अंतरराष्ट्रीय: पाकिस्तान सिंधु नहर परियोजना पर सरकार की सहयोगी पीपीपी खफा, पीटीआई के साथ मिलकर प्रस्ताव लाने की तैयारी

पाकिस्तान  सिंधु नहर परियोजना पर सरकार की सहयोगी पीपीपी खफा, पीटीआई के साथ मिलकर प्रस्ताव लाने की तैयारी
पाकिस्तान की सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार में दो प्रमुख पार्टियों, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच दरार बढ़ती जा रही है। पीपीपी ने सिंधु नदी पर नहरों के निर्माण के खिलाफ नेशनल असेंबली में प्रस्ताव लाने के लिए विभिन्न राजनीतिक पार्टियों से समर्थन जुटाने का फैसला किया है।

इस्लामाबाद, 11 अप्रैल (आईएएनएस)। पाकिस्तान की सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार में दो प्रमुख पार्टियों, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच दरार बढ़ती जा रही है। पीपीपी ने सिंधु नदी पर नहरों के निर्माण के खिलाफ नेशनल असेंबली में प्रस्ताव लाने के लिए विभिन्न राजनीतिक पार्टियों से समर्थन जुटाने का फैसला किया है।

पीपीपी ने इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के साथ मिलकर नहरों के खिलाफ प्रस्ताव लाने की योजना बनाई है।

कुछ दिनों पहले, पीपीपी के सांसदों ने नेशनल असेंबली में नहरों के निर्माण पर उनके प्रस्ताव को दिन के एजेंडा से बाहर किए जाने पर विरोध प्रदर्शन किया था।

पीपीपी की नेशनल असेंबली सदस्य और पार्टी की प्रवक्ता शाज़िया मरी ने पीएमएल-एन पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार जिस तरह से इस मुद्दे को संभाल रही है, उससे पाकिस्तान में अराजकता फैल सकती है। उन्होंने कहा, "जिस तरीका आप इसे (नहर निर्माण मुद्दा) संभाल रहे हैं, जो बयान दिए जा रहे हैं, हमें लग रहा है कि पाकिस्तान में आग लगाने की कोशिश की जा रही है। पाकिस्तान में शांति खतरे में है।"

हाल ही में, पाकिस्तान सरकार ने 3.3 बिलियन डॉलर की ग्रीन पाकिस्तान पहल शुरू की है। इसका उद्देश्य दक्षिण पंजाब में 1.2 मिलियन एकड़ जमीन की सिंचाई के लिए छह नहरों का निर्माण करना है। हालांकि सिंध प्रांत इस परियोजना के खिलाफ है, क्योंकि उसे डर है कि इससे सिंधु नदी से मिलने वाला उसके हिस्से का पानी समाप्त हो जाएगा।

पीपीपी के नेता और सिंध के मुख्यमंत्री मुराद अली शाह ने कहा कि यदि नहर परियोजना बिना सिंध की सहमति के शुरू होती है, तो पीपीपी अपना समर्थन वापस ले सकता है।

इस परियोजना के खिलाफ समाज के विभिन्न वर्गों, राजनीतिक पार्टियों, नागरिक संगठनों और ट्रेड यूनियनों ने विरोध किया है और सरकार से इसे रद्द करने की मांग की है।

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Created On :   11 April 2025 7:17 PM IST

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