18वीं लोकसभा का पहला सत्र: संसद सत्र शुरू होने से पहले पीएम मोदी ने आपातकाल का किया जिक्र, बढ़ा सियासी पारा

संसद सत्र शुरू होने से पहले पीएम मोदी ने आपातकाल का किया जिक्र, बढ़ा सियासी पारा
  • 18वीं लोकसभा का आज पहला दिन
  • पीएम मोदी ने विपक्ष पर साधा निशाना
  • आपातकाल का जिक्र कर बढ़ाया सियासी पारा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 18वीं लोकसभा का पहला सत्र का आज शुरू होने वाला है। संसद सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "संसदीय लोकतंत्र में यह एक गौरवशाली दिन है। आजादी के बाद पहली बार शपथ ग्रहण समारोह हमारे अपने नए संसद भवन में हो रहा है। पहले यह पुराने संसद भवन में होता था। इस महत्वपूर्ण दिन पर मैं सभी नवनिर्वाचित सांसदों का हार्दिक स्वागत करता हूं, उन्हें बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।"

पीएम मोदी ने कहा कि देश की जनता विपक्ष से अच्छे काम की उम्मीद करती है। हमें भरोसा है कि वे लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखेंगे। साथ ही, वह जनता के मुद्दे सदन में उठाएंगे। साथ ही, पीएम मोदी ने विपक्ष से सदन में सहयोग की भी उम्मीद जताई है

आपातकाल का पीएम मोदी ने किया जिक्र

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, "कल 25 जून है। 25 जून को भारत के लोकतंत्र पर लगे उस कलंक के 50 वर्ष पूरे हो रहे हैं। भारत की नई पीढ़ी कभी नहीं भूलेगी कि भारत के संविधान को पूरी तरह से नकार दिया गया था, संविधान के हर हिस्से की धज्जियां उड़ा दी गई थीं, देश को जेलखाना बना दिया गया था, लोकतंत्र को पूरी तरह दबा दिया गया था। अपने संविधान की रक्षा करते हुए, भारत के लोकतंत्र की, लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करते हुए, देशवासी संकल्प लेंगे कि भारत में दोबारा कोई ऐसा करने की हिम्मत न कर सके जो 50 साल पहले किया गया था। हम एक जीवंत लोकतंत्र का संकल्प लेंगे। हम भारत के संविधान के निर्देशों के अनुसार सामान्य मानवी के सपनों को पूरा करने का संकल्प लेंगे।"

'तीसरी बार सेवा करने का अवसर मिला'

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, "आज 18वीं लोकसभा की शुरुआत हो रही है। दुनिया का सबसे बड़ा चुनाव बहुत ही भव्य और गौरवशाली तरीके से संपन्न हुआ। ये चुनाव इसलिए भी बहुत महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि आजादी के बाद दूसरी बार देश की जनता ने किसी सरकार को लगातार तीसरी बार सेवा करने का अवसर दिया है।"

तेजी से काम करना है- पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "बीते 10 वर्षों में हमने हमेशा एक परंपरा को निभाने का प्रयास किया है क्योंकि हमारा मानना ​​है कि सरकार चलाने के लिए बहुमत की जरूरत होती है लेकिन देश चलाने के लिए सर्वसम्मति सबसे ज्यादा जरूरी है। इसलिए हमारा निरंतर प्रयास रहेगा कि मां भारती की सेवा की जाए और 140 करोड़ लोगों की आकांक्षाओं और महत्वाकांक्षाओं को सबकी सहमति से और सबको साथ लेकर पूरा किया जाए। हम संविधान की पवित्रता को बनाए रखते हुए, सबको साथ लेकर आगे बढ़ना चाहते हैं और फैसले लेने की गति बढ़ाना चाहते हैं।"

Created On :   24 Jun 2024 11:04 AM IST

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