लोकसभा चुनाव यूपी: आरएलडी में शामिल हुए बिजनौर से बसपा सांसद मलूक नागर, मायावती का साथ छोड़ने के पीछे है ये कारण
- बसपा को एक और झटका
- बिजनौर सांसद मलूक नागर ने छोड़ी पार्टी
- आरएलडी में हुए शामिल
डिजिटल डेस्क, लखनऊ। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) को एक और झटका लगा है। रितेश पांडेय, अफजाल अंसारी और संगीता आजाद के बाद बिजनौर सांसद मलूक नागर ने भी पार्टी का साथ छोड़ दिया है। दरअसल, इस बार मायावती ने बिजनौर से उनका टिकट काट कर चौधरी बिजेंद्र सिंह को उम्मीदवार बनाया है। बसपा का साथ छोड़कर मलूक नागर आरएलडी में शामिल हो गए हैं। टिकट कटने के बाद से ही अटकलें लगाई जा रही थी कि बिजनौर सांसद बसपा को छोड़ किसी और पार्टी का हाथ थाम सकते हैं।
मलूक नागर बसपा प्रमुख मायावती के करीबी माने जाते थे। 2009 में मेरठ और 2014 में बिजनौर से चुनाव हारने के बाद भी मलूक नागर पर मायावती का भरोसा बना रहा। बसपा प्रमुख ने उन पर भरोसा जताते हुए एक बार फिर 2019 लोकसभा चुनाव में उन्हें बिजनौर सीट से उम्मीदवार बनाया। 2019 में बसपा ने सपा साथ में चुनाव लड़ा था जिसका फायदा भी मिला। इस बार मलूक नागर ने बिजनौर सीट पर जीत हासिल की।
'मजबूरी में देना पड़ा इस्तीफा'
मलूक नागर ने बसपा से इस्तीफा देने के बाद न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत के दौरान इस फैसले के पीछे के कारणों का खुलासा किया है। आरएलडी में शामिल होने से पहले एजेंसी से बात करते हुए नागर ने कहा, "हमने कई बार कड़वे घूंट भी भरे हैं। एमएलए नहीं लड़ाया गया चुप रहे, सांसद नहीं लड़ाया गया चुप रहे, स्टार प्रचारकों में भी नहीं डाला गया चुप रहे। लेकिन, देश के लिए काम करना चाहते हैं देश के लोगों के लिए काम करना चाहते हैं। इसलिए आज मजबूरी में पार्टी छोड़नी पड़ रही है। नया घर तलाशा जाएगा... अपने सभी समर्थकों से चर्चा करके जो भी नया कदम होगा उसकी सूचना दी जाएगी। आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर मलूक नागर ने कहा, "अभी कई चरण बाकी है... राजनीति संभावनाओं का खेल हैं।"
आरएलडी में हुए शामिल
पार्टी प्रमुख जितिन चौधरी की मौजूदगी में मलूक नागर आज गुरुवार को बहुजन समाजवादी पार्टी छोड़ने के बाद आरएलडी में शामिल हुए। पूर्व बसपा नेता मलूक नागर ने राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) में शामिल होने पर कहा, "...साल 2006 से मैं बसपा में हूं... ये ऐतिहासिक रिकॉर्ड है क्योंकि 18 साल तक बसपा में कोई और नहीं टिका... बसपा में एक-डेढ़ योजना में लोग या तो पार्टी से निकाल दिए जाते हैं या तो पार्टी छोड़कर चले जाते हैं... 2022 में मैंने विधायक चुनाव नहीं लड़ा, 2024 में सांसद चुनाव भी नहीं लड़ा... घर में बैठकर देश के लिए काम ना करें, ये ठीक नहीं था।"
Created On :   11 April 2024 1:54 PM IST