जब पाकिस्तान के पीएम ने पेश किया था भारत का बजट, हुई थी आलोचना
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी को मोदी सरकार का आखिरी फुल बजट पेश करेंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार पाकिस्तान के पीएम ने भी भारत का बजट पेश किया था। हालांकि, उन्होंने ये बजट बंटवारे से पहले पेश किया था और इसके डेढ़ साल बाद ही वो पाकिस्तान के पीएम बन गए थे। उस शख्स का नाम था, लियाकत अली खान। उन्होंने 2 फरवरी 1946 को बजट पेश किया था। हालांकि इस बजट की देशभर में आलोचना भी हुई थी और इसे "पुअर मैन" का नाम भी दिया गया था। आइए जानते हैं इस पाकिस्तानी पीएम के बारे में..
मोहम्मद अली जिन्ना के खास थे लियाकत
लियाकत अली खान मोहम्मद अली जिन्ना के खास थे और अंतरिम प्रधानमंत्री नेहरू की सरकार में वित्त मंत्री थे। नेहरू की कैबिनेट में उस वक्त सरदार वल्लभ भाई पटेल, डॉ. भीमराव अंबेडकर, बाबू जगजीवन राम जैसे नेता भी थे। लियाकत अली खान ने भारत का बजट 2 फरवरी 1946 को सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली, जिसे आज संसद भवन के नाम से जाना जाता है, में पेश किया था। जिन्ना के बाद लियाकत अली खान ऑल इंडिया मुस्लिम लीग के सबसे बड़े नेता थे और भारत की अंतरिम सरकार बनी तो मुस्लिम लीग ने उन्हें अपने प्रतिनिधि के तौर पर भेजा था।
लियाकत के बजट की हुई थी आलोचना
उस समय लियाकत अली खान के बजट की देशभर में जमकर आलोचना हुई और उसे "पुअर मैन" का नाम दिया गया था। हालांकि, लियाकत अली खान ने इस बजट को "सोशलिस्ट बजट" बताया था। उनके बजट पर देश की इंडस्ट्री ने काफी नाराज़गी जताई। लियाकत अली खान पर आरोप लगा कि उन्होंने टैक्स प्रपोजल बहुत ही कठोर रखे जिससे कारोबारियों को नुकसान पहुंचा।
क्या वाकई हिंदू विरोधी था उनका बजट?
लियाकत अली खान पर ये भी आरोप लगा कि उन्होंने "हिंदू विरोधी" बजट भी बताया गया। कांग्रेस के कुछ नेता, जो सोशलिस्ट राय रखते थे, उन्होंने लियाकत अली खान के बजट का समर्थन किया, लेकिन सरदार पटेल की राय थी कि लियाकत अली खान घनश्याम दास बिड़ला, जमनालाल बजाज और वालचंद जैसे हिंदू कारोबारियों के खिलाफ सोची-समझी रणनीति के तहत कार्रवाई कर रहे हैं। लियाकत अली खान ने अपने बजट में कारोबारियों पर 1 लाख रुपए के मुनाफे पर 25% टैक्स लगाने का प्रस्ताव रखा था और कॉरपोरेट टैक्स को दोगुना कर दिया था। लियाकत अली खान के इस बजट का असर मुसलमान और पारसी व्यापारियों पर भी हुआ, लेकिन उस वक्त हिंदू कारोबारी ज्यादा थे। इसलिए इसे लोगों ने "हिंदू विरोधी बजट" बताया।
लियाकत अली की गोली मारकर हत्या
15 अगस्त 1947 को भारत आजाद हुआ और पाकिस्तान एक अलग देश बना। भारत के प्रधानमंत्री जहां जवाहर लाल नेहरू बने, वहीं पाकिस्तान की कमान लियाकल अली खान को मिली। लियाकत अली सिर्फ 4 साल तक ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे और 1951 में रावलपिंडी की एक सभा में गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी। हत्यारे को उसी वक्त सुरक्षाकर्मियों ने मार डाला था और उसकी पहचान एक अफगान नागरिक के तौर पर हुई थी। बता दें कि जिस मैदान में लियाकत अली खान की हत्या हुई थी, उसी मैदान पर 27 दिसंबर 2007 को बेनजीर भुट्टो भी मारी गईं थीं।
Created On :   20 Jan 2018 7:34 AM IST