बड़वानी की चुनावी राजनीति बढ़ती बेरोजगारी और पलायन ,समस्या और चुनावी समीकरण

बड़वानी की चुनावी राजनीति बढ़ती बेरोजगारी और पलायन ,समस्या और चुनावी समीकरण
  • मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023
  • बड़वानी में चार विधानसभा सीट
  • सभी सीटें अनुसूचित जनजाति आरक्षित

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। इंदौर संभाग में इंदौर समेत आठ जिले आते है। बड़वानी, बुरहानपुर,धार, इंदौर,झाबुआ,खंडवा,खरगोन, अलीराजपुर। आज हम बड़वानी जिले की चुनावी समीकरणों की बात करेंगे। आपको बता दें बड़वानी को बरगद के बगीचों की वजह से बड़वानी नाम से जाना जाता है, ये छोटा सा शहर सतपुड़ा और विंध्याचल पर्वत की श्रंखलाओं के बीच बसा है। बड़वानी जिले में चार विधानसभा सीट सेंधवा,राजपुर,पानसेमल,बड़वानी आती है। जिले की चारों सीट अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित है। 2018 के विधानसभा चुनाव में बड़वानी जिले की चार आरक्षित सीटों पर बीजेपी को एकमात्र बड़वानी पर ही जीत मिली थी। सेंधवा, पानसेमल और राजपुर में कांग्रेस के उम्मीदवार जीते थे।

राजपुर विधानसभा सीट

राजपुर विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। आदिवासी बाहुल्य सीट होने से चुनावी प्रत्याशी की हार जीत का फैसला इन्हीं के हाथों में होता है। राजपुर को उन आदिवासी बाहुल्य सीटों में गिना जाता है, जिन पर कांग्रेस का एकतरफा राज रहा है। राजपुर में कांग्रेस के पास बाला बच्चन के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। अब तक इस सीट पर 14 बार चुनाव हुए है, जिनमें से 10 बार कांग्रेस और 3 बार बीजेपी और एक बार जनसंघ ने जीत दर्ज की है। राजपुर सीट पर जयस भी धीरे धीरे मतदातओं के बीच पैर जमाने की कोशिश में है। इलाके में मूलभूत सुविधाओं की कमी है। किसान खाद और विद्यार्थी शिक्षा के लिए परेशान है।

2018 में कांग्रेस के बालाबच्चन

2013 में कांग्रेस के बाला बच्चन

2008 में बीजेपी के देवीसिंह पटेल

2003 में कांग्रेस के बागेल राजेंद्र सिंह

सेंधवा विधानसभा सीट

कपास उद्योग यहां बदहाल स्थिति में है, फैक्ट्रिया बंद पड़ी हुई है। बेरोजगारी सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनता है। सीट पर 2003 से बीजेपी का कब्जा है। जातिगत समीकरण सेँधवा के चुनाव को प्रभावित करते है। अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सेँधवा में 77 फीसदी एसटी वर्ग के मतदाता है। एसटी समुदाय में भी दो उपजातियां बारेला और भिलाला आती है। बारेला समाज की तादाद करीब 73 फीसदी होने से विधानसभा चुनाव में इनकी भूमिरा किंगमेकर की होती है। आदिवासी बाहुल्य होने से बीएसपी भी अपनी दावेदारी पेश कर रही है। बीएसपी के चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला त्रिकोणीय बन जाता है। सेंधवा सीट पर 2018 से पहले के तीन चुनावों से बीजेपी का कब्जा था। 2018 में यहां से कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी।

2018 में कांग्रेस के ग्यारसीलाल रावत

2013 में बीजेपी के अंतर सिंह आर्य

2008 में बीजेपी के अंतर सिंह आर्य

2003 में बीजेपी के अंतर सिंह आर्य

पानसेमल विधानसभा सीट

पानसेमल विधानसभा सीट 2008 में अस्तित्व में आई थी।पानसेमल विधानसभा महाराष्ट्र सीमा से सटा हुआ है, जिसमें ढ़ाई लाख के करीब मतदाता है। यहां महिला मतदाताओं की संख्या पुरूषों की तुलना में अधिक है। करीब 60 फीसदी वोटर्स अनुसूचित जनजाति वर्ग से है। जो चुनाव में हार जीत का फैसला करते है। बिजली पानी सड़क, शिक्षा यहां की सबसे बड़ी समस्या है। बढ़ती बेरोजगारी के चलते यहां के लोग मजदूरी के लिए पलायन कर जाते है।

2018 में कांग्रेस के चंद्रभागा किराड़े

2013 में बीजेपी के दीवान सिंह

2008 में कांग्रेस से बलराम बच्चन

बड़वानी विधानसभा सीट

बडवानी विधानसभा सीट पर बीजेपी का दबदबा है। 2013 को छोड़ दिया जाए तो 1993 से अब तक बीजेपी के प्रेम सिंह पटेल यहां से विधायक है। 2018 के चुनाव में कांग्रेस यहां तीसरे नंबर पर रही थी। मुख्य मुकाबला बीजेपी और निर्दलीय प्रत्याशी राजन मंडलोई के बीच हुआ था।

2018 में बीजेपी के प्रेम सिंह पटेल

2013 में कांग्रेस के रमेश पटेल

2008 में बीजेपी के प्रेम सिंह पटेल

2003 में बीजेपी के प्रेम सिंह पटेल

Created On :   2 Aug 2023 6:34 PM IST

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