राष्ट्रीय: वर्कप्लेस पर महिलाओं को करना पड़ता है लिंग और वेतन में भेदभाव का सामना सर्वे
मुंबई, 6 मार्च (आईएएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पहले डीबीएस बैंक इंडिया और क्रिसिल की 'महिला और वित्त' सीरीज के दूसरे सर्वे में यह बात सामने आई है कि देश के सभी क्षेत्रों में महिलाओं को अपने पुरुष समकक्षों की तुलना में कार्यस्थलों पर वेतन अंतर और लैंगिक भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
10 शहरों में 800 से अधिक वेतनभोगी और स्व-रोजगार करने वाली महिलाओं के बीच किए गए सर्वे में उम्र, आय, वैवाहिक स्थिति, पेशेवर आकांक्षाएं और व्यक्तिगत जीवन शैली आदि जैसे विभिन्न कारकों पर विचार किया गया।
सर्वे में कहा गया है कि कार्यस्थल पर महिलाएं लैंगिक असमानताओं के साथ वेतन में भी अंतर का सामना करती हैं। सर्वे में वेतन अंतर 23 प्रतिशत तक था, जबकि लिंग पूर्वाग्रह 16 प्रतिशत था।
69 प्रतिशत वेतनभोगी महिलाओं के लिए, नौकरी चुनते समय वेतन और करियर में उन्नति शीर्ष कारक थी, जबकि 42 प्रतिशत स्व-रोजगार वाली महिलाओं ने स्वतंत्रता और लचीले काम के घंटों को प्राथमिकता दी।
दिलचस्प बात यह है कि वेतनभोगी महिलाओं के बीच रिमोट वर्किंग उच्च प्राथमिकता नहीं थी, केवल 3 प्रतिशत ही इस बात से सहमत थीं कि यह आवश्यक है।
सर्वे में बताया गया, ''10 लाख से 25 लाख रुपये सालाना के बीच कमाने वाली अर्ध-संपन्न महिलाओं ने 18 प्रतिशत के वेतन अंतर और 12 प्रतिशत के लिंग पूर्वाग्रह की सूचना दी, जबकि 41-55 लाख रुपये प्रति वर्ष की वेतन वाली समृद्ध महिलाओं ने 30 के वेतन अंतर और 30 प्रतिशत के लैंगिक भेदभाव की बात कबूली।"
महानगरों में रहने वाली 42 प्रतिशत वेतनभोगी महिलाओं को वेतन पर बातचीत करते समय चुनौतियों का सामना करना पड़ा, हालांकि यह अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग था।
कोलकाता में, 96 प्रतिशत वेतनभोगी महिलाओं ने कहा कि उन्हें अपने वेतन पर बातचीत करने में किसी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ता है, जबकि अहमदाबाद में केवल 33 प्रतिशत को ऐसा लगता है।
डीबीएस बैंक के प्रबंध निदेशक किशोर पोदुरी ने कहा कि महिलाएं वैश्विक कार्यबल का आधा हिस्सा हैं और भारत में कर्मचारी आधार का लगभग 30 प्रतिशत हिस्सा हैं। सर्वे के निष्कर्ष उन्हें व्यक्तिगत और पेशेवर रूप से आगे बढ़ने में मदद करने के लिए कई मुद्दों का समाधान कर सकते हैं।
सर्वे में कहा गया है कि वेतनभोगी अविवाहित महिलाएं (26 प्रतिशत) अपने विवाहित समकक्षों (16 प्रतिशत) की तुलना में मार्गदर्शन और करियर विकास के अवसरों की अधिक सराहना करती हैं।
स्वास्थ्य, भोजन और आराम से संबंधित जीवनशैली के मोर्चे पर, मेट्रो शहरों में 66 प्रतिशत महिलाएं व्यापक वार्षिक स्वास्थ्य जांच से गुजरती हैं, 32 प्रतिशत सप्ताह में एक से अधिक बार बाहर भोजन करती हैं या खाना ऑर्डर करती हैं। जबकि, 24 प्रतिशत नॉन-ऑफिस स्क्रीन-टाइम पर प्रतिदिन चार घंटे से अधिक समय बिताती हैं।
इसके अलावा 32 प्रतिशत विवाहित महिलाओं ने पिछले साल 3-5 यात्राएं की। यह उनके अविवाहित समकक्षों की तुलना में लगभग दोगुनी थी। जबकि, 47 प्रतिशत अपनी आय का 70 प्रतिशत से अधिक खर्च कर रही थीं।
सर्वे में इस बात का भी खुलासा किया गया है कि इस क्षेत्र की 39 प्रतिशत महिलाएं यात्रा और खरीदारी के लिए ज्यादा से ज्यादा क्रेडिट कार्ड का उपयोग करती हैंं। पूरे भारत में यह औसत 33 प्रतिशत है।
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Created On :   7 March 2024 12:16 AM IST