महाराष्ट्र पॉलिटिक्स: CM फडणवीस को लग सकता है बड़ा झटका! एकनाथ शिंदे के इस कदम से आ सकता है सियासी भूचाल, समझें पूरा मामला
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डिजिटल डेस्क, मुंबई। महाराष्ट्र में भले ही महायुति सरकार का गठन हो चुका है। लेकिन, उसके अंदरखाने घटक दलों के गिले शिकवे उभर कर सामने आ रहे हैं। दरअसल, सूबे में सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के बीच तनानती ने अटकलों का बाजार गरमाया हुआ है। पिछले साल हुए महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति की जीत के बाद एकनाथ शिंदे ने फिर से सीएम बनने की इच्छा जाहिर की थी। हालांकि, महायुति का नेतृत्व कर रही एनडीए शिंदे की इस इच्छा से कुछ खास संतुष्ट नहीं थी। अंतत: महाराष्ट्र में सीएम पद की कमान देवेंद्र फडणवीस को सौंपी गई थी। माना जा रहा है कि इस बात से एकनाथ शिंदे काफी खफा हो गए थे। इसके बाद से ही सूबे में अब तक फडणवीस-शिंदे के बीच तनातनी की खबरें सामने आ रही है।
फडणवीस-शिंदे में दरार!
इसके बाद अब एक बार फिर से सीएम फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की बीच नाराजगी की खबरें सुर्खियों में आ गई है। सोमवार को एकनाथ शिंदे ने बड़ा फैसला लिया है। उन्होंने अपनी पार्टी के सभी मंत्रियों को फिल्ड पर उतरने के निर्देश जारी किए हैं। इसके अलावा शिंदे 4 मार्च को उपमुख्यमंत्री सहायता वैद्यकीय कक्ष का उद्धाटन करेंगे।
बता दें, इससे पहले महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नाम से पहले से ही मेडिकल कक्ष शुरू है। इस बीच शिंदे के आने से दो-दो वैद्यकीय कक्ष होने वाले हैं। शिंदे के इस कदम के बाद सूबे में चर्चांए तेज हो गई हैं कि क्या फडणवीस को टक्कर देने के उन्होंने यह फैसला नहीं अपनाया है।
जानें शिंदे की रणनीति
दरअसल, जब एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री थे। तो उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 15 हजार मरीजों को 419 करोड़ रुपये दिए थे। शिंदे के इस कदम से लोगों ने काफी सराहना की थी।
यदि देखा जाए तो इस बार एकनाथ शिंदे के पास पांच साल का समय है। ऐसे में शिंदे अपनी रणनीतिक के लिए फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, मंत्रालय के पहले फ्लोर पर यह कक्ष शुरू होने वाला है। इसके अलावा मंत्रालय के सांतवे फ्लोर पर मुख्यमंत्री का वॉर रूम है। इस रूम में महाराष्ट्र के जरूरी प्रोजेक्ट्स और अन्य अहम मुद्दों की निगरानी की जाती है। इसके पास ही शिंदे ने डीसीएम कॉर्डिनेशन कमेटी कक्ष बना हुआ है। इसके बाद अब शिंदे भी राज्य की परियोजनाओं की समीक्षा कर सकेंगे।
दरअसल, इससे पहले सरकार में शामिल होने के लिए एकनाथ शिंदे राजी नहीं थे। इसके अलावा महायुति सरकार में डिप्टी सीएम पद ऑफर होने से भी वह नाराज थे। इसके बाद शिंदे को आपदा प्रबंधन कमेटी में जगह नहीं दी गई थी। जिससे उनकी नाराजागी और भी ज्यादा बढ़ गई थी। हालांकि, बाद में उनकी नाराजगी को नए नियम बनाकर शामिल किया गया है।
इतना ही नहीं बल्कि शिंदे गुट की शिवसेना के रायगढ़ और नासिक जिलों के पालक मंत्री पद पर स्थिति ज्यों की त्यों ही बनी हुई हैं। इस बीच महायति के नेता सरकार में सब कुछ ठीक होने का दावा करते रहते हैं। लेकिन इसके बावजूद महायुति सरकार के भीतर असंतोष की खबरें आए-दिन सामने आती रहती हैं।
Created On :   17 Feb 2025 7:20 PM IST