MP चुनाव से पहले छोटे दलों को साधने में जुटी बीजेपी और कांग्रेस, समझें छोटी पार्टियों का राज्य की सियासत में दबदबा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 230 विधानसभा सीटों वाले मध्य प्रदेश में इस साल के अंत तक चुनाव होने वाले हैं। इस वक्त राज्य में बीजेपी की सरकार है। कांग्रेस राज्य की प्रमुख विपक्षी दल है। ऐसे में दोनों पार्टियां लगातार सत्ता में काबिज होने के लिए अलग-अलग सियासी दांव पैंतरे आजमा रही है। ये दोनों पार्टी विस चुनाव के ठीक चार माह पहले से राज्य के छोटे-छोटे दलों को साधने में जुट गई है। साथ ही दोनों पार्टी उनके नेताओं को मनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
एमपी में बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा), आदिवासियों से जुड़े राजनीतिक दल और वामपंथियों का प्रभाव राज्य की राजनीति में अच्छा खासा है। ऐसे में बीजेपी और कांग्रेस की कोशिश है कि चुनाव से पहले इन सभी छोटे दलों को ज्यादा से ज्यादा अपने पक्ष में लाया जाए।
छोटी पार्टियों का प्रभाव
राज्य की लगभग 84 सीटों पर आदिवासी समुदाय का दबदबा है । राज्य की 47 सीट ऐसी है, जो आदिवासी समाज के लिए आरक्षित है। इस वक्त एमपी में आदिवासियों के बीच दो-तीन पार्टी मुख्य भूमिका में है। इनमें जय आदिवासी युवा संगठन (जयस) और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (जीजीपी) इस समाज में काफी सक्रिय है। हाल ही में तेलंगाना की सत्ताधारी पार्टी वीआरएस पार्टी ने जयस के एक गुट को अपने पाले में कर लिया है। वीआरएस पार्टी भी इस बार एमपी विस चुनाव में हाथ आजमाने जा रही है। इसके अलावा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की कांग्रेस से नजदीकी बढ़ रही है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा जोरों-शोरों पर है कि कांग्रेस पार्टी ने जीपीपी को 5 सीटें देने का प्रस्ताव दिया है।
बीजेपी और कांग्रेस की नजर
बीजेपी भी लगातार आदिवासी क्षेत्रों पर अपनी नजर गड़ाए हुए हैं। सीएम शिवराज के कैबिनेट के बड़े-बड़े नेता भी लगातार इन सुमदायों के बीच जा रहे हैं। साथ ही बीजेपी बसपा और सपा के ऐसे कई नेताओं के साथ संपर्क बनाए हुए हैं। जो चुनाव के दौरान उनका साथ दे सकते हैं। बसपा और सपा से नाता रखने वाले दो विधायक पहले ही सीएम शिवराज के साथ जुड़ चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में सपा और बसपा का दबदबा है। 2018 एमपी विस चुनाव में बसपा को दो, सपा को एक और अन्य के खाते में चार सीटें आई थीं। इससे पहले राज्य में बसपा, सपा या फिर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी को इतनी बड़ी सफलता हासिल नहीं हुई थी। ऐसे में दोनों पार्टी की नजर इन सभी छोटे दलों पर लगी हुई है। ताकि राज्य की सत्ता में वापसी कर सके।
Created On :   16 Jun 2023 7:20 PM IST