नीतीश कुमार की विपक्षी एकता को लगा बड़ा झटका, कांग्रेस ने राजधानी पटना में होने वाली मीटिंग से किया किनारा, क्या लोकसभा चुनाव से पहले ही बिखर जाएंगी विपक्षी पार्टियां?

नीतीश कुमार की विपक्षी एकता को लगा बड़ा झटका, कांग्रेस ने राजधानी पटना में होने वाली मीटिंग से किया किनारा, क्या लोकसभा चुनाव से पहले ही बिखर जाएंगी विपक्षी पार्टियां?
  • सीएम नीतीश को लगा बड़ा झटका
  • लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस की रणनीति
  • विपक्षी एकता या फिर अकेले विपक्ष की तैयारी कांग्रेस
  • जानें कांग्रेस का 'प्लान बी'

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव को देखते हुए विपक्षी एकता की बात करने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा है। हाल के दिनों में उन्होंने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की थी। इन सभी के अलावा सीएम नीतीश ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत अन्य विपक्षी दलों के नेताओं से बात कर देश की जनता को विपक्षी एकता का संदेश देने का काम किया था। इस दौरान एक सीट, एक उम्मीदवार को उतारने की बात कही गई थी। इन सभी नेताओं से मुलाकात करने के बाद सीएम नीतीश ने विपक्षी एकता को लेकर ही 12 जून को राजधानी पटना में एक बड़ी बैठक रखी है। जिसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के शामिल होने की चर्चा जोरों-शोरों पर थी। हालांकि, अब कांग्रेस पार्टी ने आधिकारिक तौर पर ऐसी किसी भी संभावनाओं को हवा देने से इनकार कर दिया है।

कांग्रेस पार्टी ने साफ कह दिया है कि पटना में होने वाले बैठक में ना तो राहुल गांधी और ना ही मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल होंगे। हालांकि खबर है कि इस बैठक में कांग्रेस शासित राज्य के किसी मुख्यमंत्री को इस मीटिंग में भेज सकती है। कांग्रेस की इस रणनीति को नीतीश कुमार के लिए एक झटके के तौर पर देखा जा रहा है।

कांग्रेस की रणनीति

गौरतलब है कि जब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात कर विपक्षी एकता की बात कही थी, तब कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे नहीं आए थे। लेकिन कर्नाटक में मिली एकतरफा जीत के बाद कांग्रेस के तेवर में अचानक बदलाव आ गया है। अब पार्टी के अधिकांश नेता राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं। जिसके लिए पार्टी ने अभी से ही कमर कस ली है। पार्टी नेताओं का मानना है कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद राहुल गांधी की लोकप्रियता पूरे देश में बढ़ गई है और कर्नाटक में मिली जीत भी उनकी लोकप्रियता छवि को दर्शाता है।

तीसरे फ्रंट का होगा निर्माण?

एक तरफ सीएम नीतीश विपक्षी एकता को लेकर जल्दबाजी में दिखाई दे रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस इस मुद्दे पर उतनी ही शांत नजर आ रही है। पार्टी न ही सीट शेयरिंग करने के मूड में नजर आ रही है और न ही प्रधानमंत्री पद के लिए किसी अन्य नेता को दावेदार बनाने की बात कही है। इधर नीतीश कुमार भी पहले ही कह चुके हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री बनने में कोई दिलचस्पी नहीं है। लेकिन उनके पार्टी के नेता उन्हें पीएम कैंडिडेट बनाने की बात कहते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि पटना में होने वाली मीटिंग में उनके नाम का प्रस्ताव पेश किया जा सकता है। हालांकि एक सवाल और भी उठ रहा है कि राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे के बिना होने वाली इस मीटिंग से कहीं तीसरे फ्रंट का निर्माण तो नहीं होगा?

कांग्रेस का 'प्लान बी'

इस साल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अगर विधानसभा चुनाव के नतीजे कांग्रेस के पक्ष में रहे तो पार्टी एक बार विपक्ष के तौर खुद को स्थापित करने में कामयाब रहेगी। साथ ही पार्टी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए भी अपनी दावेदारी पेश करेगी। शायद यहीं वजह है कि कांग्रेस की नजर विधानसभा चुनाव के नतीजों पर टिकी हुई है।

Created On :   4 Jun 2023 12:31 PM GMT

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