भास्कर एक्सक्लूसिव: दिल्ली चुनाव में कांग्रेस कर सकती है बड़ा खेला, बीजेपी और AAP की लड़ाई में मार सकती है दांव?
- अगले साल फरवरी में होंगे दिल्ली विधानसभा चुनाव
- महाराष्ट्र-हरियाणा चुनाव से लेना होगा सबक
- दिल्ली चुनाव में कांग्रेस कर सकती है बड़ा खेला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस दिल्ली की सभी 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। जिसके लिए पार्टी ने अब तक 21 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं। राज्य में आम आदमी पार्टी की सरकार है। ऐसे में यहां कांग्रेस को इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल 'आप' के खिलाफ ही चुनाव लड़ना है। राज्य में अगले साल फरवरी में विधानसभा चुनाव होने की संभावनाएं हैं। कांग्रेस लगातार अपने पुराने गढ़ को वापस पाने की कोशिश कर रही है। जिसके चलते पार्टी कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर डटे हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए वह क्या रणनीति हो सकती है, जिसके जरिए दिल्ली चुनाव में पार्टी अपनी मजबूत दावेदारी पेश कर सकें।
केजरीवाल के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का इस्तेमाल
पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में बीते दस सालों से दिल्ली में 'आप' की सरकार रही है। ऐसे में चुनाव से पहले केजरीवाल को भी एंटी इनकंबेंसी का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को इसका फायदा मिल सकता है। जनता के सामने केजरीवाल के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा भी चर्चा का विषय बना हुआ है। वहीं, केजरीवाल के मंत्रियों के खिलाफ भी कथित तौर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। जिसे बीजेपी मुद्दा बना रही है। ऐसे में कांग्रेस को भी सत्ता में वापसी करने के लिए इसका जोरों-शोरों से समर्थन करना चाहिए। दिल्ली में आम जनता का मुद्दा भी कांग्रेस को अपने घोषणापत्र में शामिल करना चाहिए। ऐसा करने से भी कांग्रेस का जनाधार बढ़ेगा।
स्थानीय नेता और स्थानीय मुद्दा को देना होगा बढ़ावा
साल 2023 के मई में कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया को बड़े स्थानीय नेता के तौर पर प्रोजेक्ट किया था। जिसका फायदा कांग्रेस को मिला था। महाराष्ट्र में स्थानीय नेता को साइडलाइन किया गया था। जिसके चलते कांग्रेस को महाराष्ट्र में नुकसान हुआ। ऐसे में पार्टी के लिए दिल्ली में स्थानीय नेता को आगे करके चुनाव लड़ना बेहतर विकल्प हो सकता है। स्थानीय नेता जमीनी स्तर की समस्या को ज्यादा बेहतर समझते हैं। साथ ही, वह अपनी बात जनता को भी समझा सकते हैं। बिहार में कांग्रेस अपनी सहयोगी पार्टी आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ती है। तेजस्वी बिहार में स्थानीय नेता के तौर पर काफी फेमस हैं। वह जनता की नब्ज को जानते हैं। जिसका फायदा कांग्रेस को भी मिलता है। अगर दिल्ली में भी कांग्रेस स्थानीय नेता को आगे करती है, तो इसका फायदा उसे मिल सकता है।
प्रत्याशियों का बेहतर चयन
हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में कांग्रेस की बड़ी हार का एक कारण प्रत्याशियों का गलत चयन भी था। साल 2023 में मध्य प्रदेश चुनाव से लगातार चली आ रही गलती से अभी तक कांग्रेस ने बड़ी सीख नहीं ली है। जिसका नुकसान लगातार पार्टी को भुगतना पड़ रहा है। पार्टी पर्यवेक्षक भी प्रत्याशी का सही चुनाव नहीं कर पा रहे हैं। वहीं, बीजेपी इस रेस में कांग्रेस से काफी आगे दिखाई देती है। बीजेपी ने लगभग सभी चुनाव में बेहतरीन प्रत्याशी चयन किया है। जिसमें उसे आरएसएस और क्षेत्रीय कार्यकर्ता का भी साथ मिला है। वहीं, कांग्रेस का प्रत्याशी चयन करने का तरीका थोड़ा अलग है। जिस राज्य में चुनाव होते हैं, वहां पार्टी के बड़े नेता प्रत्याशी चयन में अपना दबदबा दिखाते हैं। जिसके चलते पार्टी को सीटों का नुकसान होता है। ऐसे में नए प्लान के साथ प्रत्याशियों का चयन करना होगा।
महाराष्ट्र-हरियाणा चुनाव से लेना होगा सबक
इसके अलावा कांग्रेस को लगातार हार रहे राज्यों के चुनावी नतीजे से भी सबक लेना होगा। बेहतरीन चुनावी रणनीति पर काम करना होगा। ताकि, आउटपुट बेहतर दिखे। लगातार हार से भी पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल कम हुआ है। इस पर भी पार्टी को काम करना होगा।
पिछले दो चुनाव में कांग्रेस का बुरा हाल
राज्य में 70 विधानसभा सीटें हैं। साल 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को 62 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, बीजेपी को केवल 8 सीटों के साथ संतोष करना पड़ा। इसके अलावा इस चुनाव में कांग्रेस का दिल्ली में सूपड़ा साफ हो गया। 2015 के मुकाबले में आम आदमी पार्टी को 67 और बीजेपी को 3 सीटें मिलीं। वहीं, कांग्रेस इस चुनाव में भी एक भी सीट नहीं जीत पाई।
Created On :   17 Dec 2024 12:19 AM IST