राजनीति: राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की अंतिम यात्रा, सरयू तट पर संत समाज देगा जल समाधि

राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास की अंतिम यात्रा, सरयू तट पर संत समाज देगा जल समाधि
राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का अंतिम संस्कार गुरुवार को सरयू तट पर होगा। उन्हें संतों की मौजूदगी में जल समाधि दी जाएगी। सत्येंद्र दास के निधन से अयोध्या में शोक की लहर छाई हुई है।

अयोध्या, 13 फरवरी (आईएएनएस)। राम मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास का अंतिम संस्कार गुरुवार को सरयू तट पर होगा। उन्हें संतों की मौजूदगी में जल समाधि दी जाएगी। सत्येंद्र दास के निधन से अयोध्या में शोक की लहर छाई हुई है।

उनकी अंतिम शोभायात्रा गुरुवार को सुबह 11:00 बजे सत्य धाम गोपाल मंदिर स्थित उनके आवास से निकाली जा रही है। इस यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु और संत समाज के लोग शामिल हुए। यह यात्रा बिड़ला धर्मशाला के सामने से होते हुए रामपथ मार्ग से गुजरते हुए सिंह द्वार हनुमानगढ़ी में दर्शन के उपरांत सरयू तट की ओर बढ़ेगी। आचार्य सत्येंद्र दास के पार्थिव शरीर को विशेष रूप से तैयार पालकी और रथ में ले जाया जा रहा है।

सरयू तट पर संत समाज द्वारा पारंपरिक विधियों के अनुसार जल समाधि दी जाएगी। अयोध्या के प्रमुख संत, राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य, श्रद्धालु और नगर के गणमान्य लोग इस अवसर पर उपस्थित हैं। सत्येंद्र दास के निधन को संत समाज और भक्तों ने अपूरणीय क्षति बताया है।

बता दें कि आचार्य सत्येंद्र दास का निधन बुधवार को हो गया था। लखनऊ एसजीपीजीआई में बुधवार को उन्होंने अंतिम सांस ली थी। वह लंबे समय से अस्वस्थ थे और एसजीपीजीआई में उनका इलाज चल रहा था।

सत्येंद्र दास को 2 फरवरी को स्ट्रोक के चलते अयोध्या के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से उन्हें पहले ट्रामा सेंटर और फिर लखनऊ एसजीपीजीआई रेफर किया गया था। अस्पताल प्रशासन द्वारा जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार वह मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से भी ग्रस्त थे।

इसके बाद 4 फरवरी को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अस्पताल पहुंचकर उनका कुशलक्षेम जाना था। इस दौरान सीएम योगी ने डॉक्टरों से इलाज की प्रगति पर चर्चा करते हुए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए थे।

ज्ञात हो कि राम मंदिर के निर्माण के दौरान और उसके बाद भी आचार्य सत्येंद्र दास की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। वह मंदिर परिसर में नियमित पूजा-अर्चना का नेतृत्व करते थे और राम भक्तों के लिए प्रेरणास्रोत थे।

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Created On :   13 Feb 2025 11:34 AM IST

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