ने भागीदारी मोर्चा में शामिल रहे कई दलों के साथ सपा ने तालमेल कर रखा है। बता दें कि सपा के साथ गठबंधन को लेकर दलित नेता चंद्रशेखर आजाद की बहुजन समाज पार्टी की भी खबरें आ रही हैं। शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को भी एडजस्ट करने की चर्चाएं हो रही है। 

सीट बंटवारे को लेकर फंसा पेंच

गौरतलब है कि यूपी में विधानसभा की कुल 403 सीटें हैं। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सपा कुल कितने सीटों पर लड़ेगी और कितने सीटों पर सहयोगी दल लड़ेंगे। इसको लेकर अभी तक सपा पार्टी की तरफ से कुछ स्पष्ट नहीं किया गया है। हालांकि ये तय माना जा रहा है कि सपा 300 से ज्यादा सीटों पर खुद चुनाव लड़ेगी और बाकी 80 से 90 सीटों में सहयोगी दलों को एडजस्ट करने का प्लान है। हालांकि माना जा रहा कि सीट बंटवारे में पेंच फंस सकता है।

सुभासपा को मिल सकती है इतनी सीट

आपको बता दें कि बीजेपी से दामन तोड़ कर अखिलेश के पाले में आने वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी  के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने अभी तक सीटों को लेकर कोई मांग नहीं रखी है। हालांकि सूत्रों की मानें तो उनकी पार्टी की तरफ से 20 सीटों की मांग की गई है, लेकिन राजभर वोटों के समीकरण को देखते हुए अखिलेश यादव उन्हें 10 से 12 सीटें दे सकते हैं। 

अखिलेश यादव और जयंत साथ-साथ

आपको बता दें कि सपा ने आरएलडी के साथ गठबंधन कर पश्चिमी यूपी को मजबूत किया है। बता दें कि पश्चिमी यूपी की सियासत में आरएलडी की मजबूत पकड़ है। बता दें कि आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी किसान आंदोलन के समर्थन में उतरे थे। जिसका फायदा उनको आगामी विधानसभा चुनाव में मिल सकता है। हालांकि जानकारों का मानना हैं कि मोदी सरकार ने तीन कृषि कानून को वापस लेकर किसानों की नाराजगी को दूर करने का प्रयास किया है। माना जा रहा है कि आरएलडी की मांग पचास से ज्यादा सीटों की थी, लेकिन अखिलेश यादव और जयंत चौधरी की मुलाकात के बाद सीट बंटवारे का फॉर्मूला निकल आया है। ऐसे में माना जा रहा है कि सपा, आरएलडी को करीब 36 सीटें दे सकती है। 

Created On :   30 Nov 2021 5:49 PM IST

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