अभी पूरा नहीं हुआ, अब 2024 में पेरिस में चौथा पदक जीतने पर निशाना

Jhajharia said, not yet completed, now aiming to win fourth medal in Paris in 2024
अभी पूरा नहीं हुआ, अब 2024 में पेरिस में चौथा पदक जीतने पर निशाना
झाझरिया अभी पूरा नहीं हुआ, अब 2024 में पेरिस में चौथा पदक जीतने पर निशाना
हाईलाइट
  • झाझरिया ने कहा
  • वह 2024 पेरिस में पदकों की बाउंड्री (चार) तक पहुंचना चाहते हैं

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के महान पैरालिंपियन देवेंद्र झाझरिया, जिन्होंने 2004 एथेंस और 2016 रियो खेलों में स्वर्ण पदक जीता था और अब टोक्यो में चल रहे पैरालिंपिक में रजत पदक जीत चुके हैं, उन्होंने कहा कि वह 2024 पेरिस में पदकों की बाउंड्री (चार) तक पहुंचना चाहते हैं।

झाझरिया ने पदक पुरुषों की भाला फेंक एफ 46 फाइनल इवेंट में 64.35 मीटर भाला फेंक कर पदक अपने नाम किया था। टोक्यो से आईएएनएस से बात करते हुए, झाझरिया ने कहा, अब मैं 40 साल का हूं, मेरा मानना है कि मैंने विज्ञान को चुनौती दी है। रजत जीतना भी महत्वपूर्ण है। मेरे पिता हमेशा चाहते थे कि मैं पदकों की हैट्रिक बनाऊं और अब मैंने यह पूर कर लिया।

मुझे यकीन है कि उन्हें मुझ पर बहुत गर्व होगा। मैं यह पदक अपने दिवंगत पिता को समर्पित करता हूं। मैं आज जो कुछ भी हूं, उनकी प्रेरणा और समर्थन के कारण हूं। वह कैंसर से जूझ रहे थे और जब मैं उनसे मिलने गया, तो उन्होंने कहा आपको अभ्यास करते रहना चाहिए। मैं आपको बता नहीं सकता कि मैं अभी कितना भावुक महसूस कर रहा हूं।

40 वर्षीय सर्वोच्च फिट एथलीट ने हंसते हुए कहा, तीन पदक हो गए, इस बात की भी संभावना है कि मैं इसे पेरिस (2024 पैरालिंपिक) में चार कर दूं। आप कभी नहीं जानते। उन्होंने आगे कहा,लेकिन सबसे पहले, मैं घर जाना चाहता हूं और थोड़ा आराम करना चाहता हूं। मैं अपनी बेटी से मिलना चाहता हूं। फिर, बाद में मैं अपने कोचों से बात करूंगा और चर्चा करूंगा कि मैं पेरिस में खेल सकता हूं या नहीं। लेकिन अब तक संभावना है कि मैं वहां खेल सकता हूं और स्वर्ण जीत सकता हूं।

झाझरिया गुजरात में भारतीय खेल प्राधिकरण के गांधीनगर केंद्र में अभ्यास कर रहे थे। टोक्यो रवाना होने से पहले उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वीडियो कॉल पर बात की थी। टोक्यो में रजत पदक जीतने के बाद उन्हें फिर से मोदी से बात करने का मौका मिला। उन्होंने कहा, मैं सम्मानित महसूस कर रहा हूं कि प्रधानमंत्री ने मुझे बधाई देने के लिए बुलाया और मेरे प्रयासों की सराहना की। मैं पदक के साथ-साथ अपने देश और देशवासियों को अपनी उपयोगी यात्रा समर्पित करता हूं।

झाझरिया ने कहा, आज, जब मैं सरकारों को एथलीटों को प्रेरित करते देखता हूं, तो मुझे लगता है कि मेरे पिता अब जहां भी होंगे, बहुत खुश होंगे। जब झाझरिया आठ साल का थे, तब उन्होंने गलती से एक जीवित बिजली के तार को छू दिया था जिसके बाद उसके बाएं हाथ को काटना पड़ा था।

आईएएनएस

Created On :   31 Aug 2021 2:30 PM IST

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