लोकसभा चुनाव 2024: चुनावी बॉण्ड सबसे बड़ा घोटाला, माकपा नेता येचुरी ने कहा चुनावों के लिए सरकारी वित्त पोषण की जरूरत
- चुनावी बॉण्ड को लेकर विपक्षी दलों का सरकार पर निशाना
- चुनावी बॉण्ड से पारदर्शिता आई-सत्तारूढ़
- सरकारी फंड से प्रत्याशियों को मदद करने की मांग
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के नेता सीताराम येचुरी ने कहा है कि चुनावी बॉण्ड योजना स्वतंत्र भारत में ‘‘सबसे बड़ा घोटाला’’ है जिसमें ‘‘माफिया की तरह उगाही’’ हुई है। देश की शीर्षस्थ न्यायालय चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द कर चुका है। बॉण्ड को टॉप कोर्ट में चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं में माकपा भी शामिल थी। येचुरी ने कहा कि इस योजना को लेकर उनका विरोध सिद्धांतों पर आधारित है और चुनावों के लिए सरकार के वित्त पोषण से पारदर्शिता आ सकती है।
आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में एसबीआई ने चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड के अल्फा न्यूमेरिक नंबर, भुगतान पाने वाली पार्टी का नाम, खरीददार का नाम, बॉन्ड की कीमत, पार्टी के बैंक अकाउंट की आखिरी 4 डिजिट नंबर और भुनाए गए बॉन्ड का नंबर सुपुर्द कर दिया है। राजनीतिक पार्टियों का पूरा बैंक अकाउंट नंबर और बॉन्ड खरीदने वाले की केवाईसी डिटेल साइबर सिक्योरिटी के चलते सार्वजनिक नहीं की गई है।
टॉप कोर्ट की फटकार के बाद एसबीआई ने चुनावी आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सभी जानकारी निर्धारित समय सीमा में उपलब्ध कराने का हलफनामा पेश किया। आपको बता दें उच्चतम न्यायालय से एसबीआई को 21 मार्च शाम पांच बजे तक इलेक्टोरल बॉन्ड्स के अल्फा न्यूमेरिक नंबर (यूनिक नंबर) सहित सभी महत्वपूर्ण विवरण चुनाव आयोग को सौंपने को कहा था। आज सुको में इस मामले में सुनवाई हुई, जिसमें एसबीआई ने न्यायालय को बताया कि हमने सारी डिटेल ईसी को सौंप दी है।
आपको बता दें सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चुनाव आयोग ने रविवार 17 मार्च को एसबीआई से इलेक्टोरल बॉन्ड पर मिली नई जानकारी को अपनी वेबसाइट पर साझा किया था। इससे पहले 14 मार्च को इलेक्शन कमीशन ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी को सार्वजनिक किया था। इलेक्शन कमीशन ने यह आंकड़ा सीलबंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट को दिया था। आयोग ने 19 अप्रैल से 1 जून तक सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा के एक दिन बाद डेटा जारी किया है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनावी बॉन्ड के चंदे को सबसे बड़ी लूट बताया। केजरीवाल की आप पार्टी ने टॉप कोर्ट की निगरानी में जांच करने की मांग की ।
रविवार को चुनाव आयोग ने कहा, शीर्ष कोर्ट ने सीलबंद लिफाफे में एक पेन ड्राइव में डिजिटल रिकॉर्ड के साथ भौतिक प्रतियां लौटाई। आयोग ने सुको से डिजिटल रूप में प्राप्त डेटा को अपलोड कर दिया । इसमें कंपनियों द्वारा खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड और पार्टियों के इसके जरिए मिले चंदे का जिक्र था।
आपको बता दें कि चुनावी बॉन्ड को लेकर विपक्षी दल लगातार केंद्र की भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर निशाना साध रहे है। सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड की सख्ती के बाद एसबीआई ने 12 मार्च को चुनावी बॉन्ड से संबंधित डाटा चुनाव आयोग को सौंपा था, जहां से इसे सुप्रीम कोर्ट को दिया गया था। कोर्ट ने चुनाव आयोग को अपलोड करने का आदेश दिया था।
Created On :   21 March 2024 5:46 PM IST