संस्कृति: जब-जब हम बंटे हैं, तब-तब हम हारे हैं राजनाथ सिंह

जब-जब हम बंटे हैं, तब-तब हम हारे हैं राजनाथ सिंह
केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि आप इतिहास उठा कर देख लीजिए, जब-जब हम बंटे हैं, तब-तब हम हारे हैं और तब-तब हमें पीछे होना पड़ा है।

नई दिल्ली,18 नवंबर (आईएएनएस)। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि आप इतिहास उठा कर देख लीजिए, जब-जब हम बंटे हैं, तब-तब हम हारे हैं और तब-तब हमें पीछे होना पड़ा है।

उन्होंने कहा कि जब-जब हमारी एकता कमजोर हुई है, तब-तब आक्रमणकारियों ने हमारी सभ्यता को और हमारी संस्कृति को नष्ट करने का पूरा प्रयास किया है। मेरी नजर में, सीमाओं का सुरक्षित रहना जितना महत्वपूर्ण है, उतना ही महत्वपूर्ण संस्कृति का सुरक्षित रहना भी है।

रक्षा मंत्री सोमवार को हैदराबाद में आयोजित कोटि दीपोत्सवम के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा, "मैं समझता हूं कि ऐसे आयोजनों का महत्व सिर्फ लोगों के एकत्र होने का या दीप जलाने का नहीं होता है। इस तरह के आयोजन हमें कई सारे संदेश भी देते हैं। पहला महत्वपूर्ण संदेश है जो मैं समझता हूं वह एकता का है। यदि कोई व्यक्ति अकेले अपने दम पर प्रयास करता है, तो स्वाभाविक है कि उसके प्रयासों का प्रभाव कम हो। लेकिन यदि कई सारे व्यक्ति मिलकर प्रयास करते हैं, तो लक्ष्यों को प्राप्त करना ज्यादा आसान हो जाता है।"

रक्षा मंत्री ने कहा, "आप इतिहास उठाकर देख लीजिए। जब-जब हम बंटे हैं, तब-तब हम हारे हैं और तब-तब हमें पीछे होना पड़ा है। जब-जब हमारी एकता कमजोर हुई है, तब-तब आक्रमणकारियों ने हमारी सभ्यता को और हमारी संस्कृति को नष्ट करने का पूरा प्रयास किया है। हमारे शास्त्रों में भी लिखा है- 'ऐक्यं बलं समाजस्य तदभावे स दुर्बल:' अर्थात एकता समाज का बल है, जो समाज एकताहीन होता है वह समाज दुर्बल हो जाता है। इसलिए हमें यह संकल्प लेना है कि हमें इन दियों की तरह मिलकर जगमगाना है और पूरे देश में प्रकाश फैलाना है।"

उन्होंने आगे कहा कि कोई आपको अलग-अलग धर्मों में बांटेगा, कोई आपको अलग-अलग संप्रदायों में बांटेगा, लेकिन आपको बंटना नहीं है। आपको न बंटना है और न बांटना है, पूरे देश को एक साथ रहना है। एकजुट रहना है। हम विभाजन से बचेंगे तो विकास की ओर बढ़ेंगे।

उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों का दूसरा संदेश, हमारे भीतर उत्साह का संचार करना है। कोटि दीपोत्सवम जैसे महोत्सव, हमारे अंदर उत्साह का संचार भी करते हैं। किसी भी देश या समाज की प्रगति के लिए, एकता के साथ-साथ उत्साह का भी होना बेहद जरूरी है। यदि हमें विकसित राष्ट्र बनना है, हमें वापस से विश्वगुरु के गौरव को पाना है तो हमें विवेक से काम लेना होगा। एकता और उत्साह के साथ ऐसे आयोजन, नागरिकों को विवेकशील भी बनाते हैं।

रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत सिर्फ एक पॉलिटिकल एंटिटी नहीं है बल्कि उसकी हजारों साल की एक सांस्कृतिक पहचान भी है। जिसकी वजह से पूरे विश्व में हमें जाना और माना गया है। कोई भी देश सिर्फ जमीन के टुकड़े और वहां के लोगों से नहीं बनता, बल्कि राष्ट्र अपनी संस्कृति से निर्मित होता है।

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Created On :   18 Nov 2024 11:09 PM IST

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