9 विपक्षी नेताओं ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखा संयुक्त पत्र, केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर जताई चिंता, कहा - अब हम एक लोकतंत्र से निरंकुशता में बदल गए

9 opposition leaders wrote a joint letter to PM Narendra Modi, expressed concern over the misuse of central investigative agencies, said this on the allegations against Manish Sisodia and the Governors ongoing dispute with the state governments
9 विपक्षी नेताओं ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखा संयुक्त पत्र, केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर जताई चिंता, कहा - अब हम एक लोकतंत्र से निरंकुशता में बदल गए
ईडी और सीबीआई की कार्रवाई पर उठाए सवाल 9 विपक्षी नेताओं ने पीएम नरेंद्र मोदी को लिखा संयुक्त पत्र, केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर जताई चिंता, कहा - अब हम एक लोकतंत्र से निरंकुशता में बदल गए

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विपक्षी पार्टियों के 9 नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को एक संयुक्त पत्र लिखा है। इस पत्र में नेताओं की तरफ से केंद्र सरकार पर ईडी और सीबीआई जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों का दुरूपयोग करने का आरोप लगाया। पत्र में हेमंत बिस्वा शर्मा का उदाहरण देते हुए कहा गया कि जो नेता बीजेपी में शामिल हो जाता है उसके खिलाफ जांच धीमी या फिर बंद कर दी जाती है। नेताओं ने कहा कि एजेंसियों की इस तरह की कार्रवाई से यह प्रतीत होता है कि अब हम 'लोकतंत्र से निरंकुशता' में बदल गए हैं। 

इन नेताओं ने लिखा पत्र

प्रधानमंत्री को यह पत्र पीएम मोदी को ये पत्र बीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव, जेकेएनसी प्रमुख फारूक अब्दुल्ला, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, उद्धव बालासाहेब ठाकरे के प्रमुख उद्धव ठाकरे, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, बिहार के उपमुख्यमंत्री सीएम तेजस्वी यादव और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने संयुक्त रूप से लिखा। 

क्या लिखा पत्र में?

"हमें उम्मीद है कि आप इस बात से सहमत होंगे कि भारत अभी भी एक लोकतांत्रिक देश है। विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के घोर दुरुपयोग से लगता है कि हम लोकतंत्र से निरंकुशता में परिवर्तित हो गए हैं।" 

पत्र में दिल्ली शराब नीति घोटाले के आरोप में घिरे दिल्ली पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी का मुद्दा भी उठाया गया। पत्र में लिखा,  "26 फरवरी 2023 को दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को उनके खिलाफ सबूतों के बिना कथित अनियमितता के संबंध में सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया। मनीष सिसोदिया के खिलाफ लगाए गए आरोप स्पष्ट रूप से निराधार हैं और एक राजनीतिक साजिश की तरह लगते हैं। उनकी गिरफ्तारी से पूरे देश में लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। मनीष सिसोदिया को दिल्ली की स्कूली शिक्षा को बदलने के लिए विश्व स्तर पर जाना जाता है।" पत्र में कहा गया कि 2014 में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से ही जांच एजेंसियों द्वारा विपक्षी नेताओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया गया था। 

पत्र में केंद्रीय एजेंसियों पर जांच में भेदभाव का आरोप लगाया गया, जिसके लिए असम के सीएम हेमंत बिस्वा सरमा का उदाहरण दिया गया। पत्र में कहा, "दिलचस्प बात यह है कि बीजेपी में शामिल होने वाले विपक्षी नेताओं के खिलाफ जांच एजेंसियां ​​धीमी गति से चलती हैं। उदाहरण के लिए, कांग्रेस के पूर्व सदस्य और असम के वर्तमान मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की सीबीआई और ईडी ने 2014 और 2015 में शारदा चिटफंड घोटाले की जांच की थी। हालांकि, उनके बीजेपी में शामिल होने के बाद मामला आगे नहीं बढ़ा। इसी तरह, पूर्व टीएमसी नेता शुभेंदु अधिकारी और मुकुल रॉय नारद स्टिंग ऑपरेशन मामले में ईडी और सीबीआई की जांच के दायरे में थे, लेकिन राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी में शामिल होने के बाद इसमें भी कुछ नहीं हुआ।"

राज्यपाल और राज्य सरकार विवाद पर कही ये बात

पत्र में विपक्षी नेताओं ने राज्यपाल और राज्य सरकारों के बीच चल रहे विवादों का भी जिक्र किया गया। पत्र में कहा, "देश भर में राज्यपालों के कार्यालय संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन कर रहे हैं और अक्सर राज्य के शासन में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। वे जानबूझकर लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई राज्य सरकारों को कमजोर कर रहे हैं। चाहे वो तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, पंजाब, तेलंगाना के राज्यपाल हों या दिल्ली के उपराज्यपाल हों। राज्यपाल केंद्र और राज्यों के बीच दरार की वजह बन रहे हैं। नतीजतन, हमारे देश के लोगों ने अब राज्यपालों की भूमिका पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है।"

Created On :   5 March 2023 11:14 AM IST

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