हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: अशोक तंवर की घरवापसी से कांग्रेस में किसे फायदा किसे नुकसान? बीजेपी पर क्या पड़ेगा असर

अशोक तंवर की घरवापसी से कांग्रेस में किसे फायदा किसे नुकसान? बीजेपी पर क्या पड़ेगा असर
  • तंवर की चुनाव प्रचार के आखिर दिन हुई घर वापसी
  • हरियाणा में 5 अक्टूबर को होंगे चुनाव
  • 8 अक्टूबर को आएंगे चुनावी नतीजे

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हरियाणा में कल (5 अक्टूबर 2024) विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राज्य में चुनाव प्रचार के आखिरी दिन बीजेपी नेता अशोक तंवर अचानक बीजेपी में शामिल हो गए। जिससे बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। तंवर के अचानक कांग्रेस ज्वाइन करने से बीजेपी नेता भी हैरान है। शायद किसी नेता को उम्मीद नहीं थी कि वह चुनाव प्रचार के आखिरी दिन पाला बदल लेंगे। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि अशोक तंवर की कांग्रेस में वापसी से किसे फायदा और किसे नुकसान होगा?

अशोक तंवर करीब पांच साल बाद वापस कांग्रेस में आए हैं। जिसके बाद से इस सवाल पर चर्चा हो रही है कि उनकी घर वापसी से किसे फायदा और किसे नुकसान होगा? इस वक्त हरियाणा कांग्रेस में अंडर पॉलिटिक्स जारी है। ऐसे में अगर तंवर हुड्डा खेमे में शामिल होते हैं, कुमारी सैलजा ज्यादा पॉलिटिकल प्रेशर बनाने में कामयाब नहीं हो पाएंगी। क्योंकि, तंवर बीजेपी की ओर से बड़े दलित नेता थे। ऐसे में उनके कांग्रेस में आने से पार्टी की दलित वोट बैंक में एज मिला है।

समझें पूरा गणित

कांग्रेस में तंवर के आने से बीजेपी के लिए जाट और दलित समीकरण को भेदना आसान नहीं होगा। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, जाट पहले से ही बीजेपी से काफी ज्यादा नाराज हैं। तंवर बीजेपी के बड़े दलित नेता होने के साथ-साथ सीएम नायब सिंह सैनी और पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर के काफी ज्यादा करीबी थे। बीजेपी भी उन्हें बड़े दलित नेता के तौर पर प्रोजक्ट करने में लगी हुई है। तंवर के पार्टी छोड़कर जाने से बीजेपी की काफी फजीहत हो रही है। अब हरियाणा में बीजेपी के पास कोई बड़ा दलित चेहरा नहीं बचा है।

इस चुनाव में कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा को बीजेपी ने घेरने में किसी भी तरह की कसर नहीं छोड़ी थी। जिसका नुकसान भी बीजेपी को झेलना पड़ सकता है। पहले माना जा रहा था कि कांग्रेस की दलित चेहरा कुमारी सैलजा बीजेपी ज्वाइन कर सकती है। लेकिन उन्होंने बीजेपी में जाने से साफ मना कर दिया। हालांकि, राजनीति संभावनाओं का खेल है। जहां कभी भी कुछ भी हो सकता है।

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि ऐसा मुनासिब नहीं है कि तंवर के कांग्रेस में आने से दलित मतदाता कांग्रेस के पक्ष में आ जाएंगे। लगातार पार्टी बदलने से तंवर की राजनीतिक कद घटा है। हालांकि, अब पार्टी में दो बड़े दलित नेता होने से होने से कांग्रेस को एज फायदा हो सकता है। राज्य में 21 फीसदी दलित वोट बैंक है। वहीं, जाट 21 फीसदी हैं। दलित वोट राज्य की कई सीटों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Created On :   4 Oct 2024 4:57 PM IST

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