राजस्थान में पुरानी पेंशन बहाली के ऐलान के बाद यूपी चुनाव में चढ़ेगा तापमान
- पुरानी पेंशन बहाली का चुनावी ऐलान
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में चार चरण के चुनाव हो गये हैं। इसी बीच राजस्थान सरकार की ओर से पुरानी पेंशन बहाली का ऐलान किया है। इससे यूपी की सियासत एक बार फिर गरमा सकती है, क्योंकि यूपी में समाजवादी पार्टी ने यह मुद्दा अपने घोषणा पत्र में शामिल करके एक बड़ा दांव चला है। उसके साथ बसपा मुखिया मायावती ने भी घोषणा करके महौल अपने पक्ष में करने का प्रयास किया है। हालांकि भाजपा इसे कोरी भाषणबाजी मान रही है।
इस मुद्दे को शामिल करके सपा ने करीब 13 लाख कर्मचारियों और शिक्षकों का दिल जीतने का प्रयास किया है, जो 2005 के बाद भर्ती हुए हैं। वहीं, उन 11 लाख पुराने कर्मचारियों और इतने ही पेंशनरों को साधने की कोशिश की है, जिन्हें भले पुरानी पेंशन मिल रही थी लेकिन वे नए कर्मचारियों के समर्थन में लड़ाई लड़ रहे थे। पुरानी पेंशन बहाली को लेकर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा ने कर्मचारियों और शिक्षकों की पुरानी पेंशन को खत्म कर दिया। लंबी सेवा के बाद सेवानिवृत्त होने वालों के जीवन निर्वाह के लिए फिर से पुरानी सामाजिक सुरक्षा पेंशन दिया जाना उचित है।
इस मामले को लेकर बसपा मुखिया मायावती ने भी घोषणा करते हुए कहा है कि अगर उनकी पार्टी की सरकार बनती है तो प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू की जाएगी। एक रैली में उन्होंने कहा था कि शिक्षा के क्षेत्र में और अन्य विभागों के कर्मचारी आए दिन अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करते हैं। ऐसे सभी मामलों को निपटाने के लिए आयोग का गठन किया जाएगा और उनकी सभी मांगों को मान लिया जाएगा। इसमें कर्मचारियों की पुरानी पेंशन का मामला भी शामिल है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि न्यू पेंशन स्कीम मुलायम सिंह यादव ने प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते हुए 2004 में लागू की थी। 2007 तक मुलायम मुख्यमंत्री थे। 2012 से 2017 तक अखिलेश मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने कुछ नहीं किया। नई पेंशन में 10 प्रतिशत सरकार व 10 प्रतिशत कर्मचारी का अंशदान होता था। 2004 से 2018 तक 14 वर्षों का कर्मचारियों का अंशदान तक जमा नहीं किया गया था। जब हमारे संज्ञान में यह मामला लाया गया तो कर्मचारी अंशदान निधि में 10 हजार करोड़ रुपये जमा कराया गया। हर कर्मचारी का अकाउंट खोलने का काम शुरू किया गया। यही नहीं राज्य सरकार के अंशदान को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 14 प्रतिशत मेरी ही सरकार ने किया। सपा सरकार कर्मचारियों का शोषण किया है। इसलिए इससे बड़ा कोई धोखा हो ही नहीं सकता।
सेवानिवृत्त कर्मचारी एवं पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अमरनाथ यादव कहते हैं कि इसकी शुरूआत 2003 से हुई है। इसे 2004 से लागू कर दिया गया है। हमने तो सभी दलों को पत्र लिखा था कि इसे वे घोषणा पत्र में शामिल करें। अब सपा ने इसे अपने घोषणा पत्र में शामिल कर लिया। पुरानी पेंशन बहाली आज नहीं तो कल यहां पर लागू होना है। राजस्थान की सरकार ने अच्छा कार्य किया है।
अटेवा पेंशन बचाओ मंच उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु कहते हैं नई पेंशन एक स्कीम है। स्कीम कभी चालू हो सकती है कभी बंद हो सकती है। यह कोई व्यवस्था नहीं है। पुरानी पेंशन ही असली है। इसे ही लागू करना चाहिए। सपा ने इसे अपने घोषणा पत्र में भी लागू किया है।
अर्थशास्त्री एपी तिवारी कहते हैं कि पुरानी पेंशन बहाली से लागू करने से वित्तीय भार बढ़ेगा। यूपी ने अपने बजट के राजस्व खाते में अधिशेष की स्थित बना रखी है। इसे लागू करने पर राजकोषीय संतुलन बिगड़ेगी। राजकोषीय घाटा बढ़ेगा। जबकि राजस्थान के हालत पहले से ही ठीक नहीं है। जबकि वित्त आयोग और विष्वबैंक पहले कह चुका है। घाटा घटाएं। नई पेंशन में फण्ड के मैनेजमेंट की बात है। वित्तीय भार नहीं जा रहा है। लेकिन पेंशन का खर्च सरकार का उपभोग का होता है। यदि सरकार के उपभोग का खर्च बढ़ेगा तो विकासगामी खर्च कम होगा। राजकोषीय संतुलन भी बिगड़ेगा। नई पेंशन लाभकारी है। बशर्तें उस फण्ड का उपयोग वित्तीय बाजार में किया जाए।
राजस्थान सरकार की घोषणा के बाद यूपी के कर्मचारियों को एक बार फिर आस जगी है। पड़ोसी राज्य में पेंशन व्यवस्था बहाल होने के बाद उन्हें लगने लगा है कि सरकारी आश्वसनों के पार इस व्यवस्था को फिर से लागू करना मुश्किल नहीं है।
(आईएएनएस)
Created On :   24 Feb 2022 1:30 PM IST