पीएम मोदी की शपथ: क्यों खास है पीएम मोदी के लिए 9 जून का दिन ? जानिए दो पूर्व पीएम से क्या है कनेक्शन।
- तीसरी बार पीएम पद की शपथ लेंगे मोदी
- नेहरू के बाद दूसरे प्रधानमंत्री
- 9 जून को लाल बहादुर शास्त्री ने ली थी शपथ
- बिरसा मुंडा शहादत दिवस
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आज शुक्रवार को एनडीए की बैठक में नरेंद्र मोदी को संसदीय दल का नेता चुना गया। नरेंद्र मोदी 9 जून रविवार को प्रधानमंत्री के रूप में तीसरी बार शपथ लेंगे। इस दिन को शुभ मुहूर्त माना जा रहा है।
आपको बता दें 9 जून को शपथ लेते ही नरेंद्र मोदी लगातार तीन बार शपथ लेने वाले दूसरे प्रधानमंत्री बन जाएंगे। उनसे पहले पंडित जवाहर लाल नेहरू ने तीन बार शपथ ली थी। 9 जून को ही आजाद भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने शपथ ली थी। और भारतीय राजनीति में अपनी एक अमिट छाप छोड़ी।
पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री बने। उन्होंने 09 जून 1964 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। हालांकि जय जवान जय किसान का नारा देने वाले शास्त्री डेढ़ साल के लिए ही प्रधानमंत्री पद पर रह सके।
9 जून को ही आदिवासियों के महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा का शहादत दिवस है। पीएम मोदी बिरसा मुंडा के शहादत दिवस पर आदिवासी समुदाय को संदेश दे सकते हैं। इसे इस बात से समझ सकते हैं कि एनडीए संसदीय दल की बैठक के दौरान पीएम मोदी ने विशेष तौर पर आदिवासी समुदाय की तारीफ की। उन्होंने अपनी जीत का एक श्रेय एसटी समुदाय को दिया। एनडीए दल का नेता चुनने के बाद मोदी ने कहा भारत की आत्मा, भारत की जड़ों में रचा-बसा है। देश में 10 ऐसे राज्य हैं, जहां हमारे आदिवासी बंधुओं की संख्या प्रभावी रूप से है। निर्णायक रूप से है। जहां आदिवासियों की संख्या ज्यादा है, वहां 7 राज्यों में एनडीए सेवा कर रहा है।
आपको बता दें कि मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं जो बिरसा मुंडा की जन्म स्थली उलिहातु गांव गए थे। पीएम मोदी ने बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस मनाने की शुरुआत की। प्रधानमंत्री ने सबसे कमजोर जनजातीय समूहों के विकास के लिए पीएम-जन मन मिशन की शुरुआत की थी। पीएम मोदी ने ही 15 नवंबर को भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए देश भर में जन जातीय गौरव दिवस मनाया गया। यह दिन बहादुर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृतियों को भी समर्पित है, ताकि भावी पीढ़ियां देश की खातिर उनके बलिदान के बारे में जान सकें।
9 जून को शपथ लेने के दौरान प्रधानमंत्री मोदी स्वतंत्रता आंदोलन में जनजातीय नायकों के बलिदान का स्मरण करते हुए उनकी भूमिका का उल्लेख कर सकते है। इस दिन पीएम मोदी पिछले 75 वर्षों में कई जनजातीय नायक गुमनाम रहने को लेकर विपक्ष पर निशाना साध सकते है। पीएम मोदी विकसित भारत के चार 'अमृत स्तंभों' - महिला शक्ति, किसान, युवा और भारत के नव-मध्यम वर्ग और गरीबों में आदिवासी के विकास को शामिल कर सकते है।
भारतीय इतिहास में बिरसा मुंडा एक ऐसे नायक थे जिन्होंने भारत के झारखंड में अपने क्रांतिकारी चिंतन से उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में आदिवासी समाज की दशा और दिशा बदलकर नवीन सामाजिक और राजनीतिक युग का सूत्रपात किया।
Created On :   7 Jun 2024 2:45 PM IST