Bharatnatyam in Atlanta: अमेरिका के अटलांटा में परमा रॉय वर्धन के भरतनाट्यम की लोकप्रियता

अमेरिका के अटलांटा में परमा रॉय वर्धन के भरतनाट्यम की लोकप्रियता
चाहे आप अपने डांस मूव्स में कितनी भी सफलता या पूर्णता प्राप्त कर लें, जिस दिन आप सीखना बंद कर देंगे, आप बस फंस ही जाएंगे - परमा रॉय वर्धन

मुंबई-15 जुलाई 2024, कोलकाता की भरतनाट्यम नृत्यांगना परमा रॉय वर्धन न सिर्फ इस देश की जड़ों से जुड़ी हैं, बल्कि पश्चिम में रहते हुए विदेशों में भारतीय संस्कृति को लोकप्रिय बनाने में भी माहिर हैं। पिछले पांच सालों से वह अमेरिका के अटलांटा में भारतीय शास्त्रीय नृत्य भरतनाट्यम को लोकप्रिय बनाने में सक्रिय हैं। 4 साल की उम्र में कोलकाता से भरतनाट्यम की शुरुआत करने वाली परमा अब अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने नृत्य प्रदर्शनों के जरिए घर-घर में मशहूर हो चुकी हैं। परमा का बचपन कोलकाता के पास उत्तर 24 परगना के खड़दह में बीता। उन्होंने चार साल की उम्र में वहीं नृत्य करना शुरू कर दिया था।

फिर उन्होंने न सिर्फ अपने शौक को पूरा करना सीखा, बल्कि शास्त्रीय नृत्य के इस अवसर में खुद को पूरी तरह से डुबो दिया। शास्त्रीय नृत्य कार्यक्रमों के जरिए भी उनका नाम लिया जाता है। लेकिन उन्होंने कभी पढ़ाई नहीं छोड़ी। उन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर बीटेक की डिग्री हासिल की छोटे से लेकर बड़े 17 सालों में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी खुद को साबित किया है। शादी के बाद वे अमेरिका चली गईं। जॉर्जिया के अटलांटा शहर में उन्होंने अपनी प्रतिभा दिखाई। इससे पहले प्रवासी भारतीय खुद को भारतीय त्योहारों तक ही सीमित रखते थे। उन्होंने कहा, 'अच्छे कारण से यह सवाल उठता है कि अमेरिका में प्रवासी भारतीयों के बाहर अन्य समुदायों के लिए इस नृत्य का मंचन क्यों नहीं होना चाहिए?' फिर बहुत कम समय में परमा ने बड़े मंच पर सफलता के साथ अपनी प्रतिभा दिखाई। जहां कई लोगों ने शर्म, पहल की कमी या किसी अन्य कारण से खुद को प्रवासी तक ही सीमित रखा है, वहीं परमा न केवल अपनी प्रतिभा के साथ न्याय कर रही हैं बल्कि भारतीय संस्कृति के एक पहलू को पश्चिम में भी ला रही हैं। इस संदर्भ में परमा ने कहा, कई लोग सोचते हैं कि उनकी संस्कृति दूसरों को पसंद नहीं आएगी, इसलिए उनकी सराहना नहीं की जाएगी। लेकिन सच कहूं तो पश्चिमी दर्शकों की भारतीय संस्कृति को जानने और इसके बारे में अधिक जानने में अधिक रुचि है दर्शक इस बात से आश्चर्यचकित थे कि इतने बड़े पैमाने पर, पूरे मंच पर एकल भारतीय शास्त्रीय नृत्य की प्रस्तुति कैसे संभव हो सकी। यशोदा और कृष्ण के बीच मां-बेटे के रिश्ते को उन्होंने जिस तरह से पेश किया, उसने पश्चिमी संस्कृति को चकित कर दिया। परमा ने कॉब इंटरनेशनल फेस्टिवल में भी यह नृत्य पेश किया।

फिर उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक-एक कर शास्त्रीय नृत्य पेश किए। प्रशंसनीय परमा की तस्वीरें अमेरिका के प्रमुख अखबारों और पत्रिकाओं में छप चुकी हैं। उनके शास्त्रीय नर्तक बनने की चर्चा पहले से ही हो रही है। परमा ने भारतीय, ऑस्ट्रेलियाई और अमेरिकी कला परिषदों से कई पुरस्कार और सम्मान भी जीते हैं।

उन्हें यूनेस्को इंटरनेशनल डांस काउंसिल से नृत्य प्रस्तुति के लिए आमंत्रण मिला है। वे इस जुलाई में ग्रीस के प्रतिष्ठित डोरा स्ट्रोटो मंच पर प्रस्तुति देने जा रहे हैं। सफलता को खुद तक सीमित रखने के बजाय वे विदेशी धरती पर एक स्कूल खोलना चाहते हैं, ताकि अगली पीढ़ी में इस संस्कृति को कायम रखा जा सके। उनके प्रयासों के कारण ही अटलांटा में शास्त्रीय भारतीय नृत्य लोकप्रिय हुआ। उन्हें इटली में होने वाले वर्ल्ड डांस फेस्टिवल में भी आमंत्रित किया गया है, लेकिन उन्हें इस कार्यक्रम में शामिल न हो पाने का अफसोस है क्योंकि वे उसी दौरान ग्रीस में परफॉर्म करने में व्यस्त रहेंगी। परम निरंतर सीखने और अथक अभ्यास में विश्वास करती हैं। वे कहती हैं, "चाहे आप अपने डांस मूव्स में कितनी भी सफलता या पूर्णता प्राप्त कर लें, जिस दिन आप सीखना बंद कर देंगे, आप बस फंस ही जाएंगे।" वे पूर्णता प्राप्त करने और निरंतर अभ्यास करने को प्रोत्साहित करती हैं। उन्होंने कहा, "पेशेवर स्तर पर प्रदर्शन करने के लिए, आपको अपने दिन-प्रतिदिन के काम के अलावा अपने अभ्यास में निरंतरता बनाए रखने की आवश्यकता है।" वे इस खूबसूरत कला को हर जगह फैलाने में विश्वास करती हैं और समाज की भलाई के लिए अगली पीढ़ी को सिखाने और प्रेरित करने के माध्यम से एक सुंदर संदेश देने की दिशा में काम करती हैं।

Created On :   16 July 2024 1:30 PM IST

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