आगामी चुनाव के चलते आप के नए नए वादे, सियासी घमासान शुरु

AAPs new promises due to upcoming elections, political turmoil started
आगामी चुनाव के चलते आप के नए नए वादे, सियासी घमासान शुरु
गोवा आगामी चुनाव के चलते आप के नए नए वादे, सियासी घमासान शुरु
हाईलाइट
  • आप के विकासीय वादों के बीच जातिगत वादे

डिजिटल डेस्क, पणजी। हर घर में मुफ्त बिजली, बेरोजगारी भत्ता और नौकरी देने का वादा करके गोवा में आम आदमी पार्टी का नवीनतम वादा सामने आ गया है। नए वादे में आप ने एक कैथोलिक को डिप्टी और चुनावी रूप से महत्वपूर्ण भंडारी समाज से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को मैदान में उतारने का संकेत दिया है। इसके साथ ही इस मुद्दे को लेकर गोवा में सियासी घमासान शुरु हो चुका है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा की गई घोषणा ने न केवल सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस को एक बंधन में जकड़ लिया है, बल्कि 60 साल पहले राज्य की मुक्ति के बाद से गोवा पर हावी होने वाली सर्वव्यापक जातीय राजनीति को भी सामने लाया है।

गोवा में विभिन्न समाजों के मुख्यमंत्री रहे हैं - ब्राह्मण, मराठा गोमांतक समाज, कैथोलिक। लेकिन भंडारी समाज से ढाई साल के लिए केवल एक मुख्यमंत्री रवि नाइक थे। गौरतलब है कि बहुसंख्यक लोग बहुजन समाज से हैं और ओबीसी में भंडारी बहुसंख्यक हैं। भंडारी समाज राज्य की आबादी का 33 से 35 प्रतिशत से अधिक है और राजनीतिक दलों के लिए चुनाव से पहले समुदाय के सदस्यों को लुभाना आसान नहीं है।

रवि नाइक को छोड़कर, जिन्होंने दो छोटे कार्यकालों - 25 जनवरी, 1991 से 18 मई, 1993 और 2 अप्रैल, 1994 से 8 अप्रैल, 1994 तक मुख्यमंत्री का पद संभाला था, उनके बाद समुदाय के किसी अन्य सदस्य ने शीर्ष पद नहीं संभाला है। केंद्रीय पर्यटन राज्य मंत्री श्रीपद नाइक, गोवा के सबसे बड़े भंडारी नेताओं में से एक, उनका दावा है कि चुनावी राजनीति में जाति के कारक को सीधे तौर पर शामिल करना सही रास्ता नहीं था, लेकिन यह भी कहा कि हर पार्टी को अपना चार्ट बनाने का अधिकार था।

नाइक ने कहा कि हर कोई इस तरह की चीजें करता है, बयान देता है, अपनी पार्टी को आगे ले जाता है। ऐसी चीजें चुनाव से पहले शुरू होती हैं। वे वास्तव में ऐसा करेंगे या नहीं, यह कुछ ऐसा है जो बाद में देखा जाना चाहिए। यह पूछे जाने पर कि क्या वह भंडारी समाज के शीर्ष राजनीतिक स्थान पर रहने वाले सदस्य के खिलाफ हैं। नाइक ने कहा कि ऐसा नहीं है कि मैं इसके खिलाफ हूं। उन्हें पहले विधायकों का चुनाव करने दें। उनके पास अभी तक एक भी विधायक नहीं है, और वे मुख्यमंत्री नियुक्त करने की बात कर रहे हैं। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि उनकी राय गलत है। हर पार्टी को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है।

केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि धर्म और जाति को कभी भी राजनीति को अत्यधिक प्रभावित करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। नाइक ने कहा कि जब आप किसी मंदिर में जाते हैं तो आप अपने जूते बाहर छोड़ देते हैं, चाहे वह कितना भी महंगा क्यों न हो। हमें इन मुद्दों को नागरिक के रूप में नहीं मानना चाहिए।

आप की चुनावी घोषणा ने कांग्रेस को भी बैकफुट पर ले लिया है, इसके प्रदेश अध्यक्ष गिरीश चोडनकर, जो खुद भंडारी समाज से ताल्लुक रखते हैं, उन्होंने दावा किया कि सिसोदिया की घोषणा पार्टी के बड़े पैमाने पर प्रदर्शन नहीं कर पाने से उपजे निराशा का परिणाम है, जो गोवा की राजनीति में सेंध लगा सकती है। चोडनकर ने कहा कि जब कोई पार्टी जाति और धर्म को अपनी राजनीति के सामने रखती है तो यह उनकी हताशा को ही सामने लाता है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने यह भी कहा कि इसी मानकों के आधार पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पद से इस्तीफा देना चाहिए और दिल्ली के सबसे बड़े समुदाय के एक सदस्य को पद पर रहने देना चाहिए। गोवा में 2022 की शुरूआत में विधानसभा चुनाव होने हैं।

 

(आईएएनएस)

Created On :   14 Nov 2021 12:30 PM IST

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