भास्कर हिंदी एक्सक्लूसिव: जानिए भाषा और परिसीमन पर उत्तर बनाम दक्षिण भारत की लड़ाई के बीच परिसीमन में क्या हो सकता है?

जानिए भाषा और परिसीमन पर उत्तर बनाम दक्षिण भारत की लड़ाई के बीच परिसीमन में क्या हो सकता है?
  • जनसंख्या नियंत्रण कानून का सख्ती से पालन करने राज्यों को डर
  • स्टालिन और सिद्धारमैया ने परिसीमन को लेकर केंद्र सरकार पर साधा निशाना
  • 5 मार्च को 40 राजनीतिक दलों की स्टालिन ने बुलाई बैठक

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में हिंदी भाषा और परिसीमन को लेकर उत्तर बनाम दक्षिण की लड़ाई कई दिनों से सामने आ रही है। दक्षिण भारत के राजनीतिक दल और उनके नेता इसे नुकसान के तौर पर देख रहे है। दक्षिण भारत के नेताओं को कहना है कि हम पर जबरदस्ती हिंदी थोपी जा रही है हमारी स्थानीय भाषा को कमजोर करने की योजना है। जबकि परिसीमन को लेकर उनका कहना है कि इससे दक्षिण भारत को कम सीटें मिलेंगी। परिसीमन को लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने उत्तर बनाम दक्षिण की बहस छेड़ दी है। दक्षिण प्रदेशों को ये डर सता रहा है कि 2026 में जनसंख्या आधारित परिसीमन हुआ तो निम्न सदन में उनकी लोकसभा सीटें कम हो सकती हैं। जनसंख्या अनुपात के हिसाब से देखें तो उनके लगाए आरोप सही साबित हो सकते है। हालांकि गृह मंत्री अमित शाह ने स्टालिन के आरोपों का जवाब देते हुए ये साफ किया कि दक्षिण की एक भी सीट कम नहीं होगी। मौजूदा दौर के साथ आगामी समय में परिसीमन पर ये बहस और तेज होती हुई सुनाई देगी। आपको बता दें कुछ राज्यों ने परिवार नियोजन का कड़ाई से पालन किया, जबकि कुछ राज्यों का रवैया ढीला रहा। ऐसे में परिसीमन में उन राज्यों को कम सीटे मिलने का डर सता रहा है। जिनमें जनसंख्या नियंत्रण कानून का सख्ती से पालन किया गया।

जानिए सीएम स्टालिन ने क्या कहा?

तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन ने अपने जन्मदिन पर जनगणना आधारित सीट बंटवारे डिलिमिटेशन और ट्राई लैंग्वेज पॉलिसी को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा। स्टालिन ने कहा मौजूदा समय में तमिलनाडु दो महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है – भाषा की लड़ाई, जो हमारी जीवन रेखा है, और परिसीमन के खिलाफ लड़ाई, जो हमारा अधिकार है।

स्टालिन ने कहा- निर्वाचन क्षेत्रों का डिलिमिटेशन हमारे राज्य के आत्म-सम्मान, सोशल जस्टिस और लोगों के कल्याणकारी योजनाओं को प्रभावित करता है। प्रत्येक नागरिक को अपने राज्य की रक्षा के लिए खड़ा होना चाहिए। स्टालिन ने 5 मार्च को 40 राजनीतिक दलों की मीटिंग बुलाई है। स्टालिन ने कहा मातृभाषा, अंग्रेजी, साइंस और टेक्नोलॉजी पर फोकस करना चाहिए। जरूरत पड़ने पर वे कोई भी भाषा बाद में सीख सकते हैं।

आयोग की अगुवाई में परिसीमन

एक आयोग की अगुवाई में परिसीमन होता है, इसका मतलब होता है लोकसभा अथवा विधानसभा सीट की सीमा तय करने की प्रक्रिया। 1952, 1963, 1973 और 2002 में आयोग गठित हो चुके हैं। परिसीमन आयोग का अध्यक्ष सर्वोच्च अदालत का सेवानिवृत्त न्यायाधीश होता है।

2026 में निर्वाचन क्षेत्रों की परिसीमन प्रक्रिया शुरू होगी। 2029 के लोकसभा चुनाव में महिला आरक्षण लागू होगा। 2029 के लोकसभा चुनाव में 78 सीटों के बढ़ने की उम्मीद है। अगर समानुपातिक नियमों के तहत परिसीमन होता है, तो दक्षिणी राज्यों को कम सीटें मिल सकती है। इसी को लेकर दक्षिण राज्य विरोध कर रहे है। आपको बता दें 2002 में संविधान में 84वें संशोधन के बाद , 2026 के बाद आयोजित पहली जनगणना के आधार पर 2026 के बाद परिसीमन किया जाना है।

परिसीमन को लेकर कर्नाटक सीएम ने कहा कि बीजेपी दक्षिणी राज्यों को चुप कराने के लिए परिसीमन को हथियार की तरह यूज कर रही है। उन्होंने यहां तक कह दिया था कि गृह मंत्री अमित शाह का बयान भरोसेलायक नहीं हैं। शाह ने परिसीमन में दक्षिणी राज्यों की एक भी संसदीय सीट कम नहीं होने को कहा था।

परिसीमन में गांवों को शहरों में मिलाने की हो सकती है कवायद

अगर शाह के बयान को सही और भरोसे लायक मान लिया जाए , जिसमें उन्होंने कहा है कि दक्षिण राज्यों की सीटों में कोई कमी नहीं आएगी। तब दक्षिण भारत के नेताओं के आरोप निराधार साबित होगे। लेकिन आपको बता दें बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए सरकार हर बार कुछ नया करने की फिराक में रहती है। तब केंद्र सरकार चाहेगी की निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन जनसंख्या के आधार पर न होकर एरिया आधारित हो, ऐसे में बीजेपी की रणनीति ग्रामीण पहुंच वाली होगी । इस रणनीति के तहत बीजेपी चाहेगी कि गांवों को परिसीमन के तहत अधिकतर शहरी क्षेत्र में शामिल किया जाए। कुछ रणनीतिकारों की बात मानें तो मौजूदा दौर की स्थिति में आज भी बीजेपी गांव में कमजोर स्थिति में नजर आती है। गांव के वोटर्स को संतुलन करने के लिए उन्हें परिसीमन के द्वारा शहरी क्षेत्रों में मिलाया जा सकता है। क्योंकि गांव की अपेक्षा शहरों में बीजेपी की मजबूत स्थिति शुरु से ही रही है। दूसरी तरफ विकसित भारत का सपना लेकर चल रही बीजेपी चुनाव में भी विकास का मुद्दा भुना सकती है। 2029 में नारी शक्ति वंदन अधिनियम को लागू करने में जनगणना और परिसीमन बीजेपी का एक सियासी पेंचदाव होगा।

Created On :   1 March 2025 3:42 PM IST

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