परिसीमन मुद्दा: सीएम स्टालिन ने 7 राज्यों के CM को बैठक के लिए बुलाया, ओडिशा के सीएम का नाम भी शामिल

सीएम स्टालिन ने 7 राज्यों के CM को बैठक के लिए बुलाया, ओडिशा के सीएम का नाम भी शामिल
  • सीएम स्टालिन ने 7 राज्यों के CM को बैठक के लिए बुलाया
  • ओडिशा के सीएम मोहन चरण मांझी का नाम भी शामिल
  • भाषाई समानता की मांग करना अंधराष्ट्रवादी होना नहीं- स्टालिन

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। परिसीमन मुद्दे को लेकर सियासत जारी है। इस बीच तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन ने 7 राज्यों के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बैठक के लिए बुलाया है। जिसमें पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी और बीजेपी शासित ओडिशा के मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी का नाम शामिल हैं।

स्टालिन केंद्र सरकार के खिलाफ परिसीमन का विरोध कर रहे हैं। निजी मीडिया चैनल रिपोर्ट के मुताबिक, एमके स्टालिन इन सभी मुख्यमंत्रियों को केंद्र की प्रस्तावित परिसीमन का विरोध करने के लिए बनाई गई जॉइंट एक्शन कमेटी में शामिल होने की अपील की है। उन्होंने केरल के सीएम पी विजयन, कर्नाटक के सिद्धारमैया, तेलंगाना के रेवंत रेड्डी, आंध्र के चंद्रबाबू नायडू और पुडुचेरी के एन रंगास्वामी, ममता बनर्जी और मोहन चरण माझी को 22 मार्च को चेन्नई में होने वाली मीटिंग के लिए आमंत्रित किया है।

इसके अलावा स्टालिन ने इन राज्यों की राजनीतिक पार्टियों के सीनियर नेताओं को भी मीटिंग के लिए बुलाया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा- परिसीमन संघवाद पर एक जबरदस्त हमला है, जो संसद में हमारी जायज आवाज को छीनकर जनसंख्या नियंत्रण सुनिश्चित करने वाले राज्यों को दंडित करता है। हम इस लोकतांत्रिक अन्याय को नहीं होने देंगे! तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। इससे पहले एमके स्टालिन हिंदी और परिसीमन के मुद्दे पर केंद्र सरकार को जमकर घेर रहे हैं।

भाषाई समानता की मांग करना अंधराष्ट्रवादी होना नहीं- सीएम स्टालिन

डीएमके नेता ने गुरुवार को कहा- भाषाई समानता की मांग करना अंधराष्ट्रवादी होना नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि असली अंधराष्ट्रवादी और राष्ट्रविरोधी, हिंदी कट्टरपंथी हैं, जो मानते हैं कि उनका अधिकार स्वाभाविक है लेकिन विरोध देशद्रोह है।

सीएम स्टालिन ने कहा- जब आप विशेषाधिकार के आदी हो जाते हैं तो समानता उत्पीड़न जैसी लगती है। मुझे याद है जब कुछ कट्टरपंथियों ने हमें तमिलनाडु में तमिलों के उचित स्थान की मांग करने के अपराध के लिए अंधराष्ट्रवादी और राष्ट्रविरोधी करार दिया। गोडसे की विचारधारा का महिमामंडन करने वाले लोग उस द्रमुक और उसकी सरकार की देशभक्ति पर सवाल उठाने का दुस्साहस करते हैं, जिसने चीनी आक्रमण, बांग्लादेश मुक्ति संग्राम और करगिल युद्ध के दौरान सबसे अधिक धनराशि का योगदान दिया, जबकि उनके वैचारिक पूर्वज वही हैं जिन्होंने ‘बापू’ गांधी की हत्या की थी।

Created On :   7 March 2025 7:40 PM IST

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