राजनीति: ‘सौगात-ए-मोदी’ पर राम कदम बोले- ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मूलमंत्र पर काम कर रही सरकार

‘सौगात-ए-मोदी’ पर राम कदम बोले- ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मूलमंत्र पर काम कर रही सरकार
‘सौगात-ए-मोदी’ किट को लेकर देश में चल रही सियासत पर महाराष्ट्र के भाजपा विधायक राम कदम ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मूलमंत्र के साथ भाजपा की सरकार काम कर रही है।

मुंबई, 26 मार्च (आईएएनएस)। ‘सौगात-ए-मोदी’ किट को लेकर देश में चल रही सियासत पर महाराष्ट्र के भाजपा विधायक राम कदम ने बयान दिया। उन्होंने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ के मूलमंत्र के साथ भाजपा की सरकार काम कर रही है।

महाराष्ट्र के भाजपा विधायक राम कदम ने ‘सौगात-ए-मोदी’ किट को लेकर आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, तो उस दौरान उन्होंने कहा था कि ‘सबका साथ, सबका विश्वास’। इसी मूल मंत्र के साथ पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार काम कर रही है। मैं पूछना चाहता हूं कि क्या सौगात देना बुरी बात है। सभी जानते हैं कि इस देश में अधिकतर शौचालय और सरकारी आवास के लाभान्वित अल्पसंख्यक समाज के लोग हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "पिछले 10 साल में पीएम मोदी के कार्यकाल के दौरान हर समाज, धर्म और हर जाति के लोगों को लाभ मिला है। क्या ऐसा कभी हुआ है कि किसी जाति या धर्म को लाभ न मिला हो? मुझे लगता है कि विपक्ष सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप कर रहा है।"

सीएम योगी आदित्यनाथ के राहुल गांधी को ‘नमूना’ कहे जाने पर राम कदम ने कहा, "उन्होंने (योगी आदित्यनाथ) क्या गलत कहा है। जो सही है, उन्होंने वही बात बोली है। मैं यह पूछना चाहता हूं कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस कौन सा चुनाव जीती है? अभी तक जितने भी चुनाव हुए हैं, वो कांग्रेस हारी है और उनकी पार्टी के कद्दावर नेता भी पार्टी छोड़कर चले गए हैं। विदेश में जाकर भारत की बदनामी करने वाला शख्स अगर ‘नमूना’ नहीं है तो कौन है?"

‘सामना’ में कुणाल कामरा को लेकर लिखे गए संपादकीय पर उन्होंने कहा, "मैं ‘सामना‘ को अखबार नहीं मानता हूं और उसे कोई गंभीरता से भी नहीं लेता है। उन्हें अब ये फिक्र है कि जो भी नेता बचे हैं, वो उनका साथ छोड़कर कब जाएंगे। वो साथ न छोड़ें और इसी कारण सिर्फ बयानबाजी करते हैं। उनके बयान को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। सबसे अहम बात यह है कि शिवसेना (यूबीटी) महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान 100 सीटों पर लड़ी थी, मगर उनके 20 विधायक ही चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं। जबकि एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना सिर्फ 80 सीटों पर लड़ी थी, जिनमें से उनके 60 विधायक चुने गए। गद्दार तो शिवसेना (यूबीटी) वाले हैं। एकनाथ शिंदे के प्रति जलन बयानों और लेखों में दिखाई दे रही है।"

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Created On :   26 March 2025 1:54 PM IST

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