राजनीति: एससी आरक्षण में उप-समूह बनाने के फैसले को चुनौती देंगे चिराग पासवान, करेंगे अपील

एससी आरक्षण में उप-समूह बनाने के फैसले को चुनौती देंगे चिराग पासवान, करेंगे अपील
केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का विरोध किया, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जातियों के आरक्षण के भीतर क्रीमी लेयर बनाए जाने की अनुमति दी गई है। उन्होंने घोषणा की कि उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) इसके खिलाफ अपील करेगी।

पटना, 3 अगस्त (आईएएनएस)। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का विरोध किया, जिसमें राज्यों को अनुसूचित जातियों के आरक्षण के भीतर क्रीमी लेयर बनाए जाने की अनुमति दी गई है। उन्होंने घोषणा की कि उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) इसके खिलाफ अपील करेगी।

चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी जल्दी ही इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डालने जा रही है।

उन्होंने कहा, "हमारी पार्टी सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध करेगी कि वह अपने हाल के फैसले की समीक्षा करे, जिसमें अनुसूचित जाति कोटे के तहत 15 प्रतिशत उप-समूहों को अनुमति दी गई है। एससी कोटे में क्रीमी लेयर को अनुमति नहीं दी जा सकती। एससी कोटे में उप-समूहों को अनुमति देने से सामाजिक रूप से हाशिए पर पड़े वर्ग के उत्थान का उद्देश्य पूरा नहीं होगा, जो छुआछूत की प्रथा का शिकार रहा है।"

चिराग पासवान ने आश्चर्य व्यक्त किया कि शीर्ष अदालत के फैसले में अस्पृश्यता शब्द का उल्लेख तक नहीं है।

उन्होंने कहा, "अनुसूचित जाति के अधिकांश लोग, यहां तक ​​कि संपन्न परिवारों से आने वाले और शिक्षा तक पहुंच रखने वाले लोग भी अस्पृश्यता का सामना करते हैं। इसलिए, अनुसूचित जाति के भीतर उप-समूहों की अनुमति देना न्यायोचित नहीं है।"

जाति जनगणना की मांग को लेकर चिराग पासवान ने कहा कि मुझे लगता है कि हमें जाति जनगणना करानी चाहिए। हम इसके समर्थन में हैं। लेकिन मेरा मानना है कि इसके निष्कर्षों को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। एकत्रित आंकड़ों का इस्तेमाल सरकार को नीतियां बनाने में करना चाहिए।

चिराग पासवान ने कहा कि वो जातीय जनगणना के पक्षधर सिर्फ इसलिए हैं ताकि उस आधार पर सब की बेहतरी के लिए नीतियां बन सके। इसलिए नहीं कि आरक्षण के भीतर आरक्षण हो।

एक ऐतिहासिक फैसले में बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को सामाजिक-आर्थिक पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में कम प्रतिनिधित्व के आधार पर अनुसूचित जातियों (एससी) के भीतर जातियों को उप-वर्गीकृत करने की अनुमति दी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि 15 फीसदी एससी कोटे का बड़ा हिस्सा पिछड़ों को मिले।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों को आरक्षण दिया जा सके जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं।

अस्वीकरण: यह न्यूज़ ऑटो फ़ीड्स द्वारा स्वतः प्रकाशित हुई खबर है। इस न्यूज़ में BhaskarHindi.com टीम के द्वारा किसी भी तरह का कोई बदलाव या परिवर्तन (एडिटिंग) नहीं किया गया है| इस न्यूज की एवं न्यूज में उपयोग में ली गई सामग्रियों की सम्पूर्ण जवाबदारी केवल और केवल न्यूज़ एजेंसी की है एवं इस न्यूज में दी गई जानकारी का उपयोग करने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञों (वकील / इंजीनियर / ज्योतिष / वास्तुशास्त्री / डॉक्टर / न्यूज़ एजेंसी / अन्य विषय एक्सपर्ट) की सलाह जरूर लें। अतः संबंधित खबर एवं उपयोग में लिए गए टेक्स्ट मैटर, फोटो, विडियो एवं ऑडिओ को लेकर BhaskarHindi.com न्यूज पोर्टल की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है|

Created On :   3 Aug 2024 11:06 AM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story