राष्ट्रमंडल खेलों में आईओए ने निशानेबाजी का नहीं उठाया मुद्दा

IOA did not raise issue of shooting in Commonwealth Games: Vijay Kumar
राष्ट्रमंडल खेलों में आईओए ने निशानेबाजी का नहीं उठाया मुद्दा
विजय कुमार राष्ट्रमंडल खेलों में आईओए ने निशानेबाजी का नहीं उठाया मुद्दा

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सबसे सफल भारतीय निशानेबाजों में से एक विजय कुमार का मानना है कि बर्मिघम राष्ट्रमंडल खेलों में निशानेबाजी को हिस्सा नहीं बनाया गया है। इससे खिलाड़ियों का भविष्य खराब हो रहा है, क्योंकि ज्यादातर निशानेबाज राष्ट्रमंडल खेलों पर निर्भर रहते हैं।

राष्ट्रमंडल खेलों में पांच स्वर्ण पदकों सहित छह पदक हासिल करने के बाद और 2012 लंदन ओलंपिक में 25 मीटर रैपिड-फायर स्पर्धा में रजत जीतकर उस सफलता को याद करते हुए विजय कुमार ने कहा, वह निराश हैं कि भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) ने भारतीय निशानेबाजी बिरादरी की भलाई के लिए मुद्दा नहीं उठाया।

आईएएनएस के साथ विजय कुमार की बाचचीत के कुछ अंश :

प्रश्न : निशानेबाजी को लेकर राष्ट्रमंडल खेलों में क्या सोच है? यह एक ऐसा आयोजन हुआ करता था, जहां प्रतिस्पर्धा करने के लिए लोग उत्सुक रहते थे और अब वह खेल का हिस्सा नहीं है। इस पर आपके क्या विचार हैं?

उत्तर : राष्ट्रमंडल खेल दुनिया के तीन प्रमुख खेलों से एक हैं। पहले ओलंपिंक, उसके बाद एशियाई और फिर राष्ट्रमंडल खेल आता है। यह बहुत ही अजीब और आश्चर्यजनक है कि ओलंपिक में अनुशासन होने के बावजूद निशानेबाजी को राष्ट्रमंडल खेलों से हटा दिया गया है। बर्मिघम राष्ट्रमंडल खेलों में कुछ गैर-ओलंपिक खेल शामिल हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि शूटिंग को छोड़ दिया गया है, जिससे शूटिंग के खिलाड़ियों पर अधिक प्रभाव पड़ा है।

प्रश्न : क्या आपको लगता है कि पिछले कुछ वर्षो में सीजीएफ द्वारा राष्ट्रमंडल खेलों से निशानेबाजी को बाहर करने का ठोस प्रयास किया गया है?

उत्तर : देखिए, यहां बैठकर हम सिर्फ अनुमान लगा सकते हैं। मुझे और इस खेल से जुड़े बहुत से लोगों को लगता है कि सीजीएफ का लक्ष्य निशानेबाजी को राष्ट्रमंडल खेलों से हटाना था। यदि आप इसे तार्किक दृष्टिकोण से देखते हैं, तो घटनाओं का पूरा क्रम, जैसे कि शूटिंग की घटनाओं की संख्या को धीरे-धीरे कम करना और फिर इसे पूरी तरह से हटा देना, उस तथ्य की ओर इशारा करता है।

मैंने हाल ही में कहीं पढ़ा है कि निशानेबाजी 2026 राष्ट्रमंडल खेलों का भी हिस्सा नहीं है। ये सभी बातें इस बात की ओर इशारा करती हैं कि यह भारत की पदक की उम्मीदों को कम करने के लिए उठाया गया कदम है।

यदि आप हमारे प्रदर्शन को देखें, तो हमने राष्ट्रमंडल खेलों के 2006, 2010, 2014 के सीजनों की शूटिंग में उल्लेखनीय रूप से अच्छा प्रदर्शन किया है। 2006 में मैंने दो स्वर्ण जीते, 2010 में मेरे पास चार पदक थे। राष्ट्रमंडल खेलों में मेरे कुल छह पदक हैं।

प्रश्न : व्यक्तिगत रूप से, यदि आप बर्मिघम राष्ट्रमंडल खेलों का हिस्सा होते तो आप कितने प्रेरित होते?

उत्तर : बेहद प्रेरित, मैं कहूंगा। मैं निश्चित रूप से टीम में रहने की पूरी कोशिश करता। अपने देश का प्रतिनिधित्व करना सम्मान और गौरव की बात है।

प्रश्न : क्या आपको लगता है कि भारतीय निशानेबाज यह जानकर निराश हैं कि वे खेलों का हिस्सा नहीं होंगे?

उत्तर : हां, बिल्कुल। वे राष्ट्रीय शिविर में इसके बारे में बात करते रहते हैं, लेकिन खुले तौर पर नहीं, क्योंकि वे पहले से ही जानते हैं कि यह तय हो गया है कि उन्हें बाहर कर दिया गया है। लेकिन हां, चर्चा जरूर होती है।

प्रश्न : क्या आपको लगता है कि आईओए को शामिल करने के लिए और सख्ती से प्रयास करना चाहिए था?

उत्तर : आईओए को इस मुद्दे पर फ्रंट फुट पर आना चाहिए था। सीजीएफ ओलंपिक अनुशासन को कैसे हटा सकते हैं? कई एथलीटों का करियर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से राष्ट्रमंडल खेलों पर निर्भर करता है। आप एक ओलंपिक खेल को हटा रहे हैं और इसमें गैर-ओलंपिक इवेंट भी शामिल हैं। क्या यह आश्चर्य की बात नहीं है कि महिला टी20 क्रिकेट को शामिल किया गया है और एक ओलंपिक अनुशासन हटा दिया गया है। यह बहुत ही गलत कदम है। आईओए को इस पर आक्रामक रुख अपनाना चाहिए था।

सोर्सः आईएएनएस

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Created On :   25 July 2022 3:30 PM IST

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