सिनेमा: रानी ज्योत्स्ना मिश्रा की स्मृति में ‘शुभ्रज्योत्स्ना’ आयोजित, शामिल हुईं सुधा मूर्ति, हेमा मालिनी

रानी ज्योत्स्ना मिश्रा की स्मृति में ‘शुभ्रज्योत्स्ना’ आयोजित, शामिल हुईं सुधा मूर्ति, हेमा मालिनी
अपनी माता और प्रेरणा स्रोत, दिवंगत रानी ज्योत्स्ना मिश्रा की स्मृति में अयोध्या की राजकुमारी मंजरी मिश्रा ने नई दिल्ली के त्रावणकोर पैलेस में "शुभ्रज्योत्स्ना" नामक एक विशेष शिल्प प्रदर्शनी का आयोजन किया। आयोजन सुबह 11 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 30 मिनट तक चला। प्रदर्शनी में हेमा मालिनी के साथ सुधा मूर्ति और सोनल मानसिंह भी शामिल हुईं।

नई दिल्ली, 12 दिसंबर (आईएएनएस) । अपनी माता और प्रेरणा स्रोत, दिवंगत रानी ज्योत्स्ना मिश्रा की स्मृति में अयोध्या की राजकुमारी मंजरी मिश्रा ने नई दिल्ली के त्रावणकोर पैलेस में "शुभ्रज्योत्स्ना" नामक एक विशेष शिल्प प्रदर्शनी का आयोजन किया। आयोजन सुबह 11 बजकर 30 मिनट से शुरू होकर रात 8 बजकर 30 मिनट तक चला। प्रदर्शनी में हेमा मालिनी के साथ सुधा मूर्ति और सोनल मानसिंह भी शामिल हुईं।

इस प्रदर्शनी में शिल्प मंजरी ब्रांड के तहत उनके महल के वर्कशॉप में बने पोशाक, गहनों और सजावटी वस्तुओं का अद्भुत कलेक्शन प्रदर्शित किया गया, जिस पर महारानी ज्योत्स्ना की छाप है।

इस कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि पद्मश्री हेमा मालिनी (अभिनेत्री और मथुरा से संसद सदस्य) और सुधा मूर्ति द्वारा किया गया। हेमा मालिनी अयोध्या के शाही परिवार की घनिष्ठ रही हैं। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि पद्मभूषण सुधा मूर्ति (प्रसिद्ध लेखिका, समाजसेवी और राज्यसभा सदस्य) और पद्मविभूषण डॉ. सोनल मानसिंह (प्रख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना और सांस्कृतिक आइकन) ने भी शिरकत की।

प्रदर्शनी को राजकुमारी मंजरी मिश्रा ने क्यूरेट किया। अयोध्या के बीडिंग स्कूल, अवध की जरदोजी और वस्त्रों पर हाथ से की गई कलाकारी की शाही परंपरा को यहां प्रदर्शित किया गया। उनके कलेक्शन में पंचतंत्र की कहानियों से सजी पोटली, बेल्ट और भारतीय वन्यजीव व वनस्पतियों से प्रेरित मखमली हेयर बैंड, मोती से अलंकृत वस्त्र और कढ़ाईदार साड़ियां भी शामिल हैं। इन्हें हाथ से निर्मित कमरबंद, केप्स और शॉल के साथ प्रस्तुत किया गया।

इस आयोजन पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए मंजरी ने कहा, "यह प्रदर्शनी मेरी मां के अनुग्रह और उनके शिल्प प्रेम को समर्पित है। उनकी वजह से मैंने अयोध्या की समृद्ध गंगा-जमुनी संस्कृति को समझा, जहां परंपराएं एक-दूसरे में घुल-मिल जाती हैं और हर कारीगर, चाहे वह किसी भी धर्म का हो, हमारी विरासत का संरक्षक बनता है।"

“ 'शुभ्रज्योत्स्ना' केवल शिल्प का उत्सव नहीं है, बल्कि उन मूल्यों का भी उत्सव है, जो मेरी मां को अत्यंत प्रिय थे और वह है एकता और सद्भाव।”

राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त लेखक और विद्वान यतीन्द्र मोहन प्रताप मिश्रा ने कहा, "हमारी मां परंपराओं के साथ ज्ञान का भी भंडार थीं। उन्होंने हमें सिखाया कि कला हमारी जड़ों और एक-दूसरे से जोड़ने की सेतु है। मंजरी की 'शुभ्रज्योत्स्ना' इस भावना को खूबसूरती से प्रदर्शित करती है, जो अयोध्या की धरोहर को जीवंत करती है।”

कार्यक्रम में पहुंची हेमा मालिनी ने कहा, “महारानी ज्योत्सना मिश्रा जी अयोध्या की रानी थीं, अब वह नहीं हैं मगर उनकी याद में एक एग्जीबिशन यहां पर लगाया जा रहा। उनके परिवार में सभी कलाकार हैं उन्होंने पेंटिंग्स बनाई थी, बहुत सारे कारीगरों को एक साथ रखकर अच्छी चीज बनाई।“

“मेरी बहुत इच्छा थी कि मुझे महारानी से मुलाकात करने का मौका मिले। जब मैं अयोध्या परफॉर्मेंस करने गई थी तो मेरी उनके परिवार से मुलाकात हुई थी।“

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Created On :   12 Dec 2024 8:59 PM IST

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