रक्षा: सेना के लिए 1,560 करोड़ रुपये की लागत से 47 ब्रिज टैंकों की खरीद

सेना के लिए 1,560 करोड़ रुपये की लागत से 47 ब्रिज टैंकों की खरीद
भारतीय सेना को आधुनिक टेक्नोलॉजी वाले ब्रिज टैंकों से लैस किया जाएगा। सेना के लिए ऐसे 47 नए ब्रिज टैंक खरीदने को लेकर मंगलवार को 1,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाला समझौता किया गया।

नई दिल्ली, 21 जनवरी (आईएएनएस)। भारतीय सेना को आधुनिक टेक्नोलॉजी वाले ब्रिज टैंकों से लैस किया जाएगा। सेना के लिए ऐसे 47 नए ब्रिज टैंक खरीदने को लेकर मंगलवार को 1,500 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाला समझौता किया गया।

रक्षा मंत्रालय का कहना है कि भारतीय सेना के लिए यह खरीद आत्मनिर्भर भारत पहल के अंतर्गत की जा रही है। सेना के लिए 47 टी-72 ब्रिज लेइंग टैंकों की खरीद के लिए हैवी व्हीकल्स फैक्ट्री, आर्मर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड के साथ 1,561 करोड़ रुपये के समझौते किए गए हैं।

ब्रिज लेइंग टैंक एक महत्वपूर्ण उपकरण है, जिसका उपयोग यांत्रिक फोर्स द्वारा आक्रामक व रक्षात्मक दोनों ही प्रकार के अभियानों के दौरान किया जाता है। इस रक्षा उपकरण का इस्तेमाल पुलों का निर्माण करने के लिए किया जाता है। यह टैंक और बख्तरबंद वाहनों के बेड़े को अभिन्न पुल बनाने की क्षमता प्रदान करता है। इससे युद्ध के मैदान में गतिशीलता और आक्रामक क्षमता बढ़ती है।

इस खरीद के लिए आर्मर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड की इकाई हैवी व्हीकल फैक्ट्री के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं। इसकी कुल लागत 1,560.52 करोड़ रुपये है। नई दिल्ली में रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह की मौजूदगी में रक्षा मंत्रालय और हैवी व्हीकल फैक्ट्री, आर्मर्ड व्हीकल निगम लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर किए।

वर्तमान समझौते के अंतर्गत खरीद (भारतीय-स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित) होने से रक्षा में मेक-इन-इंडिया पहल को बढ़ावा मिलेगा। केंद्र सरकार का मानना है कि यह परियोजना समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और देश में रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

इससे कुछ दिन पहले ही रक्षा मंत्रालय ने भारतीय नौसेना के लिए मिसाइलों को लेकर एक बड़ी डील की थी। इस सौदे के तहत नौसेना को सतह से हवा में मार करने वाली बेहद खतरनाक मिसाइलें हासिल होंगी। इस सौदे की कुल लागत 2,900 करोड़ रुपये से अधिक है। भारतीय नौसेना के लिए मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (एमआरएसएएम) की आपूर्ति के लिए यह सौदा किया गया था।

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Created On :   21 Jan 2025 7:41 PM IST

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