स्वास्थ्य/चिकित्सा: यूनिसेफ बंगाल के सभी जिलों में खोलेगा ईसीडी क्लीनिक, तीन साल तक के बच्चों को पहुंचेगी अहम चिकित्सा सेवाएं

यूनिसेफ ने आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल के सभी जिलों में अर्ली चाइल्डहुड डेवलपमेंट (ईसीडी) क्लीनिक स्थापित करने का फैसला किया है। एक अधिकारी के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र निकाय इस मामले में आवश्यक सहयोग के लिए राज्य सरकार से संपर्क करेगा।

कोलकाता, 26 नवंबर (आईएएनएस)। यूनिसेफ ने आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल के सभी जिलों में अर्ली चाइल्डहुड डेवलपमेंट (ईसीडी) क्लीनिक स्थापित करने का फैसला किया है। एक अधिकारी के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र निकाय इस मामले में आवश्यक सहयोग के लिए राज्य सरकार से संपर्क करेगा।

पश्चिम बंगाल में यूनिसेफ के प्रमुख डॉ. मोनजुर हुसैन ने कहा, "कोलकाता के एसएसकेएम मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में उत्कृष्टता केंद्र और पश्चिम बंगाल के 28 स्वास्थ्य जिलों में से 17 में जिला प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्रों (डीईआईसी) में उपलब्ध ये विशेष क्लीनिक तीन साल तक के बच्चों को महत्वपूर्ण चिकित्सा सेवाएं प्रदान करते हैं। यह पहल ईसीडी क्लीनिक जैसे बाल-केंद्रित पहलों को संगठित, एकीकृत और आगे बढ़ाने में मदद करेगा।"

पहले भी यूनिसेफ ने बंगाल में इस दिशा में काम किया है। विशेष देखभाल को बड़ी आबादी के करीब लाने के लिए, यूनिसेफ ने नानरीतम (विकासात्मक बाल चिकित्सा में विशेषज्ञता प्राप्त एक संगठन) के साथ मिलकर राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा राज्य महिला एवं बाल विकास और समाज कल्याण विभागों को दक्षिण 24-परगना के दो ब्लॉकों में ईसीडी क्लीनिक चलाने और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, आशा कार्यकर्ताओं, सामुदायिक नर्सों और अन्य स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने में सहायता की थी।

अब वहां के अभिभावकों से जबरदस्त प्रतिक्रिया मिलने के बाद, संयुक्त राष्ट्र निकाय पश्चिम बंगाल के सभी जिलों में ईसीडी नेटवर्क फैलाने की योजना बना रहा है।

सोमवार को राष्ट्रीय नवजात सप्ताह के उपलक्ष्य में हुसैन ने कहा, " स्थानीय स्तर पर बनाए गए इस ज्ञान और साक्ष्य का उपयोग सरकार के साथ संसाधनों का लाभ उठाने के लिए किया जाएगा। हम राज्य सरकार से कार्यक्रम को अन्य ब्लॉकों में भी बढ़ाने के लिए संपर्क करेंगे। इससे सरकार के हर बच्चे तक पहुंचने के प्रयासों में मदद मिलेगी और यह सुनिश्चित होगा कि कोई भी पीछे न छूटे।"

ईसीडी कार्यक्रम के हिस्से के रूप में, फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं को उन बच्चों की पहचान करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है जिन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता है और उन्हें ईसीडी क्लीनिक में भेजा जा रहा है। वे माता-पिता को घर पर उपलब्ध वस्तुओं या अंडे की ट्रे जैसी बेकार चीजों का उपयोग करके उम्र के अनुसार खिलौने बनाना भी सिखाते हैं।

डेवलपमेंटल पिडिट्रिशियन (बाल रोग विशेषज्ञ) और नानरीतम की निदेशक डॉ. नंदिता चट्टोपाध्याय ने कहा, "किसी भी विकासात्मक देरी को संबोधित करने के लिए, क्लीनिक विशेष किट, खिलौने, बाल रोग विशेषज्ञ, फिजियोथेरेपिस्ट, विशेष शिक्षक, मनोवैज्ञानिक, भाषण चिकित्सक और व्यावसायिक चिकित्सक से सुसज्जित हैं।"

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   26 Nov 2024 8:28 AM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story