सियासी जंग: कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव से पहले CAA को बताया मतदाताओं को ध्रुवीकरण करने का हथियार
- संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), 2019
- सीएए चुनाव में ध्रुवीकरण का हथियार
- भारतीय संविधान का स्वरूप धर्मनिरपेक्ष
डिजिटल डेस्क, नयी दिल्ली। लोकसभा चुनाव की घोषणा से ठीक पहले संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), 2019 के नियम को अधिसूचित किए जाने संबंधी एक सरकारी अधिकारी की टिप्पणी के बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि अब यह स्पष्ट है कि इस कानून का मकसद चुनाव से ठीक पहले मतदाताओं के ध्रुवीकरण के लिए इसे एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने दिसंबर 2019 में संसद में विवादास्पद कानून को जबर्दस्ती प्रस्तुत किया था। कांग्रेस नेता का कहना है कि संसदीय प्रक्रियाओं के अनुसार कानून लागू करने के लिए नियम छह महीने के भीतर तैयार हो जाने चाहिए थे, लेकिन नियमों को तैयार करने के लिए नौ बार विस्तार मांगा गया। अब हमें सूचित किया गया है कि नियमों को लोकसभा चुनाव से पहले अधिसूचित किया जाएगा। इससे यह स्पष्ट है कि इसका उद्देश्य चुनाव से ठीक पहले मतदाताओं के ध्रुवीकरण के लिए इसे एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करना था।
संशोधित नागरिकता कानून, 2019 के नियम लोकसभा चुनाव की घोषणा से ‘काफी पहले’ अधिसूचित किए जाने को लेकर, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी की टिप्पणी पर मीडिया की एक खबर को संलग्न करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने एक्स पर कहा, मूल प्रश्न यह है कि भारत का संविधान अपने स्वरूप से ही धर्मनिरपेक्ष है। धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान की प्रस्तावना का एक हिस्सा है। उन परिस्थितियों में धर्म नागरिकता का आधार कैसे हो सकता है, चाहे वह भारतीय क्षेत्र की सीमा हो या क्षेत्रीय सीमा से बाहर। इसका जवाब है नहीं? यह एक बुनियादी मुद्दा है, जिसे मैंने तब उठाया था जब मैंने नागरिक संशोधन विधेयक के खिलाफ विपक्षी बेंच की ओर से बहस का नेतृत्व किया था। नागरिकता अधिनियम बहुत स्पष्ट है कि कोई व्यक्ति कैसे भारत का नागरिक बनता है । इसलिए उन परिस्थितियों में, जब तक सर्वोच्च न्यायालय, इस प्रश्न का निर्णय नहीं करता है। नागरिकता अधिनियम का कार्यान्वयन पूरी तरह से संवैधानिक रूप से अनैतिक होगा।
आपको बता दें केंद्र सरकार द्वारा लाए गए सीएए कानून को दिसंबर 2019 में संसद से पारित हुआ, बाद में राष्ट्रपति से भी मंजूरी मिल गई थी। मोदी सरकार की ओऱ से लाए गए सीएए कानून के तहत बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के उन गैर मुसलमान प्रवासियों- हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध , पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी जो उत्पीड़न के चलते 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आ गये थे। मुस्लिम देशों से उत्पीड़न के चलते भारत लौटेने वाले गैरमुस्लिम लोगों को नागरिकता देने के इस कानून का देश भर में बड़े पैमाने पर विरोध हुआ, जगह जगह प्रदर्शन हुए थे।
Created On :   4 Jan 2024 1:40 PM IST