सीएम हेमंत और रिश्तेदारों के नाम माइनिंग लीज आवंटन का मामला, हाईकोर्ट में बोले सिब्बल- याचिका सुनवाई योग्य नहीं

सीएम हेमंत और रिश्तेदारों के नाम माइनिंग लीज आवंटन का मामला, हाईकोर्ट में बोले सिब्बल- याचिका सुनवाई योग्य नहीं
  • हाईकोर्ट में बोले सिब्बल- याचिका सुनवाई योग्य नहीं
  • सीएम हेमंत और रिश्तेदारों के नाम माइनिंग लीज आवंटन का मामला

डिजिटल डेस्क, रांची। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनके रिश्तेदारों के नाम पर माइनिंग लीज अलॉट करने के मामले की जांच के लिए दायर पीआईएल पर बुधवार को झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान सीएम हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल हाइब्रिड मोड में जुड़े। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में ऐसी याचिका खारिज हो चुकी है। इसलिए, यह केस सुनवाई योग्य नहीं है। इसके बाद प्रार्थी की ओर से जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा गया। इसे स्वीकार करते हुए कोर्ट ने दस दिनों का समय प्रार्थी को दिया है।

कपिल सिब्बल ने कहा कि इसी तरह के समान मामले में शिव शंकर शर्मा एवं अन्य की जनहित याचिका में सीएम हेमंत सोरेन एवं अन्य के खिलाफ झारखंड हाईकोर्ट के खंडपीठ द्वारा पारित आदेश को पूर्व में सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया है। इस याचिका में पुनः उसी बात को उठाया जाना उचित नहीं है। जनहित याचिका अधिवक्ता और आरटीआई कार्यकर्ता सुनील कुमार महतो ने दाखिल की है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि यह मामला शिव शंकर शर्मा की याचिका से अलग है। इस याचिका में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के रिश्तेदारों को औद्योगिक क्षेत्र में जमीन आवंटित करने की बात कही गयी है। इस मामले में कुछ नयी बातें भी आई हैं।

शिव शंकर शर्मा की याचिका से उनकी याचिका अलग कैसे है, इसका वे तुलनात्मक ब्योरा देना चाहते हैं। इस पर कोर्ट ने प्रार्थी को पूरक शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 11 अक्टूबर को निर्धारित की। इस मामले में कोर्ट में पूर्व में हुई सुनवाई में याचिकाकर्ता सुनील महतो की ओर से बताया गया था कि सीएम हेमंत सोरेन ने खान विभाग के मंत्री पद पर रहते हुए संवैधानिक पद का दुरुपयोग किया और खुद के लिए अनगड़ा में माइनिंग लीज आवंटित किया है। इसके अलावा उन्होंने पत्नी कल्पना सोरेन और साली सरला मुर्मू के नाम भी माइनिंग लीज आवंटित कराया है। इन सभी बिंदुओं को लेकर संबंधित प्राधिकार के पास सीएम, उनके रिश्तेदारों और सहयोगियों की जांच करके कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया था, लेकिन संबंधित प्राधिकार ने कार्रवाई नहीं की। इसलिए, उन्होंने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

(आईएएनएस)

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Created On :   6 Sept 2023 6:00 PM IST

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