राजनीति: राजनीतिक दृष्टिकोण से लिए फैसले, निष्पक्षता नहीं अशोक गहलोत

राजनीतिक दृष्टिकोण से लिए फैसले, निष्पक्षता नहीं  अशोक गहलोत
राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत की सरकार में बनाए गए नौ जिलों को वर्तमान सरकार द्वारा समाप्त कर दिया गया है। भाजपा सरकार के इस फैसले पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि फैसला लेने में एक साल लग गया। यह स्पष्ट रूप से उनकी उलझन को दर्शाता है। मेरा मानना है कि हमारा फैसला सोच-समझ कर लिया गया था, क्योंकि राजस्थान क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। इतनी बड़ी दूरी पर प्रभावी ढंग से शासन चलाना एक बड़ी चुनौती है। दूरियां अध‍िक होने से, स्कीम तो बनती हैं, लेकिन धरातल पर वह लागू नहीं हो पाती है। भाजपा सरकार को लगता है कि उनके इस फैसले से उन्हें फायदा होगा। अगर दूरी के आधार पर जिलों को भंग किया गया है तो भरतपुर से केवल 38 किमी दूर ‘डीग’ को क्यों बरकरार रखा गया। मैं समझता हूं कि कई जगह जो फैसले लिए गए हैं, वह राजनीतिक दृष्टिकोण से लिए गए, इसमें निष्पक्षता नहीं है।

जयपुर, 28 दिसंबर (आईएएनएस)। राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत की सरकार में बनाए गए नौ जिलों को वर्तमान सरकार द्वारा समाप्त कर दिया गया है। भाजपा सरकार के इस फैसले पर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि फैसला लेने में एक साल लग गया। यह स्पष्ट रूप से उनकी उलझन को दर्शाता है। मेरा मानना है कि हमारा फैसला सोच-समझ कर लिया गया था, क्योंकि राजस्थान क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। इतनी बड़ी दूरी पर प्रभावी ढंग से शासन चलाना एक बड़ी चुनौती है। दूरियां अध‍िक होने से, स्कीम तो बनती हैं, लेकिन धरातल पर वह लागू नहीं हो पाती है। भाजपा सरकार को लगता है कि उनके इस फैसले से उन्हें फायदा होगा। अगर दूरी के आधार पर जिलों को भंग किया गया है तो भरतपुर से केवल 38 किमी दूर ‘डीग’ को क्यों बरकरार रखा गया। मैं समझता हूं कि कई जगह जो फैसले लिए गए हैं, वह राजनीतिक दृष्टिकोण से लिए गए, इसमें निष्पक्षता नहीं है।

बता दें कि पूर्व सीएम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। पोस्ट में उन्होंने लिखा, हमारी सरकार द्वारा बनाए गए नए जिलों में से नौ जिलों को निरस्त करने का भाजपा सरकार का निर्णय अविवेकशीलता एवं केवल राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण है। हमारी सरकार के दौरान जिलों का पुनर्गठन करने के लिए वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रामलुभाया की अध्यक्षता में 21 मार्च 2022 को समिति बनाई गई थी। इसे दर्जनों जिलों के प्रतिवेदन प्राप्त हुए। इन्हीं प्रतिवेदनों का परीक्षण कर समिति ने अपनी रिपोर्ट दी, जिसके आधार पर नए जिले बनाने का निर्णय किया गया। मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य बन गया, लेक‍िन प्रशासनिक इकाइयों का पुनर्गठन उस अनुपात में नहीं हुआ था। राजस्थान से छोटा होने के बाद भी मध्य प्रदेश में 53 जिले हैं।

पूर्व मुख्‍यमंत्री ने कहा, सरकार की तरफ से एक तर्क यह दिया जा रहा है कि एक जिले में कम से कम तीन विधानसभा क्षेत्र होने चाहिए, जबकि भाजपा द्वारा 2007 में बनाए गए प्रतापगढ़ में परिसीमन के बावजूद भी केवल दो विधानसभा क्षेत्र हैं। सरकार द्वारा जहां कम दूरी का तर्क दिया जा रहा है, वो भी आश्चर्यजनक है, क्योंकि डींग की भरतपुर से दूरी केवल 38 किमी है, जिसे रखा गया है, लेक‍िन सांचौर से जालोर की दूरी 135 किमी एवं अनूपगढ़ से गंगानगर की दूरी 125 किमी होने के बावजूद उन जिलों को खत्‍म कर दिया गया। गहलोत ने कहा क‍ि हमारी सरकार ने केवल जिलों की घोषणा ही नहीं की, बल्कि वहां कलेक्टर, एसपी समेत तमाम जिला स्तरीय अधिकारियों की नियुक्ति दी एवं हर जिले को संसाधनों के लिए बजट भी दिया। हम भाजपा सरकार द्वारा उठाए गए इस अदूरदर्शी एवं राजनीतिक प्रतिशोध के कारण लिए गए निर्णय की निंदा करते हैं।

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Created On :   28 Dec 2024 10:59 PM IST

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