18 वीं लोकसभा: शपथ लेते ही चंद्रशेखर ने सदन में दिखाए कड़े तेवर, टोकने पर बीजेपी सांसदों को सुनाई खरी-खरी

शपथ लेते ही चंद्रशेखर ने सदन में दिखाए कड़े तेवर, टोकने पर बीजेपी सांसदों को सुनाई खरी-खरी
  • चंद्रशेखर ने बीजेपी सांसद को दिया जवाब
  • तय स्थान पर लगे डॉ अंबेडकर की प्रतिमा-चंद्रशेखर
  • राष्ट्रपति और लोकसभा स्पीकर को लिखा खत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 18वीं लोकसभा के पहला सत्र के दूसरे दिन यूपी के 80 सांसदों ने भी शपथ ली। शपथ लेने यूपी के सांसदों में सबसे अधिक चर्चे नगीना संसदीय सीट से आजाद समाज पार्टी कांशीराम चीफ चंद्रशेखर आजाद के हो रहे है। दरअसल शपथ के बाद जब भीम आर्मी प्रमुख सांसद चंद्रशेखर प्रोटेम स्पीकर से मिलने जा रहे थे। तब सत्तापक्ष के बीजेपी सांसदों ने कुछ टिप्पणी की, जिसका आजाद ने अपने तीखे अंदाज में मुंहतोड़ जवाब दिया। सदन के भीतर एएसपीके प्रमुख के तीखे तेवर साफ देखने को मिले।

आपको बता दें चंद्रशेखर ने शपथ लेने के बाद कई नारे लगाए। उन्होंने नमो बुद्धाय, जय भीम, जय भारत, जय संविधान, जय मंडल, जय जवान, जय किसान, भारतीय लोकतंत्र जिंदाबाद, भारत की महान जनता जिंदाबाद के नारे लगाए। चंद्रशेखर जैसे ही ये नारे लगाकर प्रोटेम स्पीकर की ओर बढ़े, तभी सत्ता पक्ष के सांसदों की ओर से एक आवाज आई, 'पूरा भाषण देंगे क्या...'. इस पर चंद्रशेखर ने तुरंत जवाब दिया, ''देंगे सर इसलिए यहां आए हैं।'' चंद्रशेखर यहीं नहीं रुके वे सीढ़ियों पर कहते नजर आए, ''कहने आए हैं, सुनना पड़ेगा सबको'' यहीं नहीं शपथ लेने के बाद चंद्रशेखर हस्ताक्षर करना भूल गए। वे सीढ़ियों से आगे बढ़ने लगे। तभी वे अखिलेश यादव के पास पहुंचे और हाथ मिलाया। अखिलेश ने उन्हें साइन करने का याद दिलाया। इसके बाद चंद्रशेखर ने साइन किए।

सांसद चंद्रशेखर ने नए सदन के भीतर संविधान निर्माता डॉ० भीमराव अंबेडकर जी की प्रतिमा लगाने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने राष्ट्रपति और लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखकर कहा है कि संसद भवन से संविधान निर्माता की प्रतिमा हटाने से आहत हूं। आजाद ने प्रतिमा को पुनः अपने स्थान पर लगाने की माँग की।

सांसद ने अपने पत्र में लिखा है कि मैं आपका ध्यान संसद भवन परिसर में स्थापित परम पूज्य संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ० भीमराव अंबेडकर जी की प्रतिमा को यथावत स्थान पर स्थापित किए जाने की ओर आकृष्ट कर रहा हूँ। संसद भवन परिसर से बाबा साहब डॉ० भीमराव अंबेडकर जी की प्रतिमा को हटाने पर करोड़ो संविधान प्रेमियों का मन आहत हुआ है और साथ मे मैं भी व्यक्तिगत तौर पर इससे आहत हूँ। जनता का प्रतिनिधि और सामाजिक न्याय के पुरजोर समर्थक के रूप में मैं इस निर्णय से पूर्णतया असहमत हूँ और इसकी कड़े शब्दों में निंदा करता हूँ।

बाबा साहब डॉ० भीमराव अंबेडकर जी हमारे राष्ट्र के संसद और संविधान के जनक के साथ-साथ इतिहास में युग परिवर्तन के प्रतीक थे। भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था के साथ सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिदृश्य में उनका योगदान अतुलनीय रहा है। भारतीय संविधान के प्रमुख शिल्पकार के रूप में उन्होंने सामाजिक न्याय का समर्थन किया और समाज के हाशिए पर पड़े वंचित वर्गों के उत्थान के लिए अथक प्रयास किए। इनकी दूरदर्शिता और अथक प्रयासों का हमारे राष्ट्र पर स्थायी प्रभाव पड़ा है और उनकी विरासत करोड़ो लोगों को प्रेरित करती है।

संसद भवन परिसर से बाबा साहब डॉ० भीमराम अंबेडकर जी की प्रतिमा को हटाना एक प्रतीकात्मक अच्छा संकेत ही नहीं, बल्कि समानता और न्याय के मूल्यों का सीधा अपमान है और यह एक संदेश देता है कि हाशिए पर पड़े समुदायों के योगदान को महत्व या सम्मान नहीं दिया जा रहा है और जो लोकतंत्र और समावेशिता के सिद्धांतो के विरोधी है।

महामहिम आपके माध्यम से अधिकारियों से बाबा साहब डॉ० भीमराव अंबेडकर जी की प्रतिमा के महत्व और उनके संदेश को पहचानने का आग्रह करता हूँ। मैं आपके माध्यम से संसदीय कार्यपालिका को आग्रह करना चाहता हूँ कि माननीय बाबा साहब डॉ० भीमराव अंबेडकर जी की प्रतिमा को भारतीय संसद परिसर में यथावत स्थान पर स्थापित किया जाए जिससे सामाजिक न्याय और विविधता के मूल्यों का संदेश समस्त दुनिया को मिल सके। इसके अतिरिक्त यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि भविष्य में इस तरह के कार्यों की पुनरावृत्ति न हो और सभी महापुरुषों और दूरदर्शी व्यक्तियों के योगदान का सम्मान किया जाए। सांसद ने राष्ट्रपति और स्पीकर से हस्तक्षेप करते हुए इस स्थिति को सुधारने के लिए आवश्यक निर्देश संबंधित प्राधिकार को देने की मांग है। मुझे उम्मीद है कि संसद भवन परिसर लोकतंत्र और सामाजिक समान्ता का प्रतीक बना रहेगा और बाबा साहब डॉ० भीमराव अंबेडकर जी की विरासत का सम्मान किया जाएगा।

Created On :   26 Jun 2024 9:48 AM GMT

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