मायावती ने तेलंगाना में पूर्व आईपीएस अधिकारी को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया
मायावती ने लोगों से अगले कुछ महीनों में होने वाले चुनावों में तेलंगाना में अपनी पार्टी को सत्ता में लाने और अगले साल होने वाले चुनावों में राज्य से बसपा को सबसे अधिक लोकसभा सीटें देने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यक और अन्य कमजोर वर्ग सम्मान का जीवन चाहते हैं और खुद को उत्पीड़न से मुक्त करना चाहते हैं, तो उन्हें बसपा को सत्ता में लाना चाहिए। संविधान में संशोधन के आह्वान के लिए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव पर कटाक्ष करते हुए बसपा नेता ने लोगों से भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) को सत्ता से बाहर करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि जो सरकार बाबासाहेब अंबेडकर द्वारा तैयार किए गए संविधान को बदलने की बात कर रही है, उसे सत्ता से बाहर कर देना चाहिए।
मायावती इस बात से सहमत नहीं हैं कि उत्तर प्रदेश में बसपा कमजोर हो रही है। उन्होंने कहा, आप सोच रहे होंगे कि उत्तर प्रदेश में बसपा क्यों कमजोर हो रही है, लेकिन कमजोर नहीं हो रही है। जब तक बैलेट पेपर से चुनाव हुए, तब तक हमारी पार्टी की लोकप्रियता बढ़ती रही, लेकिन जब ईवीएम आई, तो ईवीएम में हेराफेरी के कारण हमने अपने वोट खो दिए। बसपा नेता ने यह भी आरोप लगाया कि जिन राज्यों में भाजपा मजबूत हो रही है, वहां छोटे दल बनाकर दलितों और कमजोर वर्गो के वोटों को विभाजित करने की साजिश रची जा रही है। मायावती ने दलितों के लिए जमीन का वादा करने के लिए बसपा की नकल करने की कोशिश करने के लिए मुख्यमंत्री केसीआर पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, उन्होंने तीन एकड़ मुफ्त जमीन देने का वादा किया था, लेकिन इसे लागू नहीं किया।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केसीआर ने दलित वोट के लिए राज्य सचिवालय का नाम बाबासाहेब अंबेडकर भवन रख दिया और उनकी सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित की। उन्होंने याद किया कि जब तेलंगाना के लोग अपने राज्य के लिए लड़ रहे थे, तब बसपा उनके समर्थन में संसद में आवाज उठाने वाली पहली पार्टी थी और इसने राज्य के निर्माण के लिए संसद में लाए गए विधेयक का भी समर्थन किया था। मायावती ने कहा कि तेलंगाना में कमजोर वर्ग, दलित, आदिवासी, पिछड़े, युवा और बेरोजगार भर्ती में अनियमितता की मार झेल रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार इन अनियमितताओं के खिलाफ उठ रही आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है।
बसपा नेता ने बिहार में मारे गए दलित आईएएस अधिकारी जी. कृष्णया की हत्या के एक दोषी की रिहाई पर मुख्यमंत्री की चुप्पी पर भी सवाल उठाया। वह बिहार सरकार द्वारा पूर्व सांसद आनंद मोहन सिंह की रिहाई का जिक्र कर रही थीं। गैंगस्टर से राजनेता बने आनंद मोहन ने 1994 में नौकरशाह की हत्या के लिए भीड़ को उकसाया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी, हाल ही में बिहार सरकार द्वारा नियमों में बदलाव के बाद उन्हें जेल से रिहा किया गया। मायावती ने कहा कि बसपा ने दोषी की रिहाई के खिलाफ आवाज उठाई और मारे गए अधिकारी के परिवार के लिए न्याय की मांग की।
(आईएएनएस)
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Created On :   7 May 2023 9:58 PM IST