जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024: महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती को नहीं मिली जीत, मम्मी की सीट से हार के बाद यूं दिया पहला बयान

महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती को नहीं मिली जीत, मम्मी की सीट से हार के बाद यूं दिया पहला बयान
  • तीन चरण में हुए घाटी में चुनाव
  • नतीजे में नेशनल कॉन्फ्रेंस गठबंधन को मिली बड़ी जीत
  • महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने हार स्वीकारा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर चुनाव नतीजे से राज्य की सियासी समीकरण साफ हो गई है। राज्य में इस वक्त नेशनल कॉन्फ्रेस और कांग्रेस गठबंधन 50 सीटों पर आगे चल रहा है। वहीं, बीजेपी का राज्य में बुरा हाल है। इस बीच पीडीपी की अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती हार को स्वीकार कर ली है। वह राज्य की श्रीगुफवारा-बिजबेहरा सीट से चुनाव लड़ी।

इल्तिजा मुफ्ती ने कहा, "मैं लोगों के फैसले को स्वीकार करता हूं। बिजबेहरा में सभी से मुझे जो प्यार और स्नेह मिला है, वह हमेशा मेरे साथ रहेगा। इस अभियान के दौरान कड़ी मेहनत करने वाले पीडीपी कार्यकर्ताओं का आभार "

कितना मुश्किल रहा चुनाव

इस बार के चुनाव में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) नेता और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती (Iltija Mufti) की भी चर्चा जोरों पर रही। वह इस चुनाव में बिजबेहरा सीट से चुनाव लड़ी। 18 सितंबर को इस सीट पर चुनाव हुए थे। बिजबेहरा सीट इल्तिजा मुफ्ती के परिवार की पुश्तैनी सीट थी। जिसे बचा पाना उनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं रही। इस सीट से मुफ्ती परिवार के ही दो मुख्यमंत्री भी चुने जा चुके हैं।

1967 से जम्मू-कश्मीर में 9 बार विधानसभा चुनाव और उपचुनाव हुए हैं। जिसमें 6 बार मुफ्ती परिवार या पीडीपी के कैंडिडेट को जीत मिली है। वहीं, 1996 के बाद से इस सीट पर पीडीपी को लगातार जीत मिली है। इस बार पीडीपी की भी कमान इल्तिजा मुफ्ती को मिली है। इस चुनाव में वह पार्टी की ओर से स्टार फेस के तौर पर हैं। साथ ही, माना जा रहा है कि मुफ्ती परिवार की तीसरी पीढ़ी अब जम्मू-कश्मीर के सियासत में अपना कदम रख चुकी है।

इल्तिजा के सामने चुनौती

इल्तिजा मुफ्ती को न केवल अपनी सीट पर जीत हासिल करने की चुनौती है बल्कि, राज्य की सभी सीटों पर पीडीपी को जीत दिलाना है। बता दें कि, पीडीपी ने इस बार के चुनाव में किसी के साथ गठबंधन नहीं किया है। शायद इस बात का नुकसान भी उन्हें मिला है। 37 वर्षीय इल्तिजा के सामने पुरानी विरासत को मजबूत रखने और आगे बढ़ाने की जिम्मीदारी है। इल्तिजा पीडीपी की मुख्य मीडिया सलाहकार के रूप में पार्टी का मुख्य चेहरा हैं। इस बार उनकी मां महबूबा मुफ्ती चुनाव नहीं लड़ रही है। जिसके चलते भी इल्तिजा पर चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने की चुनौती थी।

पिछला चुनाव कैसा रहा

पिछले बार साल 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान पीडीपी राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। तब राज्य की 87 सीटों में से पीडीपी ने 28, बीजेपी ने 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15 और कांग्रेस ने 12 सीटें जीती थीं।

इसके बाद बीजेपी और पीडीपी ने मिलकर सरकार बनाई और मुफ्ती मोहम्मद सईद मुख्यमंत्री बने। जनवरी 2016 में मुफ्ती मोहम्मद सईद का निधन हो गया। जिसके चलते राज्य में करीब चार महीने तक राज्यपाल शासन लागू रहा। बाद में मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनीं। हालांकि, यह गठबंधन 19 जून 2018 तक चला। तब बीजेपी ने पीडीपी से गठबंधन तोड़ लिया। इसके बाद फिर राज्य में राज्यपाल शासन लागू हुआ और अभी वहां राष्ट्रपति शासन लागू है।

Created On :   9 Oct 2024 11:39 AM GMT

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